Sakriya Dhyan Ke Rehasya (Hindi)

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आज के मनुष्य के चित्त की अवस्था को देखते हुए ओशो कहते है। ‘मनुष्य विक्षिप्त है, ऐसा नहीं है कि कुछ लोग विक्षिप्त हैं, पूरी मनुष्यता ही विक्षिप्त है। प्रत्येक मनुष्य की विक्षिप्तता सामान्य स्थिति हो गई है, ऐसा क्यों?हमने सबको दमित बना दिया है, सब तरह की बातों को भीतर ध्केल कर। वे भीतर-भीतर खोल रही है, उन सबको जो हमारे समाज में पले-बढ़े हैं।तुमने क्रोध्, काम, हिंसा लोभ सब कुछ इकट्ठा कर लिया है। अब वह संचय तुम्हारे भीतर विक्षिप्तता बन गया है।’पश्चिम के अध्किांश मनोचिकित्सकों के अनुसार आज की विक्षिप्त मनुष्यता के लिए विक्षिप्तता, तनाव से मुक्त करने के लिए ‘सक्रिय ध्यान’ कारगर उपाय सि( हो रहा है।सक्रिय ध्यान आध्ुनिक मनुष्य के लिए है क्योंकि वह विक्षिप्त है, उलझन में है, बेचैन है, तनाव में है।

Additional information

Author

Anand Satyarthi

ISBN

9788128838330

Pages

16

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Jr Diamond

ISBN 10

8128838334

आज के मनुष्य के चित्त की अवस्था को देखते हुए ओशो कहते है। ‘मनुष्य विक्षिप्त है, ऐसा नहीं है कि कुछ लोग विक्षिप्त हैं, पूरी मनुष्यता ही विक्षिप्त है। प्रत्येक मनुष्य की विक्षिप्तता सामान्य स्थिति हो गई है, ऐसा क्यों?हमने सबको दमित बना दिया है, सब तरह की बातों को भीतर ध्केल कर। वे भीतर-भीतर खोल रही है, उन सबको जो हमारे समाज में पले-बढ़े हैं।तुमने क्रोध्, काम, हिंसा लोभ सब कुछ इकट्ठा कर लिया है। अब वह संचय तुम्हारे भीतर विक्षिप्तता बन गया है।’पश्चिम के अध्किांश मनोचिकित्सकों के अनुसार आज की विक्षिप्त मनुष्यता के लिए विक्षिप्तता, तनाव से मुक्त करने के लिए ‘सक्रिय ध्यान’ कारगर उपाय सि( हो रहा है।सक्रिय ध्यान आध्ुनिक मनुष्य के लिए है क्योंकि वह विक्षिप्त है, उलझन में है, बेचैन है, तनाव में है।

ISBN10-8128838334

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