Call us on: +91-9716244500

Free shipping On all orders above Rs 600/-

We are available 10am-5 pm, Need help? contact us

Sale!

Phir Aae Ram Ayodhya Mein : Ramkatha-PB (फिर आए राम अयोध्या में : रामकथा)

Original price was: ₹250.00.Current price is: ₹249.00.

पुस्तक के बारे में

फिर आए राम अयोध्या में : रामकथा पुस्तक में उन्होंने रामकथा के माध्यम से ऐसे प्रभु राम की अनुपम झाँकी उपस्थित की है, जो दिव्य हैं, मनोहर हैं, बहुत बड़ी आस्था और प्रेरणा के केंद्र हैं। मन को मुग्ध करते हैं और पल में कुछ का कुछ कर देते हैं। प्रकाश मनु जी की इस सुंदर रामकथा को पढ़कर पाठक जानेंगे कि राम का व्यक्तित्व कितना बड़ा, कितना महान है। जीवन में कितने कष्ट उठाए उन्होंने, पर न तो सच्चाई की लीक छोड़ी और न अपनी मर्यादा। इसीलिए तो उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहा गया है।

फिर आए राम अयोध्या में: रामकथा एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो प्रभु श्रीराम की अयोध्या वापसी और रामायण के आदर्शों को आधुनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक न केवल रामायण के प्रमुख प्रसंगों का वर्णन करती है, बल्कि उनके नैतिक, धार्मिक, और सामाजिक आदर्शों का गहराई से विश्लेषण भी करती है।पुस्तक में श्रीराम के जीवन के हर पहलू को सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इसमें उनके आदर्श नेतृत्व, धैर्य, और करुणा को प्रमुखता दी गई है। पुस्तक यह भी बताती है कि रामायण के आदर्श आज के जीवन में कितने प्रासंगिक हैं और उन्हें अपनाकर समाज को बेहतर बनाया जा सकता है।यह पुस्तक छात्रों, शोधकर्ताओं, और रामकथा में रुचि रखने वाले सभी पाठकों के लिए आदर्श है। सरल भाषा और कथा शैली इसे पढ़ने में रोचक और समझने में आसान बनाती है। यह पुस्तक जीवन के नैतिक मूल्यों और भारतीय संस्कृति के महत्व को समझने का एक उत्कृष्ट माध्यम है।

लेखक के बारे में

प्रकाश मनु – सुप्रसिद्ध साहित्यकार, संपादक और बच्चों के प्रिय लेखक । मूल नाम : चंद्रप्रकाश विग ।
जन्म : 12 मई, 1950 को शिकोहाबाद, उत्तर प्रदेश में।
शिक्षा : आगरा कॉलेज, आगरा से भौतिक विज्ञान में एम.एस-सी. (1973)। फिर साहित्यिक रुझान के कारण जीवन का सारा ताना-बाना ही बदल गया। पूरा जीवन लिखने-पढ़ने के लिए समर्पित करने का निश्चय। लगभग ढाई दशकों तक बच्चों की लोकप्रिय पत्रिका ‘नंदन’ के संपादन से जुड़े रहे। अब स्वतंत्र लेखन प्रसिद्ध साहित्यकारों के संस्मरण, आत्मकथा तथा बाल साहित्य से जुड़ी कुछ बड़ी योजनाओं पर काम कर रहे हैं। मनु जी के ‘यह जो दिल्ली है’, ‘कथा सर्कस’ और ‘पापा के जाने के बाद’ उपन्यास बहुत चर्चित हुए। ‘अंकल को विश नहीं करोगे’, ‘अरुंधती उदास है’, ‘मिसेज मजूमदार’, ’21 श्रेष्ठ कहानियाँ’, ‘तुम याद आओगे लीलाराम’ और ‘प्रकाश मनु की लोकप्रिय कहानियाँ’ समेत कोई डेढ़ दर्जन संग्रह ‘एक और प्रार्थना’ और ‘छूटता हुआ घर’ कविता संकलन खासे सराहे गए। ‘मेरी आत्मकथा : रास्ते और पगडंडियाँ’, ‘मैं मनु’, ‘यादें घर-आँगन की’ तथा ‘मैं और मेरी जीवन कहानी’ में लेखक होने की रोमांचक कथा ।बाल साहित्य का पर्याय कहे जाने वाले प्रकाश मनु जी की बच्चों के लिए विभिन्न विधाओं की डेढ़ सौ से अधिक रुचिकर पुस्तकें हैं, जिन्हें बच्चे ही नहीं, बड़े भी ढूँढ़- ढूँढ़कर पढ़ते हैं। इनमें प्रमुख हैं- प्रकाश मनु की चुनिंदा बाल कहानियाँ, मेरे मन की बाल कहानियाँ, धमाल – पंपाल के जूते, एक स्कूल मोरों वाला, खुशी का जन्मदिन, मैं जीत गया पापा, मातुंगा जंगल की अचरज भरी कहानियाँ, मेरी प्रिय बाल कहानियाँ, बच्चों की 51 हास्य कथाएँ, गंगा दादी जिंदाबाद, किस्सा एक मोटी परी का, चश्मे वाले मास्टर जी (कहानियाँ), प्रकाश मनु के संपूर्ण बाल उपन्यास (दो खंड), गोलू भागा घर से, एक था ठुनदुनिया, चीनू का चिड़ियाघर, नन्ही गोगो के कारनामे, पुंपू और पुनपुन, नटखट कुप्पू के अजब-अनोखे कारनामे, खजाने वाली चिड़िया (उपन्यास), मेरी संपूर्ण बाल कविताएँ, प्रकाश मनु की 100 श्रेष्ठ बाल कविताएँ, बच्चों की एक सौ एक कविताएँ, मेरी प्रिय बाल कविताएँ, मेरे प्रिय शिशुगीत(कविताएँ), प्रकाश मनु के श्रेष्ठ बाल नाटक, मुनमुन का छुट्टी क्लब, बच्चों के अनोखे हास्य नाटक, बच्चों के रंग-रंगीले नाटक ( बाल नाटक ), विज्ञान फंतासी कथाएँ, अजब अनोखी विज्ञान कथाएँ, अद्भुत कहानियाँ ज्ञान-विज्ञान की (बाल विज्ञान साहित्य )।हिंदी में बाल साहित्य का पहला बृहत् इतिहास ‘हिंदी बाल साहित्य का इतिहास’ लिखा। इसके अलावा ‘हिंदी बाल कविता का इतिहास’, ‘हिंदी बाल साहित्य के शिखर व्यक्तित्व’, ‘हिंदी बाल साहित्य के निर्माता’ और ‘हिंदी बाल साहित्य : नई चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ पुस्तकें भी हैं। कई पुस्तकों का पंजाबी, सिंधी, मराठी, गुजराती, कन्नड़ समेत अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद |पुरस्कार : बाल उपन्यास ‘एक था ठुनठुनिया’ पर साहित्य अकादेमी का पहला बाल साहित्य पुरस्कार। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के ‘बाल साहित्य भारती’ पुरस्कार और हिंदी अकादमी के ‘साहित्यकार सम्मान’ से सम्मानित । कविता-संग्रह ‘छूटता हुआ घर’ पर प्रथम गिरिजाकुमार माथुर स्मृति पुरस्कार

