द्रौपदी मुर्मू भारत की नवनिर्वाचित 15वीं राष्ट्रपति हैं। उन्हें किसी और परिचय की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अगर आप ओडिशा के एक अनजान आदिवासी गांव से देदीप्यमान रायसीना हिल्स तक की उनकी अद्भुत यात्रा के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके पढ़ने लायक है। द्रौपदी के साधारण किन्तु असाधारण जीवन- उनकी आदिवासी पृष्ठभूमि, उनके संघर्षों और विजयों, व्यक्तिगत त्रासदियों और विपत्तियों के बारे में प्रोफेसर गोपाल शर्मा की लेखनी से निकली यह उत्कृष्ट जीवनी आपको अपने साथ बांध ले जाएगी।
पुस्तक को तैयार करने के लिए लेखक ने राष्ट्रपति मुर्मू के पैतृक गांव की यात्रा की और ग्राम वासियों से मिलकर इस कहानी का ताना-बाना बुना। पुस्तक न केवल आपको उनके जीवन से परिचित कराती है बल्कि आपको यह समझने और विचार करने का अवसर भी देती है कि कैसे एक राजनीतिक व्यवस्था में जहां वंशवादी राजनीति और अकूत धन -संपत्ति लंबे समय से हावी रही है, मितव्ययी साधनों और संसाधनों वाले व्यक्ति को भी अपनी ईमानदार कोशिशों की बदौलत असाधारण सफलता और चरम उपलब्धि प्राप्त हो सकती है। अपने आप में अग्रगण्य द्रौपदी मुर्मू एक ऐसा प्रतीक हैं जिन्हें आप और अधिक समावेशी दुनिया की आशा में आइकन(अनुकरणीय आदर्श प्रतीक) के रूप में देख सकते हैं।
प्रेरक व्यक्तित्व की प्रेरणास्पद गाथा -पठनीय ही नहीं संग्रहणीय भी!
About Author
हिंदी और अंग्रेजी दोनों में डॉक्टरेट और चार विषयों में एम.ए. के साथ ही एम.फिल. (दो स्वर्ण पदक), एम.एड., पी.जी.डी.टी.ई. (सी.आई.एफ.एल.) आदि शैक्षणिक उपाधिधारक। देश के पाँच नगरों और विश्वविद्यालयों (हरिद्वार, बेंगलुरु, हैदराबाद, जयपुर, भोपाल) और अफ्रीका (गैरयूनिस, बेनगाजी, वोलेगा-निक्मत, अरबा मींच) के 4 विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी भाषा शिक्षण (ई.एल.टी.) और अंग्रेजी साहित्य के विशेषज्ञ प्रोफेसर के रूप में लगभग चार दशकों तक कार्य। अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों में सक्रिय भागेदारी। 56 अंग्रेजी शोध-पत्रों का प्रकाशन। हिंदी और अंग्रेजी में समान गति से पुस्तकाकार लेखन भी। 2022 तक 50 पुस्तकों का लेखन। अकादमिक पुस्तकों के अतिरिक्त नेल्सन मंडेला, नादिया मुराद, जाक देरिदा, मुंशी प्रेमचंद, गौरी दत्त, नरेंद्र मोदी, राम नाथ कोविंद, रमेश पोखरियाल निशंक और कमला हैरिस आदि पर एकाधिक अंग्रेजी- हिंदी पुस्तकें देश-विदेश के प्रतिष्ठित प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित। दक्षिण की साहित्यिक पत्रकारिता और रचनाकारों में जान-पहचान और यथायोग्य प्रतिष्ठा ।