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निकाल कर इधर-उधर फैलाते हैं। और तो और, कई बार वृद्धों और बच्चों को चोंच मार देते हैं। यही कारण हैं, यहाँ पर कौवे मरवा दिये जाते हैं।”
रिंकी को अपने प्रश्नों के उत्तर मिल चुके थे। वह इन उत्तरों से बहुत असंतुष्ट थी क्योंकि वह स्वयं को कुछ भी करने में असमर्थ पा रही थी। वह सरकार की पॉलिसी तो नहीं बदलवा सकती थी ना!
एक शाम वह अपने कमरे में बैठ कर अपना होमवर्क कर रही थी। अचानक उसे शॉटगन की आवाज सुनाई दी।
“रिंकी! सभी कमरों की खिड़कियाँ बंद कर दो! कहीं शॉटगन से बच कर कौवे हमारे घर में न आ जायें।” “रिंकी ने मम्मी की बात सुन कर ‘हाँ’ कर दी किंतु खिड़कियाँ बंद नहीं की।”
अब तो रिंकी ने इसे अपनी आदत बना लिया। अगर उसे शॉटगन की आवाज सुनाई देती तो वह घर की खिड़कियाँ बंद करने की जगह उनको और खोल देती। एक दिन सचमुच ही एक कौवा अपने बचाव की कोशिश में ड्रॉइंगरूम की खिड़की से घर में घुस आया। यह देख कर रिंकी की खुशी का कोई ठिकाना न रहा।
“मम्मी क्या इस कौवे को किसी तरह ‘जूरोंग बर्डपार्क’ में छोड़ कर आ सकते हैं?”
“छोड़ तो सकते हैं लेकिन इससे होगा क्या रिंकी!”
“मम्मी आप ही तो कहती हैं कि हम दूसरों को नहीं बदल सकते लेकिन दुनिया को बेहतर बनाने के लिये अपने छोटे-छोटे योगदान तो दे सकते हैं।”
अपनी इस बात पर मम्मी को चुप देख कर रिंकी आगे बोली, “जैसे आप हमेशा कमरे से बाहर निकलने के पहले लाइट बंद कर देती हैं। बर्तन और कपड़े धोते समय बीच-बीच में जब पानी की जरूरत नहीं होती, तो नल बंद कर देती हैं ताकि बिजली-पानी बर्बाद न हों। ऐसे ही जब-जब मुझे मौका मिलेगा मैं कोई छोटा-सा अच्छा काम कर दिया करूंगी।”
Author | Rita Kaushal |
---|---|
ISBN | 9789355993892 |
Pages | 176 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Toons |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/rang-birangee-bal-kahaniyan-hindi/p/itm0fa0d7c0d7cc0?pid=9789355993892 |
ISBN 10 | 9355993897 |
निकाल कर इधर-उधर फैलाते हैं। और तो और, कई बार वृद्धों और बच्चों को चोंच मार देते हैं। यही कारण हैं, यहाँ पर कौवे मरवा दिये जाते हैं।”
रिंकी को अपने प्रश्नों के उत्तर मिल चुके थे। वह इन उत्तरों से बहुत असंतुष्ट थी क्योंकि वह स्वयं को कुछ भी करने में असमर्थ पा रही थी। वह सरकार की पॉलिसी तो नहीं बदलवा सकती थी ना!
एक शाम वह अपने कमरे में बैठ कर अपना होमवर्क कर रही थी। अचानक उसे शॉटगन की आवाज सुनाई दी।
“रिंकी! सभी कमरों की खिड़कियाँ बंद कर दो! कहीं शॉटगन से बच कर कौवे हमारे घर में न आ जायें।” “रिंकी ने मम्मी की बात सुन कर ‘हाँ’ कर दी किंतु खिड़कियाँ बंद नहीं की।”
अब तो रिंकी ने इसे अपनी आदत बना लिया। अगर उसे शॉटगन की आवाज सुनाई देती तो वह घर की खिड़कियाँ बंद करने की जगह उनको और खोल देती। एक दिन सचमुच ही एक कौवा अपने बचाव की कोशिश में ड्रॉइंगरूम की खिड़की से घर में घुस आया। यह देख कर रिंकी की खुशी का कोई ठिकाना न रहा।
“मम्मी क्या इस कौवे को किसी तरह ‘जूरोंग बर्डपार्क’ में छोड़ कर आ सकते हैं?”
“छोड़ तो सकते हैं लेकिन इससे होगा क्या रिंकी!”
“मम्मी आप ही तो कहती हैं कि हम दूसरों को नहीं बदल सकते लेकिन दुनिया को बेहतर बनाने के लिये अपने छोटे-छोटे योगदान तो दे सकते हैं।”
अपनी इस बात पर मम्मी को चुप देख कर रिंकी आगे बोली, “जैसे आप हमेशा कमरे से बाहर निकलने के पहले लाइट बंद कर देती हैं। बर्तन और कपड़े धोते समय बीच-बीच में जब पानी की जरूरत नहीं होती, तो नल बंद कर देती हैं ताकि बिजली-पानी बर्बाद न हों। ऐसे ही जब-जब मुझे मौका मिलेगा मैं कोई छोटा-सा अच्छा काम कर दिया करूंगी।”
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