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संभोग से समाधि की ओर-(Sambhog Se Samadhi Ki Aur) (From Sex To Superconsciousness)

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संबोग से समाधि की ओर

  • आज तक मनुष्य की सारी संस्कृतियों ने सेक्स का, काम का, वासना का विरोध किया है। इस विरोध ने, मनुष्य के भीतर प्रेम के जन्म की संभावना तोड़ दी, नष्ट कर दी। इस निषेध ने… क्योंकि सवाल यह है कि प्रेम की सारी यात्रा का प्रारंभिक बिंदु काम है, सेक्स है।
  • प्रेम की यात्रा का जन्म, गंगोत्री—जहां से गंगा पैदा होगी प्रेम की—वह सेक्स है, वह काम है।
  • और उसके सब दुश्मन हैं। सारी संस्कृतियां, और सारे धर्म, और सारे गुरु और सारे महात्मा—तो गंगोत्री पर ही चोट कर दी। वही रोक दिया। पाप है काम, ज़हर है काम।
  • और हमने सोचा भी नहीं कि काम की ऊर्जा ही, सेक्स ऊर्जा ही, अंततः प्रेम में परिवर्तित होती है और स्वप्नातीत होती है।
  • क्या आपको पता है, धर्म के श्रेष्ठतम अनुभव में ‘मैं’ बिलकुल मिट जाता है, अहंकार बिलकुल शून्य हो जाता है?
  • सेक्स के अनुभव में क्षण भर का अहंकार मिटता है। लगता है कि हूं या नहीं। एक क्षण को विलीन हो जाता है ‘मेरा’पन का भाव।
  • दूसरी घटना घटती है: एक क्षण के लिए समय मिट जाता है, टाइम-सेंसनेस पैदा हो जाती है।
  • समाधि का जो अनुभव है, वहां समय नहीं रह जाता है। वह कालातीत है। समय विलीन हो जाता है। न कोई अतीत है, न कोई भविष्य—शुद्ध वर्तमान रह जाता है।
  • दो तरह हैं, जिसकी वजह से आदमी सेक्स की तरफ आतुर होता है और पागल होता है। यह आतुरता स्त्री के शरीर के लिए नहीं है पुरुष की, न पुरुष के शरीर के लिए स्त्री की है। यह आतुरता शरीर के लिए बिलकुल भी नहीं है।
  • यह आतुरता किसी और ही बात के लिए है। यह आतुरता है—अहंकार-शून्यता का अनुभव।
  • लेकिन समय-शून्य और अहंकार-शून्य होने के लिए आतुरता क्यों है?
  • क्योंकि जैसे ही अहंकार मिटता है, आत्मा की झलक उपलब्ध होती है। जैसे ही समय मिटता है, परमात्मा की झलक उपलब्ध होती है।

—ओशो

ISBN10-8171822126

Sambhog Se Samadhi Ki Aur
संभोग से समाधि की ओर-(Sambhog Se Samadhi Ki Aur) (From Sex To Superconsciousness)
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संभोग से समाधि की ओर-(Sambhog Se Samadhi Ki Aur) (From Sex To Superconsciousness)

पुस्तक संभोग से समाधि की और में, ओशो ने पाठक को संभोग और गर्भाधान के समय से लेकर मृत्यु तक मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा के बारे में बताया। … संभोग से समाधि की और में, वह यह भी बताते हैं कि कितने लोग काम से नहीं बच सकते हैं और लोगों को इससे नहीं लड़ना चाहिए, क्योंकि यह जीवन की सहायक संरचना है।पुस्तक संभोग से समाधि की और में, ओशो ने पाठक को संभोग और गर्भाधान के समय से लेकर मृत्यु तक मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा के बारे में बताया। अपने अमूल्य संग्रह में ओशो व्यक्ति के जीवन के विविध विषयों पर पांच प्रवचन देते हैं।

