Shiv Upasana (शिव उपासना)

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वैदिक साहित्य में उपासना का महत्वपूर्ण सीन है। हिन्दू धर्म सभी मतावलम्बी- वैष्णव, शैव, शाक्त तथा सनातन धर्मावलम्बी-उपासना का ही आश्रय ग्रहण करते हैं। यह अनुभूत सत्य है कि मन्त्रों में शक्ति होती है । परन्तु मन्त्रों की क्रमबद्धता; शुद्ध उच्चारण और प्रयोग का ज्ञान भी परम आवश्यक है, जिस प्रकार कई सुप्त व्यक्तियों में से जिस व्यक्ति के नाम का उच्चारण होता है, उसकी निद्रा भंग हो जाती है, अन्य सोते रहते हैं, उसी प्रकार शुद्ध उच्चारण से ही मन्त्र प्रभावशाली होते हैं और देवों को जाग्रत करते हैं। क्रमबद्धता भी उपासना की महत्वपूर्ण भाग है। दैनिक जीवन में हमारी दिनचर्या में यदि कहीं व्यतिक्रम हो जाता है तो कितनी कठिनाई होती है, उसी प्रकार उपासना में भी व्यतिक्रम कठिनाई उत्पन्न कर सकता है। अतः उपासना पद्धति में मन्त्रों का शुद्ध उच्चारण तथा क्रमबद्ध प्रयोग करने से ही अर्थ चतुष्टय की प्राप्ति कर परम लक्ष्म-मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है।

Additional information

Weight 0.150 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.4 cm
Author

Pt. Radha Krishna Srimali

ISBN-13

9788128802188

ISBN-10

8128802186

Pages

176

Format

Paperback

Language

HIndi

Publisher

Diamond Books

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