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Samaj Ki Shakti Stambh Naariyan (समाज की शक्ति स्तम्भ नारियाँ)-0
Samaj Ki Shakti Stambh Naariyan (समाज की शक्ति स्तम्भ नारियाँ)-11426

Samaj Ki Shakti Stambh Naariyan (समाज की शक्ति स्तम्भ नारियाँ)

Original price was: ₹250.00.Current price is: ₹249.00.

भगवान ने स्त्री व पुरुष को बराबर की ही भूमिका दी है। स्त्री व पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए के समान हैं। जब दोनों पहियों में हर दृष्टिकोण से समानता नहीं होगी गाड़ी सुचारु रूप से नहीं चल सकेगी। उसके बनाये संसार को चलाने के लिये यह दोनों स्तम्भ बराबर का स्तर रखते हैं। बल्कि स्त्री को उन्होंने आत्म शक्ति व सहनशीलता ज्यादा ही दी है। नारी तो एक नई पीढ़ी को जन्म देती है फिर उससे पाये संस्कार से वही पीढ़ी अपना व समाज का विकास कर उन्नति करती है।
संसार समझता है कि भारत में स्त्रियों को उचित सम्मान नहीं मिलता है। पाश्चात्य सभ्यता में स्त्रियों को समानता का स्थान प्राप्त है । परन्तु यह कहना उचित नहीं है। भारतीय समाज में भी स्त्रियों को समानता का अधिकार प्राप्त था। बल्कि कुछ ज्यादा ही महत्व नारियों को मिलता था। यह तो कुछ समय के लिऐ भारत में मुगल साम्राज्य आने के कारण उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए नारियों को पर्दे में रहना पड़ा। जो कि बाद में कुरीतियों की तरह समाज ने अपना लिया। अब पुनः समाज में नारियों को उनका उचित स्थान दिया जाने लगा है।

About the Author

अरुणा को अपने जीवन के प्रारम्भिक दिनों से ही पढ़ने व नई चीजें सीखने का शौक था। वे अपनी माँ के चरित्र से बहुत प्रभावित थीं। उनकी माँ एक दृढ़ प्रतिज्ञ स्त्री थीं। उन्होंने अपने बच्चों का चरित्र निर्माण इस तरह से किया कि वे देश के एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें। वे उनके जीवन का आदर्श थीं। उनके चरित्र से प्रभावित होकर उनसे मिली सीख व जानकारी को समाज तक पहुँचने के विचार से उन्होंने अपने जीवन को दूसरी पारी में लेखिका होने के दायित्व निभाने में अपना समय लगाया।
अरुणा का पुस्तक प्रेमी होना उन्हें उनके जीवन के लक्ष्य तक ले गया। इसके कारण उन्हें धार्मिक, ऐतिहासिक व सामाजिक पुस्तकें पढ़ने से खोज करने की जिज्ञासा बढ़ी। फलस्वरूप इस क्षेत्र में आगे बढ़कर उन्होंने पौराणिक पुस्तकें भी लिखीं।
वे अपने ग्रैन्ड चिल्ड्रन को रात्रि में कहानियाँ सुनाया करती थीं। उन्होंने अनुभव किया कि आज के एकल परिवार में बच्चों को बुजुर्गों का साथ न मिलने के कारण उनमें संस्कारों की कमी रह जाती है। उन्होंने बच्चों की इस कमी को पूरा करने के लिए लेखन का सहारा लिया।
 

Additional information

Author

Aruna Trivedi

ISBN

9789356846203

Pages

60

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9356846200

Flipkart

https://www.flipkart.com/samaj-ki-shakti-stambh-naariyan-hindi/p/itm0496673199445?pid=9789356846203

ISBN 10

9356846200

भगवान ने स्त्री व पुरुष को बराबर की ही भूमिका दी है। स्त्री व पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए के समान हैं। जब दोनों पहियों में हर दृष्टिकोण से समानता नहीं होगी गाड़ी सुचारु रूप से नहीं चल सकेगी। उसके बनाये संसार को चलाने के लिये यह दोनों स्तम्भ बराबर का स्तर रखते हैं। बल्कि स्त्री को उन्होंने आत्म शक्ति व सहनशीलता ज्यादा ही दी है। नारी तो एक नई पीढ़ी को जन्म देती है फिर उससे पाये संस्कार से वही पीढ़ी अपना व समाज का विकास कर उन्नति करती है।
संसार समझता है कि भारत में स्त्रियों को उचित सम्मान नहीं मिलता है। पाश्चात्य सभ्यता में स्त्रियों को समानता का स्थान प्राप्त है । परन्तु यह कहना उचित नहीं है। भारतीय समाज में भी स्त्रियों को समानता का अधिकार प्राप्त था। बल्कि कुछ ज्यादा ही महत्व नारियों को मिलता था। यह तो कुछ समय के लिऐ भारत में मुगल साम्राज्य आने के कारण उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए नारियों को पर्दे में रहना पड़ा। जो कि बाद में कुरीतियों की तरह समाज ने अपना लिया। अब पुनः समाज में नारियों को उनका उचित स्थान दिया जाने लगा है।

About the Author

अरुणा को अपने जीवन के प्रारम्भिक दिनों से ही पढ़ने व नई चीजें सीखने का शौक था। वे अपनी माँ के चरित्र से बहुत प्रभावित थीं। उनकी माँ एक दृढ़ प्रतिज्ञ स्त्री थीं। उन्होंने अपने बच्चों का चरित्र निर्माण इस तरह से किया कि वे देश के एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें। वे उनके जीवन का आदर्श थीं। उनके चरित्र से प्रभावित होकर उनसे मिली सीख व जानकारी को समाज तक पहुँचने के विचार से उन्होंने अपने जीवन को दूसरी पारी में लेखिका होने के दायित्व निभाने में अपना समय लगाया।
अरुणा का पुस्तक प्रेमी होना उन्हें उनके जीवन के लक्ष्य तक ले गया। इसके कारण उन्हें धार्मिक, ऐतिहासिक व सामाजिक पुस्तकें पढ़ने से खोज करने की जिज्ञासा बढ़ी। फलस्वरूप इस क्षेत्र में आगे बढ़कर उन्होंने पौराणिक पुस्तकें भी लिखीं।
वे अपने ग्रैन्ड चिल्ड्रन को रात्रि में कहानियाँ सुनाया करती थीं। उन्होंने अनुभव किया कि आज के एकल परिवार में बच्चों को बुजुर्गों का साथ न मिलने के कारण उनमें संस्कारों की कमी रह जाती है। उन्होंने बच्चों की इस कमी को पूरा करने के लिए लेखन का सहारा लिया।
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