नये समाज की खोज” में ओशो ने समाज की पारंपरिक धारणाओं और विचारों पर सवाल उठाते हुए, एक ऐसे समाज की खोज की है जो प्रेम, स्वतंत्रता, और जागरूकता पर आधारित हो। यह समाज केवल बाहरी बदलावों से नहीं, बल्कि आंतरिक परिवर्तन से ही अस्तित्व में आ सकता है।
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ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
ओशो ने नए समाज की कल्पना किस प्रकार की है?
ओशो ने एक ऐसे समाज की कल्पना की है जो प्रेम, स्वतंत्रता, और आत्म-जागरूकता पर आधारित हो। उनका मानना है कि यह समाज बाहरी नियमों के बजाय आंतरिक मूल्यों पर आधारित होगा।
क्या ओशो का यह समाज पारंपरिक समाज से अलग है?
हाँ, ओशो का समाज पारंपरिक समाज से पूरी तरह भिन्न है। यह समाज व्यक्तिगत स्वतंत्रता, प्रेम और आंतरिक जागरूकता पर आधारित होगा, जहां व्यक्ति अपनी वास्तविकता को समझेगा और समाज के पुराने ढांचे को चुनौती देगा।
इसमें प्रेम और स्वतंत्रता का क्या महत्व बताया गया है?
ओशो के अनुसार, प्रेम और स्वतंत्रता नए समाज के स्तंभ होंगे। वे मानते हैं कि बिना प्रेम और स्वतंत्रता के कोई समाज जीवंत और सच्चा नहीं हो सकता
क्या यह समाज आध्यात्मिक जागरूकता पर आधारित है?
हाँ, ओशो के अनुसार, नया समाज आध्यात्मिक जागरूकता पर आधारित होगा। उनका मानना है कि व्यक्ति को बाहरी समाज से पहले अपने भीतर की दुनिया को समझना होगा।
क्या ओशो ने वर्तमान समाज की आलोचना की है?
हाँ, ओशो ने वर्तमान समाज की धारणाओं और इसके ढांचे की आलोचना की है। वे मानते हैं कि समाज अब पुरानी धारणाओं में बंधा हुआ है, जिसे बदलने की आवश्यकता है।
ओशो का नए समाज के लिए दृष्टिकोण क्या है?
ओशो का दृष्टिकोण यह है कि नया समाज तभी विकसित हो सकता है जब व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता को पहचाने और प्रेम व जागरूकता के मार्ग पर चले। यह समाज किसी बाहरी सत्ता से नहीं, बल्कि आंतरिक चेतना से संचालित होगा।
क्या यह समाज सभी के लिए समान अवसरों की बात करता है?
हाँ, यह समाज समानता और स्वतंत्रता का समर्थन करता है, जिसमें हर व्यक्ति को अपनी जीवनशैली और विचारधारा चुनने का अधिकार होगा। सभी के लिए स्वतंत्रता और सम्मान की गारंटी दी गई है।
ओशो के अनुसार समाज में सबसे बड़ी समस्या क्या है?
ओशो के अनुसार, सबसे बड़ी समस्या यह है कि समाज व्यक्ति की स्वतंत्रता और जागरूकता को दबाता है। पुराने ढांचे व्यक्ति की आत्मा को बंधन में जकड़ लेते हैं, जिससे स्वतंत्रता और प्रेम का अनुभव नहीं हो पाता।