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Pita Ka Patra Putri Ke Naam in Hindi (पिता का पत्र पुत्री के नाम)-1
Pita Ka Patra Putri Ke Naam in Hindi (पिता का पत्र पुत्री के नाम)-1
Pita Ka Patra Putri Ke Naam in Hindi (पिता का पत्र पुत्री के नाम)-1

Pita Ka Patra Putri Ke Naam in Hindi (पिता का पत्र पुत्री के नाम) Hindi Translation of Letters from a Father to his Daughter by Jawaharlal Nehru-In Paperback

Original price was: ₹200.00.Current price is: ₹199.00.

किताब के बारे में

इतिहास के अध्ययन एवं साम्राज्यवादी लूटतंत्र की पीड़ा ने उन्हें भारत की आजादी के आंदोलन में कर्मठ देशभक्त के रूप में सामने किया।’ आजादी के आंदोलन के दिनों में जेल तथा उससे बाहर लिखे उनके पत्र उनकी गहन विवेक-वयस्कता, स्वाधीन-चिंतन और चिंतन की स्वाधीनता, दृष्टि की वैज्ञानिकता एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रति जागरूकता का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं। नेहरू जी ने अपनी पुत्री श्रीमती इंदिरा नेहरू को जो पत्र लिखे हैं, उनमें एक पिता का उच्छलित हृदय है और बेटी को अच्छी से अच्छी राह पर चलाने की शिक्षा का एक गौरवमय इतिहास है।स्वंत्रत भारत के प्रथम अधिनायक पं नेहरू अपनी राजनीतिक कुटनीति के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कूटनीति ने परतंत्र भारत की स्वाधीनता में जितनी सहायता पहुँचाई उससे कहीं ज्यादा आजाद भारत को ठोस बनाने में। उनके कार्यकाल में जब विश्व के कई महाशक्तियों ने भविष्यवाणी कर दी थी कि भारत टिक नहीं पायेगा तब ऐसी परिस्थिति में भारत का एक ऐसा नेता जिसे दुनिया की कई महाशक्तियाँ अपने खेमे में लेना चाहती थी लेकिन उन्होंने असहाय भारत का नेतृत्व कर उसे मजबूत बनाने का निर्णय लिया और उसे ऐसी ऊँचाइयों पर पहुँचाया, जैसे आग का दरिया पार करना। और यह मुमकिन हो सका क्योंकि उन्हें देश-दुनिया और इतिहास का अध्ययन था व उनकी दृष्टि दूरगामी थी।परंतु संपूर्ण जीवन में राजनीतिक सक्रियता के बाद भी उनके भीतर प्रेम और सद्भाव का कोष कभी रिक्त नहीं हो पाया। इस प्रेम को उन्होंने समाज व परिवार पर समान रूप से अर्पित किया। वह लगातार अपनी बेटी इंदिरा नेहरू से बातचीत करते थे और उन्हें राजनीति, समाज व देश-दुनिया के प्रति जागरूक करने हेतु पत्रों को माध्यम बनाते थे। फिर चाहे वह जेल में रहकर हो या उसके बाहर।इसके अतिरिक्त जेल यात्रा के दौरान उन्होंने पूर्व और पश्चिम के विभिन्न देशों के दर्शन, सिद्धान्तों को पढ़ते-समझते हुए वर्ष १९३३ से लेकर लगभग १९४० तक अपने विचारों को इन पत्रों में अभिव्यक्त किया है जिनका सार रूप यहाँ प्रस्तुत है। आशा है यह जानकारी पाठकों का ज्ञानवर्धन करेगी

लेखक के बारे में

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता और देश के पहले प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में हुआ था। नेहरू ने भारत को एक आधुनिक राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने देश में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया। नेहरू ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने कई बार जेल यात्राएं कीं और देश की आजादी के लिए अथक प्रयास किए। भारत की आजादी के बाद, नेहरू ने देश के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। उन्होंने पंचशील के सिद्धांतों को आगे बढ़ाया और भारत को एक अग्रणी राष्ट्र बनाने का सपना देखा। नेहरू एक कुशल वक्ता और लेखक भी थे। उनकी पुस्तक ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ दुनिया भर में पढ़ी जाती है। उन्होंने बच्चों के लिए भी कई किताबें लिखीं। नेहरू का निधन 27 मई, 1964 को हुआ। उन्हें भारत का एक महान नेता माना जाता है।

मुख्य बिंदु:
भारत के पहले प्रधानमंत्री
स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता
लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समर्थक
पंचशील के सिद्धांतों को आगे बढ़ाया
एक कुशल वक्ता और लेखक

Additional information

Weight 0.100 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 0.7 cm
Author

Jawaharlal Nehru

Pages

120

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN10-: 9369396845