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Nahi Ram Bin Thaaon by Osho-नहीं राम बिन थाओं

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ध्यान का अर्थ है, इस क्षण में होना, इस क्षण के पार न जाना…
ध्यान कोई अलग से प्रक्रिया नहीं है। ध्यान जीवन को होशपूर्ण ढंग से जीने की विधि का नाम है। ध्यान कोई ऐसी बात नहीं कि चौबीस घंटे में एक घंटा निकालकर आप बैठें और कर लें। क्योंकि तेईस घंटे गैर-ध्यान हो और एक घंटा ध्यान हो तो गैर-ध्यान जीतेगा, ध्यान नहीं जीत सकता। तेईस घंटे मूर्ख हो और एक घंटा अगर अमृतमयी का प्रयोग हो, तो आप कभी बुद्धत्व को उपलब्ध न हो सकेंगे। यह एक घंटा कैसे जीएंगे तेईस घंटे पर?

ओशो

पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-विंदु:
● समर्पण और स्वाभाविकता में संबंध क्या है?
● साक्षीभाव है उपाय दमन से मुक्ति का
● भयमुक्ति कैसे संभव है?
● क्या बच्चों को शिक्षा के साथ ध्यान-प्रशिक्षण भी अनिवार्य है?
● क्या मेरे भावों के रचन के लिए दूसरा जरूरी है?
● शरीर में सब छिपा है—कामवासना भी, समाधि भी

ISBN10-9350832208

नहीं राम बिन थाओं-0
Nahi Ram Bin Thaaon by Osho-नहीं राम बिन थाओं
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Nahi Ram Bin Thaaon By Osho-नहीं राम बिन थाओं

नहीं राम बिन थाओं” में ओशो ने भगवान राम के प्रति भक्ति और ध्यान के गहरे अर्थों को समझाया है। वे बताते हैं कि जीवन में राम (ईश्वर) के बिना कोई ठिकाना नहीं है। यह ग्रंथ भक्ति और ध्यान के माध्यम से जीवन में शांति और मार्गदर्शन पाने की प्रेरणा देता है।

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

इसमें भगवान राम का क्या महत्व बताया गया है?

इसमें ओशो ने भगवान राम को भक्ति, ध्यान और आंतरिक शांति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। राम का प्रतीकात्मक अर्थ आत्मा की खोज और ईश्वर से जुड़ने का है।

ओशो के अनुसार ‘राम’ का क्या अर्थ है?

ओशो के अनुसार ‘राम’ का मतलब केवल एक व्यक्ति या देवता नहीं है, बल्कि वह एक अवस्था है जिसमें व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप से जुड़ता है और शाश्वत शांति पाता है।

क्या इसमें ध्यान के लिए मार्गदर्शन दिया गया है?

हाँ, इसमें ओशो ने ध्यान के माध्यम से ईश्वर से जुड़ने और अपने भीतर की शांति को खोजने के तरीके बताए हैं

ओशो राम और ध्यान के बीच क्या संबंध बताते हैं?

ओशो के अनुसार राम (ईश्वर) के प्रति ध्यान करने से व्यक्ति अपनी आत्मा से जुड़ता है और आंतरिक शांति प्राप्त करता है। ध्यान भक्ति का एक माध्यम है।

क्या यह आंतरिक यात्रा को बढ़ावा देती है?

हाँ, यह व्यक्ति को अपनी आंतरिक यात्रा पर ले जाती है, जहां वह ईश्वर और अपने सच्चे स्वरूप को खोज सकता है।

क्या इसमें भक्ति और ध्यान का संतुलन है?

हाँ, इसमें भक्ति और ध्यान दोनों के महत्व को समझाया गया है, जिससे व्यक्ति ईश्वर से जुड़ सकता है और आंतरिक संतुलन प्राप्त कर सकता है।

क्या इसमें राम का प्रतीकात्मक महत्व है?

हाँ, राम केवल एक ऐतिहासिक चरित्र नहीं हैं, बल्कि वे ध्यान और आत्मिक जागरूकता का प्रतीक हैं। ओशो के अनुसार, राम का अनुभव एक आंतरिक अवस्था है।

Additional information

Weight 490 g
Dimensions 22.89 × 15.24 × 1.79 cm
Author

Osho

ISBN

9789350832202

Pages

24

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Jr Diamond

ISBN 10

9350832208