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Rajyog by Swami Vivekananda in Hindi (राजयोग)-In Paperback

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ISBN10-: 9363208141

किताब के बारे में

राजयोग -: स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित ‘राजयोग’ पतंजलि के योग सूत्रों पर आधारित एक प्रभावशाली कृति है। यह पुस्तक मन की गहराइयों को समझने और उसे नियंत्रित करने के वैज्ञानिक तरीकों पर प्रकाश डालती है। इसमें ध्यान, धारणा, प्रत्याहार, प्राणायाम और समाधि जैसे योग के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। विवेकानंद ने जटिल दार्शनिक विचारों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया है, जिससे यह आध्यात्मिक साधकों और जिज्ञासुओं दोनों के लिए सुलभ हो जाती है। ‘राजयोग’ आत्म-ज्ञान और आंतरिक शांति की प्राप्ति के लिए एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका है। स्वामी विवेकानंद का प्राजयोगष् ग्रंथ आज भी योग और ध्यान के जिज्ञासुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह ग्रंथ हमें अपने मन को समझने, नियंत्रित करने और आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करता है।

लेखक के बारे में

स्वामी विवेकानंद, जिनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, इनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता उच्च न्यायालय में अटॉर्नी (वकील) थे और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं। बचपन से ही नरेंद्र कुशाग्र बुद्धि के थे और उनकी धर्म तथा आध्यात्म में गहरी रुचि थी।शुरुआत में वे ब्रह्म समाज से जुड़े, लेकिन उन्हें वहां संतोष नहीं मिला। अपनी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए वे कई साधु-संतों के पास गए और अंततः उन्हें रामकृष्ण परमहंस में अपना गुरु मिला। रामकृष्ण परमहंस के रहस्यमय व्यक्तित्व और शिक्षाओं ने नरेंद्र के जीवन को पूरी तरह बदल दिया।25 वर्ष की आयु में नरेंद्रनाथ ने संन्यास ले लिया और ‘विवेकानंद’ के नाम से जाने जाने लगे। उन्होंने पूरे भारतवर्ष की पैदल यात्रा की और देश की गरीबी और दुर्दशा को करीब से देखा। उनका मानना था कि ‘मेरा ईश्वर दुखी, पीड़ित हर जाति का निर्धन मनुष्य है। 1893 में, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमेरिका) में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत और सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया। उनके प्रभावशाली भाषण ने पश्चिमी दुनिया को भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता से परिचित कराया। उन्होंने वेदांत और योग को पश्चिमी देशों में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उन्होंने 1897 में अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की। यह मिशन शिक्षा, चिकित्सा सहायता, आपदा राहत और जनजातियों के कल्याण जैसे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से संलग्न है। स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो’ का नारा दिया।वे भारतीय राष्ट्रवाद के प्रमुख प्रतीक और एक देशभक्त संत के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्मदिन 12 जनवरी को भारत में ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 4 जुलाई, 1902 को मात्र 39 वर्ष की अल्पायु में स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।

राजयोग किसने लिखा है और यह किस दर्शन पर आधारित है?

यह ग्रंथ स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखा गया है और यह महर्षि पतंजलि के योगसूत्रों पर आधारित है।

राजयोग का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इसका उद्देश्य है मन को नियंत्रित कर आत्म-ज्ञान और समाधि की ओर बढ़ना।

स्वामी विवेकानंद ने इस पुस्तक में योग के कौन-कौन से अंगों का वर्णन किया है?

उन्होंने ध्यान, धारणा, प्रत्याहार, प्राणायाम और समाधि जैसे योग-अंगों का विस्तार से वर्णन किया है।

राजयोग को क्यों व्यावहारिक मार्गदर्शिका कहा जाता है?

क्योंकि यह मन के नियंत्रण और आत्म-ज्ञान की स्पष्ट एवं क्रियात्मक विधियाँ बताती है।

राजयोग में मन को समझने और नियंत्रित करने की प्रक्रिया क्या है?

इसके लिए विवेकानंद ने प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि का अभ्यास बताया है।

Additional information

Weight 0.100 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 0.5 cm
Pages

104

Language

Hindi

Format

Paperback

Publisher

Diamond Books