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पतंजलि योग सूत्र 1)-Patnjali Yog Sutra Vol. 1

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मुक्ति की कला क्या है? मुक्ति की कला और कुछ नहीं बल्कि सम्मोहन से बाहर आने की कला है; मन की इस सम्मोहित अवस्था का परित्याग कैसे किया जाए; संस्कारों से मुक्त कैसे हुआ जाए; वास्तविकता की ओर बिना किसी ऐसी धरणा के जो वास्तविकता और तुम्हारे मध्य अवरोध् बन सकती है, कैसे देखा जाए; आंखों में कोई इच्छा लिए बिना कैसे बस देखा जाए, किसी प्रेरणा के बिना कैसे बस हुआ जाए। यही तो है जिसके बारे में योग है। तभी अचानक जो तुम्हारे भीतर है और जो तुम्हारे भीतर सदैव आरंभ से ही विद्यमान है, प्रकट हो जाता है।

पंतजलि योग सूत्र 1-0
पतंजलि योग सूत्र 1)-Patnjali Yog Sutra Vol. 1
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पतंजलि योग सूत्र 1 (Vol. 1) ओशो द्वारा योग के गहन और प्राचीन सिद्धांतों पर आधारित एक गहन अध्ययन है। इस पुस्तक में ओशो पतंजलि के योग सूत्रों की विस्तृत व्याख्या करते हैं और योग साधना, ध्यान, समाधि और आत्मज्ञान की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

ओशो पतंजलि के योग के आठ अंगों – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि – पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताते हैं कि योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मा की गहराई तक जाने का मार्ग है। यह पुस्तक ध्यान और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में बढ़ने की एक अमूल्य साधना है, जो ओशो की सहज शैली में प्रस्तुत की गई है।

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About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

पतंजलि योग सूत्र 1 (Vol. 1) किस बारे में है?

यह पुस्तक पतंजलि द्वारा रचित योग सूत्रों पर आधारित है, जिसमें योग के आठ अंगों का गहन अध्ययन और समाधि की प्राप्ति का मार्गदर्शन प्रदान किया गया है। ओशो इन योग सूत्रों को गहराई से व्याख्या करते हैं।

योग के आठ अंग क्या हैं और यह पुस्तक किन्हें समझाती है?

पतंजलि योग सूत्रों में योग के आठ अंग बताए गए हैं: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा, और समाधि। ओशो इस पुस्तक में इन सभी अंगों की गहन व्याख्या करते हैं और इनका आत्मिक महत्व समझाते हैं।

क्या यह पुस्तक ध्यान और समाधि पर केंद्रित है?

हां, यह पुस्तक ध्यान और समाधि की विधियों पर केंद्रित है और योग के माध्यम से आत्मज्ञान और आंतरिक शांति की प्राप्ति पर जोर देती है।

योग सूत्र के रचयिता कौन थे?

योग सूत्र के रचयिता महर्षि पतंजलि थे। उन्होंने योग के सिद्धांतों और तकनीकों को चार अध्यायों में सूत्रबद्ध किया है, जो योग दर्शन का आधार माने जाते हैं।

पतंजलि योग सूत्र के अनुसार ध्यान क्या है?

पतंजलि योग सूत्र के अनुसार, ध्यान (Meditation) एक ऐसी अवस्था है जिसमें मन पूरी तरह से एकाग्र हो जाता है और बाहरी विचारों से मुक्त हो जाता है। इसे “चित्त वृत्ति निरोध” कहा जाता है, जिसका अर्थ है मन की चंचलताओं को नियंत्रित करना और आंतरिक शांति प्राप्त करना।

योग सूत्र कितने हैं?

पतंजलि योग सूत्र में कुल 195 सूत्र हैं, जिन्हें चार अध्यायों में विभाजित किया गया है:
समाधि पाद
साधना पाद
विभूति पाद
कैवल्य पाद

योग के जनक कौन थे?

योग के जनक माने जाते हैं महर्षि पतंजलि। हालांकि योग की उत्पत्ति भारत में प्राचीन काल से हुई है, लेकिन पतंजलि ने इसे व्यवस्थित रूप में सूत्रों में संगठित किया, जिसे आज “पतंजलि योग सूत्र” के रूप में जाना जाता है।

Additional information

Weight 590 g
Dimensions 22.86 × 15.24 × 2.42 cm
Author

Osho

ISBN

8184191316

Pages

518

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8184191316