Shreshtha Sukti Sanchayan (श्रेष्ठ सूक्ति संचयन)

Original price was: ₹200.00.Current price is: ₹199.00.

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सूक्तियों के गहन संसार में अनगिनत डुबकियां लगाने के पश्चात् यह महसूस होना कोई अजूबा नहीं कि उनके पीछे मानव की अप्रतिम प्रतिभा का वास होता है। सत्य तो यह भी है कि जो प्रतिभा अपने समय तक प्रचारित एवं प्रसारित ज्ञान प्रवाह को यथा सामर्थ्य आत्मसात करके उसे यथाशक्ति – यथाक्षमता नूतन दिशा देने का प्रयास करती है, वह स्वगृहित विषयानुसार लेखकों, दार्शनिकों, बुद्धिजीवियों में परिगणित होने का अधिकार रखती है। लेकिन इसमें शर्त यह है कि उसका विशद मानवतावादी होना अनिवार्य है। मानवीय संवेदनाओं से संयुक्त ऐसी प्रतिभा समग्र मानवता को अपनी संवेदनायें प्रदान कर कालातीत और कालजयी हो जाती हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि सहज स्वाभाविक रूप में उसके चिंतन के केंद्र में मानवीय जीवन अपने समस्त सौंदर्य और विरोधाभासों के साथ रूपाकार प्राप्त करता है।

About the Author

डॉ. शिवशंकर अवस्थी बयालिस वर्ष अध्यापन कार्य कर दिल्ली विश्वविद्यालय के पी. जी. डी.ए.वी. महाविद्यालय से एसोसिएट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान संकाय से सेवानिवृत्त हुए। राजनीति विज्ञान पर हिन्दी एवं अंग्रेजी में पुस्तकों के अलावा तीन कहानी संग्रह, काल चिंतन के सात खंडों का संपादन, काव्य संग्रह है “ तुम्हें क्या मालूम ” । दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से लगभग ४०० से अधिक एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं।
राष्ट्रीय पुस्तक संवर्धन परिषद एवं कॉपीराइट प्रवर्तन परिषद एवं हिंदी अकादमी दिल्ली के कार्यकारिणी के सदस्य हो । वर्तमान में आई. आर. आर. ओ. के अध्यक्ष, ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव और हिन्दी अकादमी की कार्यकारिणी के सदस्य है।

ISBN10-9359200123