फिर आए राम अयोध्या में” पुस्तक किस पर आधारित है?

यह पुस्तक प्रभु श्रीराम की अयोध्या वापसी और उनके जीवन के आदर्शों पर आधारित है।

फिर आए राम अयोध्या में : रामकथा क्या यह पुस्तक रामायण का भाग है?

यह रामायण के प्रेरक प्रसंगों और उनके आधुनिक संदर्भों का वर्णन करती है।

क्या “फिर आए राम अयोध्या में” आज के समय में प्रासंगिक है?

हां, यह पुस्तक रामायण के आदर्शों को आधुनिक संदर्भ में समझाने का प्रयास करती है।

फिर आए राम अयोध्या में : रामकथा पुस्तक का मुख्य उद्देश्य क्या है?

रामकथा के आदर्शों को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना और उनकी प्रासंगिकता को समझाना।

क्या इसमें अयोध्या के सांस्कृतिक महत्व का वर्णन है?

हां, इसमें अयोध्या के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाया गया है।

Additional information

Weight 0.20 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.6 cm
Author

Prakash Manu

Pages

256

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

फिर आए राम अयोध्या में: रामकथा एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो प्रभु श्रीराम की अयोध्या वापसी और रामायण के आदर्शों को आधुनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक न केवल रामायण के प्रमुख प्रसंगों का वर्णन करती है, बल्कि उनके नैतिक, धार्मिक, और सामाजिक आदर्शों का गहराई से विश्लेषण भी करती है।पुस्तक में श्रीराम के जीवन के हर पहलू को सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इसमें उनके आदर्श नेतृत्व, धैर्य, और करुणा को प्रमुखता दी गई है। पुस्तक यह भी बताती है कि रामायण के आदर्श आज के जीवन में कितने प्रासंगिक हैं और उन्हें अपनाकर समाज को बेहतर बनाया जा सकता है।यह पुस्तक छात्रों, शोधकर्ताओं, और रामकथा में रुचि रखने वाले सभी पाठकों के लिए आदर्श है। सरल भाषा और कथा शैली इसे पढ़ने में रोचक और समझने में आसान बनाती है। यह पुस्तक जीवन के नैतिक मूल्यों और भारतीय संस्कृति के महत्व को समझने का एक उत्कृष्ट माध्यम है।

ISBN 10-: 9363189910

SKU 9789363189911 Category Tags ,

Customers Also Bought