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सूक्तियों के गहन संसार में अनगिनत डुबकियां लगाने के पश्चात् यह महसूस होना कोई अजूबा नहीं कि उनके पीछे मानव की अप्रतिम प्रतिभा का वास होता है। सत्य तो यह भी है कि जो प्रतिभा अपने समय तक प्रचारित एवं प्रसारित ज्ञान प्रवाह को यथा सामर्थ्य आत्मसात करके उसे यथाशक्ति – यथाक्षमता नूतन दिशा देने का प्रयास करती है, वह स्वगृहित विषयानुसार लेखकों, दार्शनिकों, बुद्धिजीवियों में परिगणित होने का अधिकार रखती है। लेकिन इसमें शर्त यह है कि उसका विशद मानवतावादी होना अनिवार्य है। मानवीय संवेदनाओं से संयुक्त ऐसी प्रतिभा समग्र मानवता को अपनी संवेदनायें प्रदान कर कालातीत और कालजयी हो जाती हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि सहज स्वाभाविक रूप में उसके चिंतन के केंद्र में मानवीय जीवन अपने समस्त सौंदर्य और विरोधाभासों के साथ रूपाकार प्राप्त करता है।
Author | Dr. Shivshankar Awasthi |
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ISBN | 9789359200125 |
Pages | 152 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Junior Diamond |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/shreshtha-sukti-sanchayan-hindi/p/itmc9662dce1c47f?pid=9789359200125 |
ISBN 10 | 9359200123 |
सूक्तियों के गहन संसार में अनगिनत डुबकियां लगाने के पश्चात् यह महसूस होना कोई अजूबा नहीं कि उनके पीछे मानव की अप्रतिम प्रतिभा का वास होता है। सत्य तो यह भी है कि जो प्रतिभा अपने समय तक प्रचारित एवं प्रसारित ज्ञान प्रवाह को यथा सामर्थ्य आत्मसात करके उसे यथाशक्ति – यथाक्षमता नूतन दिशा देने का प्रयास करती है, वह स्वगृहित विषयानुसार लेखकों, दार्शनिकों, बुद्धिजीवियों में परिगणित होने का अधिकार रखती है। लेकिन इसमें शर्त यह है कि उसका विशद मानवतावादी होना अनिवार्य है। मानवीय संवेदनाओं से संयुक्त ऐसी प्रतिभा समग्र मानवता को अपनी संवेदनायें प्रदान कर कालातीत और कालजयी हो जाती हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि सहज स्वाभाविक रूप में उसके चिंतन के केंद्र में मानवीय जीवन अपने समस्त सौंदर्य और विरोधाभासों के साथ रूपाकार प्राप्त करता है।
ISBN10-9359200123
Diamond Books, Business and Management, Economics