Ramayan Ke Amar Paatra – Mahabali Ravan (रामायण के अमर पात्र – महाबली रावण)

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रावण रामायण का एक प्रमुख चरित्र है। रावण लंका का राजा था। वह अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिसके कारण उसका नाम दशानन (दश = दस + आनन = दस मुख वाला) भी था। किसी भी कृति के लिए नायक के साथ ही सशक्त खलनायक का होना अति आवश्यक है। रामकथा में रावण ऐसा पात्र है, जो राम के उज्ज्वल चरित्र को उभारने का काम करता है। किंचित मान्यतानुसार रावण में अनेक गुण भी थे। सारस्वत ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र। रावण एक परम शिव भक्त, उद्भट राजनीतिज्ञ, महापराक्रमी योद्धा, अत्यन्त बलशाली, शास्त्रें का प्रखर ज्ञाता, प्रकान्ड विद्वान पंडित एवं महाज्ञानी था। रावण के शासन काल में लंका का वैभव अपने चरम पर था और उसने अपना महल पूरी तरह स्वर्ण रजित बनाया था, इसलिए उसकी लंकानगरी को सोने की लंका अथवा सोने की नगरी भी कहा जाता है।
महाबली रावण के चरित्र का उपन्यासिक शैली में प्रस्तुतीकरण है|

About the Author

डॉ. विनय दयालसिंह कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) के हिन्दी विभागाध्यक्ष थे। उन्हें भारतीय संस्कृति का गहरा अध्ययन था। उनका शोध प्रबंध रामायण और महाभारत पर काफी चर्चित रहा। इसी कारण उन्होंने एक उपन्यासिक शैली में रामायण और महाभारत के अमर पात्रों को पुनर्जीवित कर भारतीय समाज में स्थापित करने का महत्त्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना की है।

Additional information

Author

Dr. Vinay

ISBN

9789356847705

Pages

226

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

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https://www.amazon.in/dp/9356847703

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ISBN 10

9356847703

रावण रामायण का एक प्रमुख चरित्र है। रावण लंका का राजा था। वह अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिसके कारण उसका नाम दशानन (दश = दस + आनन = दस मुख वाला) भी था। किसी भी कृति के लिए नायक के साथ ही सशक्त खलनायक का होना अति आवश्यक है। रामकथा में रावण ऐसा पात्र है, जो राम के उज्ज्वल चरित्र को उभारने का काम करता है। किंचित मान्यतानुसार रावण में अनेक गुण भी थे। सारस्वत ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र। रावण एक परम शिव भक्त, उद्भट राजनीतिज्ञ, महापराक्रमी योद्धा, अत्यन्त बलशाली, शास्त्रें का प्रखर ज्ञाता, प्रकान्ड विद्वान पंडित एवं महाज्ञानी था। रावण के शासन काल में लंका का वैभव अपने चरम पर था और उसने अपना महल पूरी तरह स्वर्ण रजित बनाया था, इसलिए उसकी लंकानगरी को सोने की लंका अथवा सोने की नगरी भी कहा जाता है।
महाबली रावण के चरित्र का उपन्यासिक शैली में प्रस्तुतीकरण है|

About the Author

डॉ. विनय दयालसिंह कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) के हिन्दी विभागाध्यक्ष थे। उन्हें भारतीय संस्कृति का गहरा अध्ययन था। उनका शोध प्रबंध रामायण और महाभारत पर काफी चर्चित रहा। इसी कारण उन्होंने एक उपन्यासिक शैली में रामायण और महाभारत के अमर पात्रों को पुनर्जीवित कर भारतीय समाज में स्थापित करने का महत्त्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना की है।

ISBN10-9356847703