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Satyagreh: Mansarovar 3-4 Hindi

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Satyagreh: Mansarovar 3-4 Hindi
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सत्याग्रह मानसरोवर 3-4 का परिचय:

    • सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित कहानियों का संग्रह है, जो भारतीय समाज की गहरी समझ और मानवीय संवेदनाओं को दर्शाता है। इस संग्रह में सामाजिक और नैतिकता के मुद्दों को बखूबी पेश किया गया है, जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

प्रेमचंद की लेखनी और सत्याग्रह:

    • मुंशी प्रेमचंद की लेखनी सशक्त और संवेदनशील रही है। सत्याग्रह में उन्होंने समाज और मानवता के संघर्ष, नैतिकता और सत्य के मार्ग पर चलने के महत्व को खूबसूरती से चित्रित किया है।
    • यह संग्रह गांधीवादी सत्याग्रह के प्रभावों और सामाजिक न्याय की लड़ाई को भी दर्शाता है।

मानव स्वभाव और समाज पर गहरा दृष्टिकोण:

    • प्रेमचंद ने सत्याग्रह की कहानियों में पात्रों के माध्यम से सामाजिक विषमताओं, गरीबों के संघर्ष और सामाजिक बंधनों के खिलाफ उनके दृढ़ संकल्प को दिखाया है। यह कहानियाँ उस समय के समाज की वास्तविकताओं को भी उजागर करती हैं।
    • यह संग्रह मानवीय स्वभाव, उनके मूल्यों, और समाज के प्रति उनके दायित्वों पर गहरी सोच प्रदान करता है।

कहानियों का सामाजिक और नैतिक महत्व:

    • प्रेमचंद की कहानियों में नैतिकता और सामाजिक दायित्व हमेशा से प्रमुख रहे हैं। सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 की कहानियाँ पाठकों को नैतिक संघर्ष और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
    • यह कहानियाँ पाठकों को विचारशील बनाती हैं और समाज की जटिलताओं और संघर्षों पर गहन चिंतन के लिए प्रेरित करती हैं।

प्रेमचंद की कहानियों की आज की प्रासंगिकता:

    • प्रेमचंद की कहानियाँ केवल उनके समय तक सीमित नहीं हैं। उनकी कहानियों के विषय, चाहे वह नैतिकता हो, समाज में परिवर्तन हो, या व्यक्ति के जीवन में आने वाली चुनौतियाँ, आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
    • पाठक सत्याग्रह के माध्यम से मानवीय संघर्ष, करुणा और सत्य की विजय की कहानियों से प्रेरित हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

    • सत्याग्रह: मानसरोवर 3-4 मुंशी प्रेमचंद की उन कालजयी कहानियों का संग्रह है जो आज भी पाठकों को प्रभावित करती हैं। यह कहानियाँ न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
    • पाठकों को इन कहानियों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें ताकि वे प्रेमचंद की सशक्त लेखनी और उनके गहरे सामाजिक और नैतिक संदेशों को समझ सकें।

Additional information

Weight 0.375 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.7 cm
Author

Sunil Khetarpal

ISBN

9789350832868

Pages

124

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Publication

ISBN 10

9350832860

FAQs

Satyagreh: Mansarovar 3-4 में क्या कहानियाँ शामिल हैं?
यह संग्रह मुंशी प्रेमचंद की विभिन्न कहानियों का एक खंड है, जिसमें समाज, सत्य, और मानव मूल्यों पर आधारित कई महत्वपूर्ण कहानियाँ शामिल हैं। ये कहानियाँ समाज में व्याप्त अन्याय, गरीबी, और नैतिक पतन जैसे मुद्दों को उजागर करती हैं।
इस पुस्तक में प्रेमचंद के लेखन की क्या विशेषताएँ हैं?
प्रेमचंद के लेखन की सबसे बड़ी विशेषता उनकी कहानियों की सादगी और यथार्थवाद है। उनकी कहानियाँ समाज की कड़वी सच्चाइयों और नैतिकता को सरल भाषा में प्रस्तुत करती हैं, जिससे हर पाठक उन्हें आसानी से समझ सकता है।
Satyagreh: Mansarovar 3-4 क्यों पढ़नी चाहिए?
यह पुस्तक समाज के मुद्दों को गहराई से समझने और नैतिकता के महत्व को जानने के लिए पढ़नी चाहिए। प्रेमचंद की कहानियाँ पाठकों को एक नई दृष्टि देती हैं और उन्हें समाज में बदलाव के प्रति जागरूक बनाती हैं।
क्या यह पुस्तक सभी आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है?
हाँ, Satyagreh: Mansarovar 3-4 सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए उपयुक्त है। यह कहानियाँ जीवन के हर चरण में सीखने और समझने योग्य हैं, चाहे आप विद्यार्थी हों, कामकाजी व्यक्ति हों, या कोई साहित्य प्रेमी।
Mansarovar संग्रह की कहानियाँ किन मुख्य मुद्दों पर आधारित हैं?
Mansarovar संग्रह की कहानियाँ मुख्य रूप से सामाजिक असमानता, नैतिक पतन, गरीबी, और मानवीय संघर्षों पर आधारित हैं। प्रेमचंद ने अपनी कहानियों के माध्यम से समाज में सुधार लाने की प्रेरणा दी है।