Raat Virane Main Kuch Aur Bhi Lagti Hai Gahri (रात वीराने में कुछ और भी लगती है गहरी)
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- About the Book
- Book Details
मोना वर्मा का जन्म सन 1940 में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में हुआ। बंटवारे के पश्चात उनका परिवार हिंदुस्तान के जोधपुर में आ गया। कुछ वर्षों के बाद वे मुंबई आ गये जहाँ मोना वर्मा ने अपनी पढ़ाई पूरी की। 1964 में अपनी शादी के पश्चात् वे पति के साथ मुंबई से दिल्ली, दिल्ली से कोलकाता और फिर कोलकाता से मुंबई लौट आयी। इन्हीं दिनों में उनकी रूचि पाक कला में हुई तथा वे एक अच्छी कुकरी टीचर के रूप में प्रख्यात हुई। कोलकाता में इन्होंने लोरेटो कांवेंट में पढ़ाया और मुंबई में तो इनके कुकरी क्लास बहुत मशहूर थी।
इस बीच इन्होंने रेकी और ब्यूटिशियन की शिक्षा प्राप्त की । सामाजिक सेवा में भी इनका काफी योगदान रहा तथा वे लायनीझम में भी काफी सक्रीय रहीं। कविता लिखना इनका एक शौक है और जिन्दगी के हर पहलु पर उन्हें जो भी महसूस हुआ उसे कागज पर बड़ी सरलता से लिख डालती है और वे आज भी काव्यलेखन के क्षेत्र में सक्रिय है।
पति के सेवानिवृत्त होने के पश्चात वे 2004 से नागपुर में बस गई । यहाँ भी इनके कामकाज का काफी बड़ा दायरा है। वे नागपुर के ‘The Hitavada’ अखबार में 14 वर्षों तक weekly cookery column लिखती रही तथा NCWI के Nagpur Chapter में काफी सक्रिय रहीं।
जिस समाज में वो 1964 में प्रेम विवाह करके आयी थी उसी समाज ने उन्हें 2016 में ‘समाज गौरव’ करके अलंकृत किया।
यहीं नहीं, 74 वर्ष की होते हुए भी इन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की 8 वर्ष की विशारद की पढ़ाई 2014 में वर्ष पूर्ण की।
इन्हें एक बेटा एक बेटी है। बड़ा बेटा अमेरिका में तथा छोटी बेटी दिल्ली में अपने परिवार के साथ बस गयी है। अब मोना और अशोक जी नागपुर छोड़ नोएडा में बस गये हैं ।
Additional information
Author | Mona Asoka Verma |
---|---|
ISBN | 9789359648941 |
Pages | 192 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Junior Diamond |
Amazon | |
Flipkart | |
ISBN 10 | 9359648949 |
मोना वर्मा का जन्म सन 1940 में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में हुआ। बंटवारे के पश्चात उनका परिवार हिंदुस्तान के जोधपुर में आ गया। कुछ वर्षों के बाद वे मुंबई आ गये जहाँ मोना वर्मा ने अपनी पढ़ाई पूरी की। 1964 में अपनी शादी के पश्चात् वे पति के साथ मुंबई से दिल्ली, दिल्ली से कोलकाता और फिर कोलकाता से मुंबई लौट आयी। इन्हीं दिनों में उनकी रूचि पाक कला में हुई तथा वे एक अच्छी कुकरी टीचर के रूप में प्रख्यात हुई। कोलकाता में इन्होंने लोरेटो कांवेंट में पढ़ाया और मुंबई में तो इनके कुकरी क्लास बहुत मशहूर थी।
इस बीच इन्होंने रेकी और ब्यूटिशियन की शिक्षा प्राप्त की । सामाजिक सेवा में भी इनका काफी योगदान रहा तथा वे लायनीझम में भी काफी सक्रीय रहीं। कविता लिखना इनका एक शौक है और जिन्दगी के हर पहलु पर उन्हें जो भी महसूस हुआ उसे कागज पर बड़ी सरलता से लिख डालती है और वे आज भी काव्यलेखन के क्षेत्र में सक्रिय है।
पति के सेवानिवृत्त होने के पश्चात वे 2004 से नागपुर में बस गई । यहाँ भी इनके कामकाज का काफी बड़ा दायरा है। वे नागपुर के ‘The Hitavada’ अखबार में 14 वर्षों तक weekly cookery column लिखती रही तथा NCWI के Nagpur Chapter में काफी सक्रिय रहीं।
जिस समाज में वो 1964 में प्रेम विवाह करके आयी थी उसी समाज ने उन्हें 2016 में ‘समाज गौरव’ करके अलंकृत किया।
यहीं नहीं, 74 वर्ष की होते हुए भी इन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की 8 वर्ष की विशारद की पढ़ाई 2014 में वर्ष पूर्ण की।
इन्हें एक बेटा एक बेटी है। बड़ा बेटा अमेरिका में तथा छोटी बेटी दिल्ली में अपने परिवार के साथ बस गयी है। अब मोना और अशोक जी नागपुर छोड़ नोएडा में बस गये हैं ।
ISBN10-9359648949