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Shudron Ka Itihas (शूद्रों का इतिहास) Hindi Translation Of Who Were The Shudras ? By Dr. Bhimrao Ambedkar-1
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Shudron Ka Itihas (शूद्रों का इतिहास) Hindi Translation Of Who Were The Shudras ? By Dr. Bhimrao Ambedkar-2

Shudron Ka Itihas (शूद्रों का इतिहास) Hindi Translation Of Who Were The Shudras ? By Dr. Bhimrao Ambedkar in Paperback

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किताब के बारे में

शूद्रों का इतिहास यह पुस्तक शूद्रों के इतिहास और भारतीय समाज में उनकी स्थिति पर केंद्रित है। लेखक, भीमराव अम्बेडकर, शास्त्रीय ग्रंथों, पुरातात्विक साक्ष्यों और मौखिक परंपराओं सहित विभिन्न स्रोतों का उपयोग करके शूद्रों के जीवन और अनुभवों का चित्रण करते हैं।
पुस्तक निम्नलिखित बिन्दुओं पर विस्तृत बात करती है
– प्राचीन भारत में शूद्रों की उत्पत्ति और सामाजिक स्थिति
– वर्ण व्यवस्था में शूद्रों का स्थान
– शूद्रों के व्यवसाय और आर्थिक जीवन
– शूद्रों की शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियां
– शूद्रों के धार्मिक विश्वास और प्रथाएं
– मध्यकालीन और आधुनिक भारत में शूद्रों का सामाजिक-राजनीतिक संघर्ष यह पुस्तक शूद्रों के इतिहास और भारतीय समाज में उनकी भूमिका पर एक व्यापक और सूचनात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह जाति व्यवस्था और भारतीय समाज में सामाजिक असमानता के मुद्दों को समझने में मदद करती है। यह शूद्रों के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष के बारे में जागरूकता बढ़ाती है।

लेखक के बारे में

डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता माना जाता है। वे एक महान विद्वान, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। दलित समुदाय से आने के बावजूद उन्होंने अथक प्रयासों से उच्च शिक्षा प्राप्त की और समाज में दलितों के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
प्रारंभिक जीवन : *14 अप्रैल, 1891. आंबेडकर नगर, जिसका भूतपूर्व नाम महूँ था, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर जिले में स्थित एक नगर है। यहाँ डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म हुआ था और यह एक ऐतिहासिक छावनी भी है।
*शिक्षा के प्रति उनके जुनून ने उन्हें कई चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा और करियर : *उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए विदेश भी गए और अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
*भारत लौटने के बाद उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत ।
*भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।
भारतीय संविधान के निर्माण में योगदान : *भारत के स्वतंत्रता के बाद डॉ. आंबेडकर को संविधान सभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
*उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया और इसमें सामाजिक न्याय और समानता को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रावधान शामिल किए।
*भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे लंबा और विस्तृत संविधान माना जाता ।
सामाजिक सुधार : *डॉ. आंबेडकर ने दलितों के उत्थान के लिए कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत की।
*उन्होंने छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई और दलितों को शिक्षा और रोजगार के वसर उपलब्ध कराने के लिए काम किया।
*उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और दलितों को बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित किया।
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने समाज में समानता और न्याय स्थापित करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। यह सिर्फ एक संक्षिप्त परिचय है। आंबेडकर के जीवन और कार्यों के बारे में और अधिक जानने के लिए आप उनकी जीवनी पढ़ सकते हैं या उनके बारे में खे गए लेख पढ़ सकते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य : *डॉ. आंबेडकर ने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘द अनटचेबल्स’, ‘राइडू’ और ‘बुद्ध और उसका धर्म’ शामिल हैं।
*उन्होंने कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का संपादन किया।
*वे एक कुशल वक्ता थे और उन्होंने कई सार्वजनिक भाषण दिए
*आंबेडकर का जन्मदिन 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है
*आंबेडकर ने कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया, नमें कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स शामिल हैं।
*डॉ. आंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
*उन्हें भारत का संविधान निर्माता माना जाता है।
*उनके विचारों ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित किया है।
*आज भी दलित समुदाय के लोग उन्हें अपना मसीहा मानते हैं।

शूद्रों का इतिहास ,शूद्र कौन थे और भारतीय समाज में उनकी क्या स्थिति थी?

शूद्र भारतीय वर्ण व्यवस्था का चौथा वर्ग थे, जिन्हें परंपरागत रूप से समाज में निम्न स्थान दिया गया और कई सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा।

शूद्रों का इतिहास पुस्तक में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने शूद्रों के इतिहास पर क्याअध्ययन किया?

वे जाति व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव को समझना और इसे समाप्त करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने शास्त्रीय ग्रंथों, पुरातत्व और इतिहास का गहन अध्ययन किया।

शूद्रों का इतिहास पुस्तक में शूद्रों की उत्पत्ति के बारे में डॉ. आंबेडकर का क्या मत था?

आंबेडकर का मानना था कि शूद्र मूल रूप से क्षत्रिय थे, लेकिन बाद में सामाजिक-राजनीतिक कारणों से उन्हें नीचा दिखाया गया और वर्ण व्यवस्था में उनका स्थान बदल दिया गया।

शूद्रों का इतिहास पुस्तक में शूद्रों के आर्थिक जीवन को डॉ. आंबेडकर किस प्रकार दर्शाया है ?

उन्होंने बताया कि शूद्रों को आमतौर पर निम्नस्तरीय श्रमिक, कृषक और कारीगरों के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था और उनके आर्थिक विकास को सीमित कर दिया गया था।

डॉ. आंबेडकर ने भारतीय संविधान में शूद्रों के लिए कौन से अधिकार सुनिश्चित किए?

उन्होंने शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी के लिए आरक्षण प्रणाली लागू की और छुआछूत जैसी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए कानून बनाए।

Additional information

Weight 0.150 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.4 cm
Author

Dr. B. R. Ambedkar

Pages

160

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Shudron Ka Itihas (शूद्रों का इतिहास) Hindi Translation Of Who Were The Shudras ? By Dr. Bhimrao Ambedkar-1

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Shudron Ka Itihas (शूद्रों का इतिहास) Hindi Translation Of Who Were The Shudras ? By Dr. Bhimrao Ambedkar-4

ISBN10-: 936318028X

SKU 9789363180284 Categories , Tags ,

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