आज से पाँच हजार वर्ष पूर्व श्री कृष्ण ने अपने प्रिय मित्र तथा शिष्य अर्जुन को, जो कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान को छोड़कर जाने को तैयार था। उस समय युद्ध को छोड़कर जा रहे अर्जुन के मन में जोश भरने के लिए। ताकि वो युद्ध करे और अपना कर्म पूरा करे उस समय श्री कृष्ण ने शिक्षा दी, जो उपदेश दिया उसी का नाम श्रीमदभगवद्गीता है। उसी को सरल गीता के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत किया है।
About the Author
जन्म तिथि – 15 अक्टूबर, 1957
जन्म स्थान – ग्राम व पोस्ट – ढिकुली, रामनगर, उत्तराखण्ड माताजी का नाम – स्व. श्रीमती कलावती छिम्वाल
पिताजी का नाम – स्व. श्री परमानन्द छिम्वाल
पत्नी – श्रीमती लता छिम्वाल
सुपुत्री – डॉ. उर्वशी छिम्वाल बडोला, सुपुत्र – शिवम छिम्वाल
स्थाई पता :- ग्राम- मदनपुर कुर्मी ( छोई), तहसील – रामनगर, जिला- नैनीताल पिन-244715 राज्य- उत्तराखंड
शैक्षिक योग्यता :- बी.कॉम. (डिप्लोमा इन एक्सपोर्ट मैनजमेंट)
रुचि : आशावादी, उत्साह बढ़ाने वाले, प्रेरणादायक गीत, भजन लिखना व गाना।
प्रकाशित पुस्तकें :-
* गीतों को गाते चलो:
*भगवद्गीता का गाने योग्य हिन्दी में अनुवाद। (सरल – गीता)
*दिल्ली दूरदर्शन व आकाशवाणी द्वारा अनेक बार गीतों व कविताओं का प्रसारण।
*कुमाऊँनी भाषा में गीत, भजन लिखना व गाना।
*भजन व लेख (कल्याण) (परमार्थ) (गो-धन) (माँ) (भक्ति माँ, मौनी माई का परिचय) तथा विभिन्न धार्मिक पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित |
धर्मपत्नी श्रीमती लता छिम्वाल के निरन्तर सहयोग से ही ‘सरल – गीता’ के लेखन कार्य सम्पन्न हुआ है।
सुपुत्री उर्वशी के द्वारा ही इसका नाम ” सरल – गीता” रखा गया व परम- कला प्रस्तुति भी इन्हीं का सुझाव है
सुपुत्र शिवम ने ‘सरल – गीता’ को पुनः प्रकाशित करने का सफल प्रयास किया है।