संग्रह की शीर्ष कहानी ‘सौवाँ गाँव’ मीनू त्रिपाठी के पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और उसके संरक्षण के प्रति आग्रह का प्रतिबिंब है। ‘सौवाँ गाँव’ पर्यावरण चेतना को नई दिशा दे रही है। अपने कथ्य और कथानक में नवीन शिल्प बुनती यह कहानी गहन संवेदना से परिपूर्ण है। जहाँ चहुँओर वनस्पतियों के प्रति गहरी उदासीनता है, वहीं मधुपुरवासी अपने बच्चे के जन्म पर पेड़ लगाते हैं और उससे उस नन्हे शिशु को साक्षात प्रकृति (शिवा) से आशीष दिलवाते हैं। यह कहानी ग्रामीणों के प्रकृति-प्रेम को तो उद्घाटित करती ही है, श्रेष्ठ के प्रति उनके स्वाभाविक श्रद्धाभाव को भी अभिव्यक्त करती है। वृक्षों के प्रति ग्रामीणों की यह समर्पणशीलता इस कहानी का वैशिष्ट्य है।
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शिक्षा – एम.ए., बी एड
साहित्य विधा – हिंदी कहानीकार
ई मेल :- [email protected]
प्रकाशित कहानी संग्रहः- कच्ची मिट्टी, चिट्ठी, आभार तुम्हारा, मैं न कहती थी, कब तक, परख ।
प्रकाशाधीन :- आले, रेड कोट, मेट्रो ।
प्रकाशित बाल संग्रहः- वृक्ष मित्र वीर, पानी का बदला, नल तो ठीक है, गुनगुन और गौरैया, दादी की छड़ी।
प्रकाशाधीन बाल संग्रह :- हरियाली की ओर, किट्टू और मिटू, कचरे वाला नल, सोनम और उसकी अनोखी कल्पना, सोनू का आलू प्रेम, बीज की इच्छा।
उपलब्धियाँ:- समाचार पत्र, साहित्यिक गैर – साहित्यिक, पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों का नियमित प्रकाशन । सी.बी.एस.ई तथा आई. सी. एस. सी की विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में रचनाएं शामिल । आकाशवाणी दिल्ली के इंद्रप्रस्थ चैनल से कहानियों का नियमित प्रसारण।
सम्मानः- साहित्य मंडल श्री नाथद्वारा हिंदी साहित्य विभूषण सम्मान, साहित्य समर्था संस्थान से अखिल भारतीय कुमुद टिक्कू कहानी सम्मान। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से नरेश मेहता पुरस्कार, भारतेन्दु समिति, कोटा के तत्वावधान में लोकसभा अध्यक्ष माननीय ओम बिड़ला द्वारा साहित्य श्री सम्मान, जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी जयपुर, राजस्थान द्वारा बाल साहित्य पुरस्कार, सुषमा स्वराज्य नारायणी सम्मान 2024, चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट से तीन पांडुलिपि पुरस्कृत 2024