संभोग से समाधि की और में, वह यह भी बताते हैं कि कितने लोग काम से नहीं बच सकते हैं और लोगों को इससे नहीं लड़ना चाहिए, क्योंकि यह जीवन की सहायक संरचना है। वह उन पापों के बारे में भी विस्तार से बताता है जिन्हें लोग अक्सर महसूस नहीं करते हैं कि भगवान पापों के बारे में सोचते हैं।

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संभोग से समाधि की ओर-(Sambhog Se Samadhi Ki Aur) (From Sex To Superconsciousness)

ओशो के बारे में रोचक तथ्य

ओशो एक उच्च कोटि के वक्ता थे। उनका बोलने पर इतना आत्मविश्वास था की एक बार जो बोल दिया सो बोला दिया वही आखिरी होगा।

ओशो ने लगभग-लगभग हर एक विषय पर बात/प्रवचन दिए हैं। यदि साहित्यिक लेखिकी को छोड़ दें तो भारत में सबसे ज्यादा किताबें ओशो की बिकती हैं। ओशो सेक्सुअलिटी पर खुले रूप से बातें किया करते थे और वो सेक्स को लेकर बड़े स्वतंत्र होकर बातें किया करते थे ।

ओशो एक बहुत ही गजब के तर्क शास्त्री थे। वह किसी भी बात को सही और गलत साबित करने के पूरी क्षमता रखते थे।

ओशो बचपन से ही लक्सरी लाइफ जीने के आदि रहे थे।

ओशो को अमीरों का गुरु कहा जाता है और खुद भी उन्होंने अपने इंटरव्यूज मे बार-बार जिक्र किया है की वो अमीरों के गुरु हैं। आपको पता है ओशो के पास 90 रॉयल्स रोल्स कारें थीं।

ओशो की म्रत्यु आज भी रहस्य है। कहा तो ये भी जाता है की उन्हीं के करीबी शिष्यों ने उनकी हत्या को अंजाम दिया था।

इसके सबूत भी मिलते हैं क्योंकि उनकी हत्या शिष्यों के बीच हुई और उन्होंने कहा कि गुरु जी ने देह त्याग दी।

Osho Books
संभोग से समाधि की ओर-(Sambhog Se Samadhi Ki Aur) (From Sex To Superconsciousness)
Product Description

मशहूर दर्शनशास्त्री और आध्यात्मिक गुरु ओशो ने अपने प्रवचन में जीवन की हर मुश्किलों से निपटने का रास्ता बताया है। वो अक्सर कहा करते थे कि मनुष्य के जीवन में प्रेम से कीमती कोई वस्तु नहीं है। ओशो यह भी कहते थे कि जो मनुष्य पैसे कमाने के लिए यत्न नहीं करता, उसका जीवन निरर्थक है क्योंकि धन जीवन को चलाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है। ओशो कहते थे कि जो कौम बिना कुछ किए बिना पैसे कमाना चाहती है, वो कौम खतरनाक है। ओशो कहा करते थे कि जो आदमी एक रुपए लगाकर बिना कुछ किए एक लाख पाने की चाहत रखता है वो एक अपराधी के समान है। ओशो का कहना था कि धन की चाह जरूर रखनी चाहिए लेकिन उसके लिए व्यक्ति का सृजनात्मक होना बेहद जरूरी है। ओशो के अनुसार, एक सभ्य समाज के लिए धन की बहुत ज़्यादा आश्यकता है। इससे सभ्यता को आगे बढ़ने का मौका मिलता है अन्यथा हम भी जंगलों में भटकते रहते। ओशो कहते हैं कि धन मनुष्य के जीवन में सब कुछ नहीं है लेकिन इसके माध्यम से हम जीवन में सब कुछ खरीद सकते हैं। धन कमाने के लिए सबसे अच्छा जरिया है कि हम एक लक्ष्य तय कर लें और सही तरीके से धन को कमाना अपना ध्येय बना लें। ओशो कहते हैं कि जो व्यक्ति धन को फिजूल बताता है और उसकी निन्दा करता है, उसके अंदर धन कमाने की आकांक्षा समाप्त हो जाती है और वो सफलता पाने से चुक जाता है।

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

ओशो कौन थे?

