“नारद माने वह ॠषि जो तुम्हें अपने केन्द्र से जोड़ देते हैं, अपने आप से जोड़ देते हैं। नारद महर्षि का नाम तो विख्यात है, सब ने सुना है। जहां जाएं वहां कलह कर देते हैं नारद मुनि। कलह भी वही व्यक्ति कर सकता है जो प्रेमी हो, जिसके भीतर एक मस्ती है। जो व्यक्ति परेशान है वह कलह नहीं पैदा कर सकता है, वह झगड़ा करता है। झगड़ा और कलह में भेद है। जिनकी दृष्टि में समस्त जीवन एक खेल हो गया है वह व्यक्ति तुम्हें भक्ति के बारे में बताते हैं-भक्ति क्या है- अथातो भक्ति व्याख्यास्याम।
असल में भक्ति व्याख्या की चींज नहीं है। व्याख्या दिमाग की चीज होती है, भक्ति एक समझ् दिल की होती है, प्रेम दिल का होता है, व्याख्या दिमाग की होती है। व्यक्ति का जीवनपूर्ण तभी होता है जब दिल और दिमाग का सम्मिलन हो।