रांगेय राघव हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस उम्र इस संसार में आए, लेकिन अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोताज लेखक के रूप में स्वयं को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी।
अगर हम बात करे उनके उपन्यास ‘पथ का पाप’ की वो एक कालजयी रचना में से एक है। अपनी अनेकों कृतियों की तरह ही उन्होंने अपने इस उपन्यास के लिए भी उन्होंने ग्रामीण परिवेश को ही आधार बना क्र लिखा है। उन्होंने अपने इस उपन्यास में स्वाधीन भारत के ग्रामीण जीवन में आये बदलाव के साथ-साथ धार्मिक रूढ़ियों का बड़ा ही मार्मिक और यथार्थ चित्रण किया है।
Path Ka Paap (पथ का पाप)
₹150.00
Out of stock
रांगेय राघव हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस उम्र इस संसार में आए, लेकिन अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोताज लेखक के रूप में स्वयं को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी।
अगर हम बात करे उनके उपन्यास ‘पथ का पाप’ की वो एक कालजयी रचना में से एक है। अपनी अनेकों कृतियों की तरह ही उन्होंने अपने इस उपन्यास के लिए भी उन्होंने ग्रामीण परिवेश को ही आधार बना क्र लिखा है। उन्होंने अपने इस उपन्यास में स्वाधीन भारत के ग्रामीण जीवन में आये बदलाव के साथ-साथ धार्मिक रूढ़ियों का बड़ा ही मार्मिक और यथार्थ चित्रण किया है।
Additional information
Author | Rangeya Raghav |
---|---|
ISBN | 9789359643274 |
Pages | 96 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/path-ka-paap-hindi/p/itm053353c5a48a8?pid=9789359643274 |
ISBN 10 | 9359643270 |