भारतीय साहित्य की लोक एवं नीति कथाएं विश्व में अपना विशिष्ट स्थान नाये हुए हैं। इन लोकनीति कथाओं के स्रोत हैं, संस्कृत साहित्य की अमर कृतियां – हितोपदेश एवं पंचतंत्र।
पचतंत्र में इसके रचयिता श्री विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को राजनीति – विशारद बनाने के लिए अनेक पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर नीति की कथाएं कही हैं। वे कथाएं और उनके बीच में आयी हुई सूक्तियां आज के इस आपा-धापी के युग में निश्चय ही मानव के लिए उपयोगी हैं।
कोलमति बालकों के लिए ये कहानियां एक ओर मनोरंजन और कौतूहल की सामग्री प्रस्तुत करती हैं और दूसरी ओर उन्हें नीति-निपुण, चुस्त मानव एवं प्रबुद्ध नागरिक बनाने में सहायता करती हैं।
बालकों के लिए ही नहीं वयस्क एवं प्रौढ़ व्यक्तियों के लिए भी ये कहानियां समान रूप से उपयोगी एवं संग्रहणीय हैं।

