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Satyagreh: Mansarovar 3-4 Hindi-0
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Satyagreh: Mansarovar 3-4 (सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 )Hindi

Original price was: ₹400.00.Current price is: ₹399.00.

Satyagrah (Mansarovar 3-4) : सत्याग्रह (मानसरोवर 3-4)
A Book is Forever
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पुस्तक के बारे में

सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई अद्भुत कहानियों का संग्रह है, जिसमें सत्याग्रह, समाज के प्रति नैतिकता, और सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष जैसे महत्वपूर्ण विषयों को दर्शाया गया है। यह संग्रह मानसरोवर सीरीज की तीसरी और चौथी कड़ी है, जिसमें प्रेमचंद ने भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों और आर्थिक विषमताओं पर गहरा चिंतन किया है।

इस कथा संग्रह की हर कहानी सत्य, संघर्ष, और न्याय की भावनाओं को उजागर करती है, जो महात्मा गांधी के सत्याग्रह के सिद्धांतों से प्रभावित हैं। सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 में मुंशी प्रेमचंद ने अपने समय की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सजीव चित्रण किया है, जो आज भी प्रासंगिक हैं।

लेखक के बारे में

धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।

सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 क्या है?

सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानियों का संग्रह है, जिसमें सत्याग्रह, सामाजिक अन्याय, और नैतिक संघर्ष पर आधारित कहानियाँ शामिल हैं।

इस सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

इस संग्रह की प्रमुख विशेषताएँ प्रेमचंद की यथार्थवादी दृष्टिकोण और सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई को दर्शाती हैं। इसमें सत्य और न्याय के लिए संघर्ष करने वाले पात्रों का सजीव चित्रण किया गया है।

यह सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 किसके लिए उपयुक्त है?

यह पुस्तक उन पाठकों के लिए उपयुक्त है जो सामाजिक मुद्दों और नैतिक संघर्षों में रुचि रखते हैं। यह प्रेमचंद साहित्य प्रेमियों और सत्याग्रह के सिद्धांतों में विश्वास रखने वालों के लिए एक प्रेरणादायक संग्रह है।

क्या यह सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 केवल साहित्य प्रेमियों के लिए है?

नहीं, सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 हर उस पाठक के लिए है जो समाज में व्याप्त अन्याय और आर्थिक असमानताओं के बारे में गहरी समझ बनाना चाहता है। यह संग्रह हर उम्र के पाठकों के लिए प्रासंगिक है।

इस सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 संग्रह में प्रमुख विषय क्या हैं?

इस संग्रह में सत्याग्रह, नैतिकता, सामाजिक अन्याय, और व्यक्तिगत संघर्ष जैसे विषयों को प्रमुखता से दर्शाया गया है।

Additional information

Weight0.375 g
Dimensions21.59 × 13.97 × 2.7 cm
Author

Sunil Khetarpal

ISBN

9789350832868

Pages

124

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Publication

ISBN 10

9350832860

Additional information

Weight0.375 g
Dimensions21.59 × 13.97 × 2.7 cm
Author

Sunil Khetarpal

ISBN

9789350832868

Pages

124

Format

Paperback

Language

Hindi

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Diamond Publication

ISBN 10

9350832860

Original price was: ₹400.00.Current price is: ₹399.00.

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प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी को एक निश्चित परिप्रेक्ष्य और कलात्मक आधार दिया। उन्होंने कहानी के स्वरूप को पाठकों की रुचि, कल्पना और विचार शक्ति का निर्माण करते हुए विकसित किया है। उनकी कहानियों को भाव-जीवंत आत्मानुभूत अथवा निकट से देखा है। कहानी-क्षेत्र में वह वास्तविक जगत के उपज थे। उनकी कहानी की विशिष्टता यह है कि उसमें आदर्श और यथार्थ का गंगा-यमुनी संगम है। कथा के रूप घटनाओं और चरित्रों के माध्यम से निर्मित होते हैं। यहां घटनाओं की चौकट और पात्र इसके अन्तः का विकास करने वाले चित्र।

कथाकार के रूप में प्रेमचंद अपने जीवनकाल में ही किंवदंती बन गये थे। उन्होंने मुख्यतः ग्रामीण एवं नागरिक सामाजिक जीवन को कहानियों का विषय बनाया है। उनकी कथायात्रा में श्रमिक विकास के लक्षण स्पष्ट हैं, यह विकास वस्तु, विचार, अनुभव तथा शिल्प सभी स्तरों पर अनुभव किया जा सकता है। उनका मानवतावाद अमूर्त भावुकता नहीं, अपितु उसका आधार एक प्रकार का सुसंगत यथार्थवाद है, जो भावुकतापूर्ण आदर्शवाद प्रस्फुटन का पूरक, गत्यात्मक क्रम पाठकों के सम्मुख रख सका है। उनकी कहानियों को मानसरोवर के आठ खंडों में समाहित किया गया है, जिसे डायमंड पॉकेट बुक्स ने आकर्षक आवरण में चार भागों में प्रकाशित किया है। इस पुस्तक में 3 और 4 भाग को लिया गया है। यहां हम उनकी यादगार कहानी सत्याग्रह तथा अन्य कहानियों को प्रस्तुत कर रहे हैं।
ISBN10-9350832860

SKU 9789350832868 Categories , , Tags ,

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