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सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई अद्भुत कहानियों का संग्रह है, जिसमें सत्याग्रह, समाज के प्रति नैतिकता, और सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष जैसे महत्वपूर्ण विषयों को दर्शाया गया है। यह संग्रह मानसरोवर सीरीज की तीसरी और चौथी कड़ी है, जिसमें प्रेमचंद ने भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों और आर्थिक विषमताओं पर गहरा चिंतन किया है।
इस कथा संग्रह की हर कहानी सत्य, संघर्ष, और न्याय की भावनाओं को उजागर करती है, जो महात्मा गांधी के सत्याग्रह के सिद्धांतों से प्रभावित हैं। सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 में मुंशी प्रेमचंद ने अपने समय की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सजीव चित्रण किया है, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।
इस संग्रह की प्रमुख विशेषताएँ प्रेमचंद की यथार्थवादी दृष्टिकोण और सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई को दर्शाती हैं। इसमें सत्य और न्याय के लिए संघर्ष करने वाले पात्रों का सजीव चित्रण किया गया है।
यह पुस्तक उन पाठकों के लिए उपयुक्त है जो सामाजिक मुद्दों और नैतिक संघर्षों में रुचि रखते हैं। यह प्रेमचंद साहित्य प्रेमियों और सत्याग्रह के सिद्धांतों में विश्वास रखने वालों के लिए एक प्रेरणादायक संग्रह है।
इस संग्रह में सत्याग्रह, नैतिकता, सामाजिक अन्याय, और व्यक्तिगत संघर्ष जैसे विषयों को प्रमुखता से दर्शाया गया है।
“मानसरोवर” मुंशी प्रेमचंद की कहानियों का संग्रह है। इसमें समाज के विभिन्न पहलुओं, जैसे गरीबों का संघर्ष, नैतिकता, और मानवीय संवेदनाओं को दर्शाया गया है। इस संग्रह में “ईदगाह,” “पूस की रात,” और “नमक का दारोगा” जैसी प्रसिद्ध कहानियाँ शामिल हैं।
“मानसरोवर” अपनी गहन सामाजिक संवेदनाओं, मानवीय मूल्यों और यथार्थवादी चरित्र चित्रण के लिए प्रसिद्ध है। इसमें मुंशी प्रेमचंद ने समाज के शोषित वर्ग, किसानों, महिलाओं और गरीबों के संघर्ष को सजीव रूप में प्रस्तुत किया है। यह संग्रह हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर माना जाता है।
Weight | 0.375 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 2.7 cm |
Author | Sunil Khetarpal |
ISBN | 9789350832868 |
Pages | 124 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Publication |
ISBN 10 | 9350832860 |
“सत्याग्रह: मानसरोवर खंड 3-4” मुंशी प्रेमचंद की उत्कृष्ट और यथार्थवादी कहानियों का संग्रह है। इस पुस्तक में प्रेमचंद ने समाज के शोषित वर्ग, नैतिक संघर्ष और मानवीय मूल्यों को गहराई से प्रस्तुत किया है। यह हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए एक अनमोल कृति है।
ISBN10-9350000008
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