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Shrimad Bhagwat Purana (श्रीमद् भागवत् पुराण)

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श्रीमद् भागवत पुराण एक विश्‍व वंद्य महाग्रंथ और महाकाव्‍य है जिसका काव्‍य- सौंदर्य, तात्त्विक रहस्‍य और विषय-बाहुल्‍यता विद्यमान्‍य ही नहीं, अपतिु विद्वता को परखने की कसौटी भी है। यह पुराण ज्ञान, कर्म और उपासना का एक अद्भुत समन्‍वय है। यह वैदि︎क साहित्‍य और संस्‍कृत साहित्‍य के गहन विषयों का खुला रहस्‍य है। यही नहीं, इसकी ज्ञेयता अनंत है। इसमें भूगोल, खगोल, इतिहास, दर्शन, विज्ञान, नीति कला, व अन्‍यान्‍य गणनातीत विषयों का मनोरंजक वर्णन है। साथ ही यह यह ईश्‍वरीय ज्ञान-वेदों की कुंजी, प्रकृति के रहस्‍यों का उद्घाटन और अभ्‍युदय – निश्रेयस (मुक्ति) का सर्वोत्‍तम सोपान है। सवार्धिक विलक्षण बात तो यह है कि इस पुराण में भारतके इतिहास के बहाने वेदों का गूढ़ रहस्‍य खोला गया है।

ISBN:

8128807242

 

 

 

श्रीमद् भगवत पुराण-0
Shrimad Bhagwat Purana (श्रीमद् भागवत् पुराण)
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Product Description

भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रंथों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। पुराण-साहित्य भारतीय जीवन और साहित्य को अक्षुण्ण निधि है। इनमें मानव जीवन के उत्कर्ष और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती हैं। कर्मकांड से ज्ञान की ओर आते हुए भारतीय मानस चिंतन के बाद भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई। विकास की इसी प्रक्रिया में बहुदेववाद और निर्गुण ब्रह्म की स्वरूपात्मक व्याख्या से धीरे-धीरे भारतीय मानस अवतारवाद या सगुण भक्ति की ओर प्रेरित हुआ। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी देवताओं को केन्द्र मान कर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही गई है।आज के निरन्तर द्वन्द्व के युग में पुराणों का पठन मनुष्य को उस इन्द्र से मुक्ति दिलाने में एक निश्चित दिशा दे सकता है और मानवता के मूल्यों की स्थापना में एक सफल प्रयास सिद्ध हो सकता है। इसी अश्य को सामने रख कर पाठकों की रुचि के अनुसार सरल, सहज भाषा में पुराण साहित्य की श्रृंखला में यह पुस्तक प्रस्तुत है।

“श्रीमद् भागवत् पुराण” की रचना किसने की?

“श्रीमद् भागवत् पुराण” की रचना महर्षि वेदव्यास द्वारा की गई है। यह 18 पुराणों में सबसे महत्वपूर्ण और भक्तिपूर्ण पुराण माना जाता है।

“श्रीमद् भागवत् पुराण” में कितने स्कंध होते हैं?

“श्रीमद् भागवत् पुराण” में कुल 12 स्कंध (अध्याय) होते हैं, जिनमें विभिन्न कथाएँ और उपदेश दिए गए हैं।

“श्रीमद् भागवत् पुराण” का मुख्य उद्देश्य क्या है?

“श्रीमद् भागवत् पुराण” का मुख्य उद्देश्य भगवान की महिमा और उनके भक्तों की भक्ति को प्रकट करना है, जिससे मानव जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति हो सके।

“श्रीमद् भागवत् पुराण” के कौन-कौन से प्रमुख पात्र हैं?

“श्रीमद् भागवत् पुराण” के प्रमुख पात्रों में भगवान कृष्ण, राजा परीक्षित, ध्रुव, प्रह्लाद, गजेंद्र और कई अन्य भक्त शामिल हैं, जिन्होंने भगवान की भक्ति से मोक्ष प्राप्त किया।

“श्रीमद् भागवत् पुराण” का भक्तों के जीवन में क्या महत्व है?

“श्रीमद् भागवत् पुराण” भक्तों के लिए भगवान की भक्ति और उनकी कृपा प्राप्त करने का मार्गदर्शन करता है। इसे पढ़ने और सुनने से आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

“श्रीमद् भागवत् पुराण” में भगवान कृष्ण की कौन सी प्रमुख लीलाएँ वर्णित हैं?

“श्रीमद् भागवत् पुराण” में भगवान कृष्ण की बाल लीलाएँ, गोपियों के साथ रास लीला, और कंस वध जैसी प्रमुख लीलाओं का वर्णन है।

Additional information

Author

Vinay

ISBN

8128807242

Pages

88

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128807242