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Product Description
जगजीवन जैसे लोग तो छोटी सी पगडंडी बनाते हैं। इस खयाल से भी नहीं बनाते कि कोई मेरे पीछे आएगा। खुद चलते हैं, उस चलने से ही घास-पात टूट जाता है, पगडंडी बन जाती है। कोई आ जाए पीछे, आ जाए। आ जाते हैं लोग। क्योंकि सत्य का जब अवतरण होता है तो वह चाहे राजपुत्रों में हो और चाहे दीन-दरिद्रों में हो, सत्य का जब अवतरण होता है तो उसकी गंध ऐसी है, उसका प्रकाश ऐसा है, जैसे बिजली कौंध जाए ! फिर किसमें कौंधी, इससे फर्क नहीं पड़ता। राजमहल पर कौंधी कि गरीब के झोपड़े पर कौंधी, महानगरी में कौंधी कि किसी छोटे-मोटे गांव में कौंधी- – बिजली कौंधती है तो प्रकाश हो जाता है। सोए जग जाते हैं। बंद जिनकी आंखें थीं, खुल जाती हैं। मूच्र्छा में जो पड़े थे उन्हें होश आ जाता है।
कुछ लोग चल पड़तें हैं। ज्यादा लोग नहीं चल सकते, क्योंकि जगजीवन को समझने की क्षमता नहीं होती। हां, जो लोग प्रेम करने में समर्थ हैं, समझने के मार्ग से नहीं चलते बल्कि प्रेम के मार्ग से चलते हैं, वे लोग पहचान लेते हैं।
About The Author
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
यह पुस्तक संत जगजीवन साहिब के वचनों पर आधारित है, जिन पर ओशो ने अपने प्रवचनों में चर्चा की है
“नाम सुमिर मन बावरे” में कुल 10 प्रवचन शामिल हैं, जो ओशो द्वारा अगस्त 1978 में पुणे में दिए गए थे
वर्तमान में, “नाम सुमिर मन बावरे” का अंग्रेजी अनुवाद उपलब्ध नहीं है
“नाम सुमिर मन बावरे” पुस्तक उन लोगों के लिए है जो आध्यात्मिक शांति, ध्यान, और भक्ति के मार्ग पर चलना चाहते हैं और अपने जीवन में सच्ची शांति और संतोष की खोज कर रहे हैं।
हां, “नाम सुमिर मन बावरे” पुस्तक में ध्यान और योग की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई है, जिससे व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर सकता है और आत्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है।
हां, “नाम सुमिर मन बावरे” पुस्तक में सांसारिक जीवन और भक्ति के बीच संतुलन बनाए रखने के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें भक्ति और ध्यान को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की प्रेरणा दी गई है।
Weight | 350 g |
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Dimensions | 21.6 × 14 × 1.65 cm |
Author | Osho |
ISBN | 9789350832028 |
Pages | 24 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | SD Diamond |
ISBN 10 | 935083202X |
नाम सुमिर मन बावरे भक्ति और आत्मा की शुद्धि का गहरा मार्गदर्शन प्रदान करती है। यह पुस्तक नाम जप और ध्यान के माध्यम से मन और आत्मा को शुद्ध करने की प्रेरणा देती है। लेखक ने सरल शब्दों में भक्ति मार्ग का महत्व और ध्यान की गहराई को समझाया है। यह कृति उन लोगों के लिए है जो आध्यात्मिक यात्रा में मन की शांति और आत्मिक उत्थान की तलाश कर रहे हैं।
ISBN: 935083202X
ओशो
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