प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी को निश्चित परिप्रेक्ष्य और कलात्मक आधर दिया। उनकी कहानियां परिवेश बुनती हैं। पात्रा चुनती हैं। उसके संवाद बिलकुल उसी भाव-भूमि से लिए जाते हैं जिस भाव-भूमि में घटना घट रही है। इसलिए पाठक कहानी के साथ अनुस्यूत हो जाता है। प्रेमचंद यथार्थवादी कहानीकार हैं, लेकिन वे घटना को ज्यों का त्यों लिखने को कहानी नहीं मानते। यही वजह है कि उनकी कहानियों में आदर्श और यथार्थ का गंगा-जमुनी संगम है। कथाकार के रूप में प्रेमचंद अपने जीवनकाल में ही किंवदंती बन गये थे। उन्होंने मुख्यतः ग्रामीण एवं नागरिक सामाजिक जीवन को कहानियों का विषय बनाया। उनकी कथायात्रा में श्रमिक विकास के लक्षण स्पष्ट हैं, यह विकास वस्तु विचार, अनुभव तथा शिल्प सभी स्तरों पर अनुभव किया जा सकता है। उनका मानवतावाद अमूर्त भावात्मक नहीं, अपितु सुसंगत यथार्थवाद है।
लेखक के बारे में
धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे।
पुस्तक के बारे में
प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी को निश्चित परिप्रेक्ष्य और कलात्मक आधर दिया। उनकी कहानियां परिवेश बुनती हैं। पात्रा चुनती हैं। उसके संवाद बिलकुल उसी भाव-भूमि से लिए जाते हैं जिस भाव-भूमि में घटना घट रही है। इसलिए पाठक कहानी के साथ अनुस्यूत हो जाता है। प्रेमचंद यथार्थवादी कहानीकार हैं, लेकिन वे घटना को ज्यों का त्यों लिखने को कहानी नहीं मानते। यही वजह है कि उनकी कहानियों में आदर्श और यथार्थ का गंगा-जमुनी संगम है। कथाकार के रूप में प्रेमचंद अपने जीवनकाल में ही किंवदंती बन गये थे। उन्होंने मुख्यतः ग्रामीण एवं नागरिक सामाजिक जीवन को कहानियों का विषय बनाया। उनकी कथायात्रा में श्रमिक विकास के लक्षण स्पष्ट हैं, यह विकास वस्तु विचार, अनुभव तथा शिल्प सभी स्तरों पर अनुभव किया जा सकता है। उनका मानवतावाद अमूर्त भावात्मक नहीं, अपितु सुसंगत यथार्थवाद है।
लेखक के बारे में
धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।
प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां किस बारे में है?
यह पुस्तक मुंशी प्रेमचंद की चुनिंदा कहानियों का संग्रह है, जो समाज, मानवता, और जीवन की गहराइयों को छूती हैं। इसमें प्रेमचंद की सबसे प्रसिद्ध कहानियाँ शामिल हैं, जो उनकी लेखनी का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं।
क्यों प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां को पढ़ना चाहिए?
यह संग्रह भारतीय समाज और उसकी चुनौतियों का सजीव चित्रण करता है। प्रेमचंद की कहानियाँ मानवीय संघर्ष, सामाजिक असमानता, और नैतिकता के मुद्दों पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
प्रेमचंद की कहानियों का क्या महत्व है?
प्रेमचंद की कहानियाँ भारतीय समाज की सच्चाइयों को प्रकट करती हैं और पाठकों को जीवन की गहरी समझ प्रदान करती हैं। उनकी कहानियाँ हिंदी साहित्य के शिखर पर मानी जाती हैं और इन्हें पढ़कर समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।
प्रेमचंद की कुल कितनी कहानियां हैं?
प्रेमचंद, जिन्हें हिंदी और उर्दू साहित्य का एक महत्वपूर्ण लेखक माना जाता है, ने लगभग 300 कहानियाँ लिखीं। उनकी कहानियों में सामाजिक मुद्दों, किसान की स्थिति, और मानवता की जटिलताओं को बारीकी से प्रस्तुत किया गया है। उनके कुछ प्रसिद्ध संग्रहों में u0022गबन,u0022 u0022बूढ़ी काकी,u0022 और u0022कफनu0022 शामिल हैं।
प्रेमचंद क्यों प्रसिद्ध थे?
प्रेमचंद सामाजिक मुद्दों और किसानों की समस्याओं को अपनी रचनाओं में उजागर करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी सादगी और स्पष्टता से लिखी गई कहानियाँ आम पाठकों को आसानी से आकर्षित करती हैं। मानवता और नैतिक मूल्यों की गहरी समझ के कारण वे हिंदी और उर्दू साहित्य के महानतम लेखकों में गिने जाते हैं।