किताब के बारे में
महिला सशक्तिकरण : सम्मान, समृद्धि और सुदृढ़ता -: भारत के चौतरफा विकास की गाथा लिखने के क्रम में आधी आबादी के योगदान को कतई नकारा नहीं जा सकता। देश में महिला सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय नीति (2001) बनाए जाने के बाद उनके कदम सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक, शैक्षणिक और आर्थिक क्षेत्र में सुदृढ़ संकल्प के साथ उठे जरूर, लेकिन उन्हें बीते एक दशक में जो कुछ हासिल हुआ वह केंद्र और राज्य सरकारों से मिली हर स्तर की नीतिगत कार्य योजनाएं, निर्धारित लक्ष्य, उद्देश्य, सुरक्षा, सुविधाएं, सहूलियतें और विशेष सम्मान की बदौलत ही संभव हो पाया। इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा संचालित कार्य-नीति से हर वर्ग की महिलाओं को मिलने वाला लाभबेमिसाल साबित हुआ, जिससे उनका न केवल जीवन स्तर और रहन-सहन में व्यापक सुधार आया, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक दायित्व के प्रति उनका नजरिया ही बदल गया और खुद को बेहतर बनाने से लेकर हर क्षेत्र में ऊंची उड़ान भरने तक की अनगिनत मिसालें बनाती चली गई… उनमें जिस तरह आत्मसम्मान के साथ आत्मविश्वास की भावना भर गई है, वह भारत में महिला सशक्तिकरण की पुष्टि करता है…
लेखक के बारे में
कु.राजीव रंजन सिंह बचपन से ही ऊर्जावान एवं जनसरोकारों के प्रति सजगता से कुमार राजीव रंजन सिंह बहुत कम उम्र में देश के अग्रणी पंक्ति के युवा नेताओं में शुमार हो गए। कर्मठ और नेतृत्व क्षमता के धनी राजीव रंजन की सरोकारों की इसी राजनीति के कारण देश के युवा नेताओं में अपनी अलग छवि है। उनकी राजनीतिक और सामाजिक यात्रा हमेशा से देश के युवाओं के लिए और युवाओं के साथ रही है।छात्र जीवन से ही राजीव रंजन की राजनीतिक एवं राष्ट्रीय मुद्दों में गहरी रुचि थी। देश के सामने तमाम चुनौतियों और समस्याओं से उद्वेलित राजीव रंजन छात्र नेता रहने के दौरान ही राष्ट्रीय राजनीति में गहराई तक जुड़ गए और समसामयिक मुद्दों को उठाते रहे। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ा उनकी राजनीति मुख्य रूप से युवाओं के साथ जुड़कर उनके मुद्दों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने की रही है। राजीव रंजन सभी के लिए समान अवसरों के पक्षधर रहे हैं और इसके लिए सतत प्रयत्नशील भी। यह जनपक्षधरता उन्हें युवा तुर्क और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पास ले गई और जल्द ही वे समाजवादी छात्र जनता के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए।युवाओं का सशक्तीकरण राजीव रंजन का प्रिय विषय है। इसीलिए वर्ष 2007 में उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के एनजीओ ‘युवा..एक आंदोलन’ की स्थापना की। इसके अलावा उन्होंने नेहरू युवा केंद्र तथा युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से ‘महात्मा गांधी युवा सूचना केंद्र (MYGYIC-COM)’ की शुरुआत की ।राजीव रंजन उन लोगों में थे जिन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की परिवर्तनकारी संभावनाओं और युवाओं के सशक्तीकरण के लिए उनकी गंभीरता को पहचाना । श्री मोदी के नेतृत्व में युवाओं से जुड़े मुद्दों के केंद्र में आने से प्रभावित होकर वे ‘यंग इंडिया’ से जुड़ गए। श्री राजीव रंजन ने बदलते भारत के बदलते राजनीतिक परिदृश्य में बौद्धिक प्रतिभाओं की जरूरत को देखते हुए एक ऐसी संस्था की कल्पना की जो सामाजिक, आर्थिक विकास के साथ लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती में भी सहायक हो । इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने 2022 में एक थिंक टैंक ‘इंडिया सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एंड डेवलपमेंट’ (ICPRD) की स्थापना की ।युवा सशक्तीकरण के प्रति प्रतिबद्ध कुमार राजीव रंजन सिंह देश की प्रगति एवं उन्नति के लिए सामूहिकता में विश्वास करते हैं।
महिला सशक्तिकरण : सम्मान, समृद्धि और सुदृढ़ता पुस्तक का मुख्य विषय क्या है?
यह पुस्तक महिलाओं के सशक्तिकरण, उनके अधिकारों, सामाजिक स्थिति और आर्थिक स्वतंत्रता पर केंद्रित है।
महिला सशक्तिकरण : सम्मान, समृद्धि और सुदृढ़ता पुस्तक में महिला शिक्षा के महत्व पर क्या कहा गया है?
पुस्तक में महिला शिक्षा को सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण साधन बताया गया है। शिक्षा, स्वरोजगार, डिजिटल साक्षरता, कानूनी जागरूकता और आर्थिक स्वतंत्रता के माध्यम से महिलाओं की आत्मनिर्भरता बढ़ाई जा सकती है।
ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?
स्वयं सहायता समूह, ग्रामीण रोजगार योजनाएं, कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
महिला सशक्तिकरण के किन प्रमुख क्षेत्रों में सुधार देखने को मिला है?
सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक, शैक्षणिक और आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी और प्रभाव में सुधार हुआ है।
केंद्र और राज्य सरकारों की किन योजनाओं ने महिला सशक्तिकरण में योगदान दिया है?
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘उज्ज्वला योजना’, ‘महिला सुरक्षा कानून’, ‘सेल्फ हेल्प ग्रुप’ जैसी योजनाएं महिला सशक्तिकरण में सहायक रही हैं।