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Naya Savera (नया सवेरा)-0
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Naya Savera (नया सवेरा)in Hindi-In Paperback

Original price was: ₹300.00.Current price is: ₹299.00.

किताब के बारे में

नया सवेरा -: तथ्य, इतिहास, हृदयस्पर्शी नेहाख्यान इस सब के मध्य से गुजरते हुए यह उपन्यास 1975 में लगाये गये आपातकाल की घटनाओं के ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित एक मर्मस्पर्शी कहानी कहता है। हिन्दी में आपातकाल की काली अंधेरी रातों के इतिहास का समुचित और प्रामाणिक अभिलेखन या डॉक्युमेंटेशन नहीं हुआ है। इक्कीस माह तक चले आपातकाल में एक लाख से अधिक लोगों को जेलों में ठूंसा गया, कितने ही निर्दोष नागरिकों को एक असंवैधानिक चौकड़ी के द्वारा किये गये अत्याचारों के भयंकर आतंक की वेदना को सहना पड़ा, हजारों-लाखों को बेघरबार हो जाना पड़ा, जिससे दिल्ली में साढे छः सौ वर्ष पूर्व के मुहम्मदशाह तुगलक के अत्याचारों की याद फिर से ताजा हो आई!
दिल्ली से भाग कर कहीं दूर एक छोटे से कस्बे में दो महीने तक छुप कर रहने को विवश विक्रम को न सिर्फ पुलिस और प्रशासन से संघर्ष करना पड़ता है, बल्कि आपातकाल के विरुद्ध उसके संघर्ष में उसके साथ जुड़ने को आतुर मंजू को लेकर भावनात्मक स्तर पर भी उसका संघर्ष चलता है। इस सबके अन्त में, 21 मार्च 1977 का नया सवेरा इस सारे संघर्ष से तप कर निकले भारत के युवा का अभिनन्दन करता है। उस कालरात्रि के प्रत्यक्षदर्शी रहे एक पत्रकार की कलम से पाठक को बाँधे रखने वाली एक मर्मस्पर्शी गाथा.

लेखक के बारे में

अनिल गोयल का जन्म 22 जून 1958 को हरियाणा में अम्बाला जिले के नारायणगढ़ में हुआ; बचपन से ही दिल्ली में रहे। 18 वर्ष की आयु में ही पत्रकारिता से जुड़ गये। हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा, आउटलुक (हिन्दी) इत्यादि में स्वतन्त्र लेखन। समकालीन भारतीय साहित्य, कादम्बिनी, नया ज्ञानोदय इत्यादि में लगातार समीक्षात्मक लेखन। हिन्दुस्तान टाइम्स, दी हिन्दू और देहली सिटी लिमिट्स इत्यादि में अंग्रेजी में भी कुछ लेखन कलाओं पर विशेष लेखन, राष्ट्रीय स्तर पर नाट्यालोचक के रूप में प्रतिष्ठित । रंगमंच के इतिहासकार के रूप में दिल्ली के उन्नीसवीं शताब्दी के रंगमंच के इतिहास पर विशिष्ट शोध। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका ‘रंग प्रसंग’ के अतिथि सम्पादक रहे। रंग प्रसंग, छायानट, संगना, नटरंग, कला वसुधा इत्यादि में लगातार लेखन। श्रेष्ठ थिएटर क्रिटिक के रूप में सम्मानित | राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की चयन समितियों तथा साहित्य कला परिषद्, दिल्ली की मूल्यांकन समिति इत्यादि के सदस्य। दो फिल्मों की स्क्रिप्ट के लेखन से जुड़े रहे।1998 में ‘म्यूजियम्स एंड कलैक्शंस ऑफ देहली’ (अंग्रेजी), 2001 में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (नेशनल बुक ट्रस्ट) के लिये ‘सरकारी सेवाओं का उपयोग’ पुस्तिका का लेखन। उपन्यास ‘कहीं खुलता कोई झरोखा’ तथा कुछ कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित। एक उपन्यास ‘सावन’ शोध एवं लेखन की प्रक्रिया में एक नाटक ‘एक थी लडकी उर्फ वे कुछ पल’ प्रकाशनाधीन ।इंडियन एयरलाइंस और बाद में एयर इंडिया में कार्यरत रहे।

उपन्यास नया सवेरा किस ऐतिहासिक घटना पर आधारित है?

यह उपन्यास भारत में 1975 में लगाए गए आपातकाल (Emergency) की पृष्ठभूमि पर आधारित है।

नया सवेरा उपन्यास का मुख्य विषय क्या है?

इसका विषय आपातकाल के दौरान हुआ अत्याचार, राजनीतिक दमन और युवाओं का संघर्ष है।

इस उपन्यास के प्रमुख पात्र कौन हैं?

विक्रम और मंजू प्रमुख पात्र हैं, जो आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं।

उपन्यास का शीर्षक नया सवेरा क्या दर्शाता है?

यह एक नई शुरुआत, स्वतंत्रता और आपातकाल के बाद के लोकतांत्रिक पुनर्जागरण का प्रतीक है।

नया सवेरा उपन्यास के लेखक कौन हैं ?

यह पुस्तक अनिल गोयल जी के द्वारा लिखी गई है I अनिल गोयल एक अनुभवी पत्रकार, नाट्यालोचक और साहित्यकार हैं। उन्होंने कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और अख़बारों में लेखन किया है।

Additional information

Weight 0.250 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.9 cm
Author

Anil Goel

Pages

264

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN10-: 9363231038