किताब के बारे में
दिव्यांग लेखक कपिलदेव प्रसाद यादव इस – पुस्तक में ईश्वर प्रतिनिधियों के अवतार एवं उनकी सत्य पारदर्शिता पर चर्मोत्कृष्ट एवं सर्वागीण तथ्य पर बल प्रवाहित किये हैं। इसके साथ-साथ मृत्यु और भगवान ओशो के अवतार के घटनाक्रम के कि साक्षी होने के कारण विश्व समुदाय के सामने यह सुनिश्चित किये हैं कि माँ के गर्भ से कोई भी भ्रूण अवतरित भगवान नहीं होता। भगवान ओशो के विचार आज भी समाज में व्याप्त हैं।
लेखक के बारे में
लेखक कपिलदेव प्रसाद यादव शरीर से दिव्यांग हैं। इनकी शिक्षा गाँव में ही हुई है और दसवीं उत्तीर्ण हैं। ये मूलतः ग्राम बसाँव (दशई रावत के टोला) थाना – बसंतपुर जिला सिवान बिहार के निवासी हैं। ये बचपन में पढ़ने में बहुत होनहार एवं दक्ष थे। इनके पिताजी स्व. नन्दकुमार रावत एक सरकारी शिक्षक थे एवं माता स्व. शिवज्योति देवी एक कुशल गृहणी थीं। लेखक चार भाई एवं दो बहनों में सबसे छोटे हैं। पिता शिक्षक होने के नाते लेखक को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए काफी प्रयास किये, किन्तु इनके अंदर सातवीं क्लास से ही पारिवारिक वैराग्य कि ज्वाला धधक पड़ी । इसलिए पढ़ाई से तौबा कर लिए एवं 19 साल की उम्र में भगवान ओशो की शरण में आकर उनके विचारों से प्रभावित हुए।
ओशो एक जीवट यह पुस्तक किस विषय पर आधारित है?
यह पुस्तक ईश्वर के प्रतिनिधियों के अवतार, उनकी सत्यता और ओशो के विचारों पर आधारित है।
लेखक कपिलदेव प्रसाद यादव कौन हैं?
कपिलदेव प्रसाद यादव एक दिव्यांग लेखक हैं, जिनकी शिक्षा गाँव में हुई है और जिन्होंने भगवान ओशो के विचारों से प्रेरणा प्राप्त की है।
ओशो एक जीवट इस पुस्तक में ओशो के बारे में क्या बताया गया है?
इस पुस्तक में ओशो के विचारों, उनके होने की अवधारणा और उनकी मृत्यु से संबंधित घटनाओं पर चर्चा की गई है।
ओशो एक जीवट इस पुस्तक में लेखक ने ओशो की मृत्यु से संबंधित कौन-से तथ्य प्रस्तुत किए हैं?
लेखक ने अपनी पुस्तक में ओशो की मृत्यु के घटनाक्रम को विस्तार से प्रस्तुत किया है।
ओशो के विचारों से लेखक कैसे जुड़े?
19 वर्ष की उम्र में लेखक ओशो की शरण में आए और उनके विचारों से गहराई से प्रभावित हुए।