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“सम्पूर्ण वास्तुशास्त्र” पुस्तक में वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों और उसके प्रभाव को सरल और स्पष्ट तरीके से समझाया गया है। यह पुस्तक घर, कार्यस्थल, और व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने और वास्तु दोषों को दूर करने के लिए उपयोगी उपायों पर आधारित है। वास्तु शास्त्र के उपायों के द्वारा आप मानसिक शांति, समृद्धि, और संतुलन पा सकते हैं। पुस्तक में हर आयाम को ध्यान में रखते हुए विभिन्न दिशा-निर्देश दिए गए हैं, जो आपके जीवन में सफलता और सुख-शांति ला सकते हैं।
डॉ. भोजराज दिवेदी एक विश्वविख्यात वास्तुशास्त्री एवं ज्योतिषाचार्य हैं। ‘अंतर्राष्ट्रीय वास्तु एसोसिएशन’ के संस्थापक डॉ. भोजराज जी की यशस्वी लेखनी से रचित ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंकविद्या, यंत्र-तंत्र-मंत्र विज्ञान और कर्मकाण्डों पर आधारित 400 से अधिक पुस्तकें देश-विदेश में अनेक भाषाओँ में पढ़ी जाती हैं। इस पुस्तक के सहलेखक पं. रमेश भोजराज दिवेदी ने अल्प समय में ही ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंकविद्या आदि के क्षेत्र में विशेष ख्याति अर्जित की है। भारत की कई प्रसिद्ध हस्तियां, राजनेता, फिल्म सितारे, क्रिकेट खिलाड़ी दिवेदी जी से नियमित ज्योतिषीय परामर्श व मार्गदर्शन लेते रहते हैं।
हाँ, यह पुस्तक पुराने शास्त्रों को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ते हुए वास्तु शास्त्र को सरल और व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत करती है।
हाँ, यदि आप पुस्तक में दिए गए वास्तु के सिद्धांतों और सुधार उपायों को अपने जीवन में अपनाते हैं, तो यह आपके मानसिक शांति, समृद्धि, और संतुलन में मदद कर सकता है।
वास्तु शास्त्र के उपाय धीरे-धीरे अपने प्रभाव दिखाते हैं। परिणाम देखने के लिए कुछ समय देना पड़ता है, लेकिन लगातार इन उपायों का पालन करने से सकारात्मक बदलाव अनुभव किए जा सकते हैं।
हाँ, सही वास्तु उपायों के पालन से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जो आपके कार्यक्षेत्र और व्यक्तिगत जीवन में आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकता है।
हाँ, वास्तु शास्त्र में घर की ऊर्जा का संतुलन बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है। सही दिशा, रंग और वातावरण बच्चों की सकारात्मक सोच और विकास में मदद कर सकते हैं।
हाँ, ध्यान और मानसिक शांति वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को सही तरीके से आत्मसात करने में मदद करती है। ध्यान से मन की स्थिति संतुलित रहती है, जो वास्तु के सिद्धांतों को लागू करने में सहायक होती है।
Weight | 240 g |
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Dimensions | 21.6 × 14 × 1.1 cm |
Author | Dr. Bhojraj Dwivedi |
ISBN | 8171821863 |
Pages | 200 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
ISBN 10 | 8171821863 |
सम्पूर्ण वास्तुशास्त्रा प्राचीन वास्तुकला को लेकर लिखी गई पहली पुस्तक है, जिसमें भवन-स्थापत्य कला पर विस्तृत चिंतन किया गया है। नए मकान का प्रवेश द्वार किधर हो? द्धारवेध किसे कहते हैं, कितने प्रकार के होते हैं? भवन में जल स्थान कहां, किधर होना चाहिए? पाकशाला में अग्नि स्थान कहां हो? शयन कक्ष किस दिशा में होना चाहिए ताकि शयनकर्त्ता को भरपूर नींद आ सके। निवास करने योग्य भूखंड की आकृति कैसी होनी चाहिए। भू-परीक्षण के क्या-क्या शास्त्राीय विधन हैं? सही वास्तु के मुहूर्त कैसे देखे जाते हैं? इन सभी पहलुओं पर अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान लेखक डॉ. भोजराज द्विवेदी ने व्यावहारिक चित्रों के साथ पुस्तक को बहुत ही सुंदर ढंग से संवारा-संजोया है।
ISBN10: 8171821863
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