₹350.00 Original price was: ₹350.00.₹349.00Current price is: ₹349.00.
धर्म तो गूंगे का गुड़ है; जिसने स्वाद लिया, वह गूंगा हो गया। उसे बोलना मुश्किल है, बताना मुश्किल है। उस संबंध में कुछ भी कहने की सुगमता नहीं है। जो कहे, समझ लेना उसने जाना नहीं है।
बुद्ध भी बोलते हैं, लाओत्से भी बोलता है, कृष्ण भी बोलते हैं। लेकिन जो भी वे बोलते हैं, वह धर्म नहीं है। वह धर्म तक पहुंचने का सिर्फ इशारा मात्र है, इंगित मात्र है। वे मील के पत्थर हैं, जिन पर तीर बना होता है। लेकिन मील के पत्थर को कोई मंजिल समझ कर बैठ जाए, तो पागल हो जाएगा। पर बहुत लोग बैठ गए हैं। गीता के पास जो बैठे हैं, वे मील के पत्थर के पास बैठे हैं। कुरान पर जो सिर टेके बैठे हैं, वे मील के पत्थर के पास बैठे हैं। उन्होंने मील के पत्थर पर लगे तीर को मंजिल समझ लिया है, फिर वेवहीं रुक गए हैं।
ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुः
• ध्यान का क्या अर्थ है?
• प्रार्थना और ध्यान में क्या अंतर है?
• प्रामाणिकता का क्या अर्थ है?
• मन क्या है?
• ‘सहज’ की पहचान क्या है?
About Author
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है। हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
Author | Osho |
---|---|
ISBN | 9789390088676 |
Pages | 128 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/sahaj-samadhi-bhali/p/itm104bfbc205ef0?pid=9789390088676 |
ISBN 10 | 9390088674 |
धर्म तो गूंगे का गुड़ है; जिसने स्वाद लिया, वह गूंगा हो गया। उसे बोलना मुश्किल है, बताना मुश्किल है। उस संबंध में कुछ भी कहने की सुगमता नहीं है। जो कहे, समझ लेना उसने जाना नहीं है।
बुद्ध भी बोलते हैं, लाओत्से भी बोलता है, कृष्ण भी बोलते हैं। लेकिन जो भी वे बोलते हैं, वह धर्म नहीं है। वह धर्म तक पहुंचने का सिर्फ इशारा मात्र है, इंगित मात्र है। वे मील के पत्थर हैं, जिन पर तीर बना होता है। लेकिन मील के पत्थर को कोई मंजिल समझ कर बैठ जाए, तो पागल हो जाएगा। पर बहुत लोग बैठ गए हैं। गीता के पास जो बैठे हैं, वे मील के पत्थर के पास बैठे हैं। कुरान पर जो सिर टेके बैठे हैं, वे मील के पत्थर के पास बैठे हैं। उन्होंने मील के पत्थर पर लगे तीर को मंजिल समझ लिया है, फिर वेवहीं रुक गए हैं।
ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुः
• ध्यान का क्या अर्थ है?
• प्रार्थना और ध्यान में क्या अंतर है?
• प्रामाणिकता का क्या अर्थ है?
• मन क्या है?
• ‘सहज’ की पहचान क्या है?
About Author
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है। हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।