ओशो, जिनका जन्म रजनीश चंद्रमोहन जैन के नाम से हुआ था, एक अत्यधिक प्रभावशाली भारतीय गुरु और ध्यान शिक्षक थे। वे ध्यान, प्रेम, और जीवन के गहरे पहलुओं पर अपनी शिक्षाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। ओशो ने अपने विचारों और शिक्षाओं के माध्यम से ध्यान और आत्मज्ञान को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया, जिससे उन्होंने विश्वभर में लाखों लोगों को प्रभावित किया।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

ओशो का जन्म 11 दिसंबर 1931 को मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा गांव में हुआ था। उनका बचपन साधारण था, लेकिन उनके जीवन में गहरी आध्यात्मिक जिज्ञासा और खोज ने उनके भविष्य को आकार दिया। वे अपनी प्रारंभिक शिक्षा सागर विश्वविद्यालय से प्राप्त करने के बाद, दर्शनशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के लिए रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय गए।

ओशो ने संभोग से समाधि की ओर क्यों लिखी?

ओशो ने यह पुस्तक इसलिए लिखी ताकि लोग यौन ऊर्जा को नकारने के बजाय उसे समझकर आत्मिक जागरूकता और समाधि तक पहुंचने के साधन के रूप में देख सके

क्या है संभोग से समाधि की ओर?

यह ओशो द्वारा लिखी गई एक पुस्तक है जो यौन ऊर्जा और आत्म-उत्थान के बीच संबंध को समझाती है। इसमें बताया गया है कि कैसे यौन ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करके व्यक्ति समाधि की अवस्था तक पहुंच सकता है।

क्या यह पुस्तक सिर्फ यौन संबंधों के बारे में है?

नहीं, यह पुस्तक केवल यौन संबंधों तक सीमित नहीं है। यह जीवन की गहरी वास्तविकताओं, प्रेम, आत्म-साक्षात्कार, और समाधि की ओर बढ़ने की प्रक्रिया पर भी केंद्रित है।।

संभोग से समाधि की ओर कब प्रकाशित हुई?

यह पुस्तक पहली बार 1960 के दशक में प्रकाशित हुई थी, और तब से यह ओशो के विचारों के लिए जानी जाती है

यह पुस्तक विवादास्पद क्यों है?

यह पुस्तक यौन ऊर्जा जैसे संवेदनशील विषय पर खुलकर चर्चा करती है, जिसे समाज में अक्सर नकारात्मक दृष्टि से देखा जाता है। ओशो का क्रांतिकारी दृष्टिकोण और परंपरागत मान्यताओं के विपरीत विचार इसे विवादास्पद बनाते हैं।

कैसे ओशो की इस पुस्तक में सेक्स के बारे में दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है?

ओशो ने सेक्स को एक प्राकृतिक और सृजनात्मक ऊर्जा के रूप में देखा है। उनका मानना है कि सेक्स केवल शारीरिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह आत्म-ज्ञान और समाधि की ओर बढ़ने का साधन भी हो सकता है।

विवाद और कानूनी मुद्दे

ओशो के जीवन में कई विवाद और कानूनी मुद्दे भी आए। 1980 के दशक में, उनके आश्रम को अमेरिका में कुछ कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी लोकप्रियता और ध्यान केंद्र की गतिविधियों पर प्रभाव पड़ा। हालांकि, इन मुद्दों के बावजूद, ओशो की शिक्षाएँ और विचार आज भी लोगों को प्रभावित करते हैं।

Additional information

Weight 400 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.61 cm
Author

Osho

ISBN

8171822126

Pages

296

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171822126