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किताब के बारे में
ओशो : ध्यान और उत्सव के ओजस्वी ऋषि ओशो की अनमोल शिक्षाओं और उनके अद्वितीय दृष्टिकोण का एक संग्रह है। ओशो के प्रखर विचारों ने, ओजस्वी वाणी ने मनुष्यता के दुश्मनों पर, संप्रदायों पर, मठाधीशों पर, अंधे राजनेताओं पर, जोरदार प्रहार किया। लेकिन पत्र-पत्रिकाओं ने छापीं या तो ओशो पर चटपटी मनगढंत खबरें या उनकी निंदा की, भ्रम के बादल फैलाए। ये भ्रम के बादल आड़े आ गये ओशो और लोगों के। जैसे सूरज के आगे बादल आ जाते हैं। इससे देर हुई। इससे देर हो रही है मनुष्य के सौभाग्य को मनुष्य तक पहुंचने में।
सुख का अर्थ है: दुख गया, मगर राह देख रहा है किनारे पर खड़ा, कि कब सुख से आपका छुटकारा हो, तो मैं फिर आऊं। कभी ज्यादा दूर नहीं जाता।
डर एक काले बादल की तरह होता है जो आपकी ज़िन्दगी को ढ़क लेता है। वह आपसे वो सब करवाता है जो आप नहीं करना चाहते थे या फिर वह सब कहलवाता है जो आप नहीं कहना चाहते थे। इसलिए कभी डर से नहीं डरना चाहिए।
ओशो ध्यान जागरूकता, शांति और आंतरिक शक्ति का अनुभव करने की एक विधि है।
ओशो का मानना था कि ध्यान व्यक्ति को अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने और आंतरिक शांति पाने में मदद करता है।
ओशो के अनुसार, उत्सव बाहरी आनंद का नहीं, बल्कि आंतरिक खुशी और जीवन को पूर्णता से जीने का प्रतीक है।
Weight | 0.360 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 1.7 cm |
Author | Dr. Vasant Joshi |
Pages | 280 |
Format | Hardcover |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN10-: 935964515X
Fiction Books, Meditation, Osho, Religions & Philosophy
Diamond Books, Books, Osho, Spirituality
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