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Samyavad Hi Kyu-PB (साम्यवाद ही क्यों)

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पुस्तक के बारे में

साम्यवाद ही क्यों साम्यवाद की गहन विचारधारा और उसके सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक पहलुओं का व्यापक अध्ययन प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक सामूहिक स्वामित्व, समानता, और संसाधनों के न्यायसंगत वितरण जैसे मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डालती है। इसमें साम्यवाद के ऐतिहासिक विकास, इसकी विचारधारा के स्तंभ, और समाज पर इसके सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावों को गहराई से समझाया गया है।पुस्तक साम्यवाद और समाजवाद के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए यह दर्शाती है कि साम्यवाद कैसे सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने का प्रभावी माध्यम हो सकता है। साथ ही, यह यह समझाने की कोशिश करती है कि क्यों साम्यवाद आधुनिक समय में प्रासंगिक बना हुआ है और कैसे यह समाज में सामूहिक प्रगति और समानता स्थापित कर सकता है।लेखक ने इस पुस्तक में साम्यवाद के प्रभावशाली सिद्धांतों को व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया है, जो न केवल छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी है बल्कि उन सभी के लिए है जो सामाजिक न्याय और सामूहिक प्रगति में रुचि रखते हैं। यह पुस्तक आज के संदर्भ में साम्यवाद की भूमिका और इसके महत्व को रेखांकित करती है।साम्यवाद ही क्यों उन विचारशील पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शिका है, जो गहराई से जानना चाहते हैं कि साम्यवाद जैसी विचारधारा कैसे भविष्य के लिए नई दिशा प्रदान कर सकती है। यह समानता, संसाधनों के सही उपयोग, और सामूहिक कल्याण के मार्ग की ओर प्रेरित करती है।

लेखक के बारे में

हिन्दी साहित्य में महापंडित राहुल सांकृत्यायन का नाम इतिहास प्रसिद्ध और अमर विभूतियों में गिना जाता है। ये एक भारतीय साहित्यकार, इतिहासकार, तिब्बती भाषा के विद्वान और घुमक्कड़ थे। उनका असली नाम केदारनाथ पांडे था, लेकिन वे राहुल सांकृत्यायन के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्हें हिंदी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। राहुल सांकृत्यायन का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पंदहा नामक गाँव में हुआ था। वे बचपन से ही जिज्ञासु और ज्ञान पिपासु थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने संस्कृत, पाली, प्राकृत, तिब्बती, और कई अन्य भाषाएँ सीखी।

राहुल सांकृत्यायन ने लगभग 150 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें उपन्यास, यात्रा-वृतांत, निबंध, और इतिहास से संबंधित ग्रंथ शामिल हैं। उनके प्रमुख कार्यों में ‘वोल्गा से गंगा’, ‘घुमक्कड़ शास्त्र’, ‘मेरी जीवन यात्रा’ ‘दर्शन-दिग्दर्शन’ आदि शामिल हैं।इसके साथ ही उन्होंने अनेक देशों की यात्रा की और वहाँ के समाज, संस्कृति और भाषा का अध्ययन किया। उनकी तिब्बत यात्राओं ने उन्हें विशेष प्रसिद्धि दिलाई, जहाँ से उन्होंने दुर्लभ पांडुलिपियाँ और ग्रंथ संकलित किए।

साम्यवाद ही क्यों पुस्तक किस विषय पर आधारित है?

यह साम्यवाद ही क्यों पुस्तक साम्यवाद की विचारधारा, इसके महत्व और सामाजिक प्रभाव पर आधारित है।

साम्यवाद ही क्यों यह पुस्तक किसे पढ़नी चाहिए?

यह साम्यवाद ही क्यों पुस्तक छात्रों, शोधकर्ताओं, और साम्यवाद में रुचि रखने वाले सभी पाठकों के लिए उपयुक्त है।

साम्यवाद ही क्यों पुस्तक किस विषय पर आधारित है?

यह साम्यवाद ही क्यों पुस्तक साम्यवाद की विचारधारा, इसके महत्व और सामाजिक प्रभाव पर आधारित है।

क्या साम्यवाद ही क्यों पुस्तक में ऐतिहासिक संदर्भ दिए गए हैं?

हां, इसमें साम्यवाद के ऐतिहासिक विकास और प्रभावों का वर्णन है।

साम्यवाद ही क्यों पुस्तक में किस प्रकार के उदाहरण दिए गए हैं?

इसमें ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक संदर्भों से जुड़े उदाहरण दिए गए हैं।

Additional information

Weight 0.80 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 0.3 cm
Author

Rahul Sankrityayan

pages

78

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

राहुल सांकृत्यायन की साम्यवाद ही क्यों एक विचारोत्तेजक और प्रेरणादायक पुस्तक है, जो समाजवाद और साम्यवाद के विचारों को सरल और स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक न केवल विचारधारा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज के उत्थान और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन भी प्रदान करती है। ‘साम्यवाद ही क्यों’ में सांकृत्यायन ने समाजवाद को एक ऐसी व्यवस्था के रूप में प्रस्तुत किया है, जो समता, न्याय और मानवता के सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने समाजवाद को पूंजीवाद के विपरीत मानते हुए, इसे श्रमिकों और आम जनता के हित में बताया है। ‘साम्यवाद ही क्यों’ ने हिंदी साहित्य और विचारधारा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। यह पुस्तक आज भी समाजवादी और साम्यवादी विचारों को समझने और उनके महत्व को जानने के लिए पठनीय है। सांकृत्यायन की यह कृति समाजवादी आंदोलन को प्रेरणा देने वाली एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में मानी जाती है।

ISBN 10 -: 9363187799

SKU 9789363187795 Categories , , Tags ,