Nishan Chunte Chunte (निशां चुनते-चुनते)

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इन कहानियों से जूझते हुए बार-बार रीतता, फिर-फिर भर आता। जान नहीं पाता कि रीतने के लिए लिखता हूँ, या रिक्त हूँ इसलिए कहानियाँ बेरोक-टोक बही आती हैं। पर एक बार जब ये कहानियाँ भीतर प्रवेश करती हैं तो लगता है कि यह सब मेरे अपने ही जीवन की कहानियाँ हैं। शायद मन के गहरे कुएं के भीतर ही कहीं कुछ ऐसा है जिससे कोई घटना, कोई व्यक्ति, कोई परिस्थिति ऐसे पकड़ लेती है कि उससे छूट पाना मुश्किल हो जाता है। लगता है उससे कोई पुराना रिश्ता है। दिल-दिमाग उसके भीतर से कुछ ढूँढकर शायद अपने ही अधूरेपन को पूरा करने की कोशिश करने लगता है।

Additional information

Author

Vivek Mishra

Pages

32

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/Nishan-Chunte—/dp/9389807158/ref=sr_1_1?dchild=1&keywords=9789389807158&qid=1629799858&sr=8-1

ISBN 10

9389807158

इन कहानियों से जूझते हुए बार-बार रीतता, फिर-फिर भर आता। जान नहीं पाता कि रीतने के लिए लिखता हूँ, या रिक्त हूँ इसलिए कहानियाँ बेरोक-टोक बही आती हैं। पर एक बार जब ये कहानियाँ भीतर प्रवेश करती हैं तो लगता है कि यह सब मेरे अपने ही जीवन की कहानियाँ हैं। शायद मन के गहरे कुएं के भीतर ही कहीं कुछ ऐसा है जिससे कोई घटना, कोई व्यक्ति, कोई परिस्थिति ऐसे पकड़ लेती है कि उससे छूट पाना मुश्किल हो जाता है। लगता है उससे कोई पुराना रिश्ता है। दिल-दिमाग उसके भीतर से कुछ ढूँढकर शायद अपने ही अधूरेपन को पूरा करने की कोशिश करने लगता है।

ISBN10-9389807158

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