सीता विपिन में बैठकर पन्ने विगत के खोलती
तर्कों-वितर्कों पर सभी घटनाक्रमों को तोलती-
बनकर गरल जो घुल रहा, वह कौन सा अभिशाप है
बड़वाग्नि सा हिय मध्य जलता, कौन सा वह पाप है
उत्तर रहित ही प्रश्न यह, है सामने मेरे पड़ा
है कौन सा दुष्कर्म मेरा फलित हो सम्मुख खड़ा
क्यों घेर लाई है नियति, फिर वेदना की यामिनी
है आज क्यों वनवास फिर से, विवशता मेरी बनी
विधिनाथ से मेरी खुशी, पल भर नहीं देखी गई
किस कर्म का है दण्ड, वन रघुकुल-वधू भेजी गई
था घोर कितना पाप मेरा, दण्ड पाने के लिए
कम पड़ गए चौदह बरस, वनवास जो हमने किए
About the Author
(जन्म-उत्तर प्रदेश)
एक लोकप्रिय उपन्यासकार, जिनकी अब तक की प्रकाशित सभी कृतियाँ पाठकों के द्वारा बहुत ही पसंद की गई हैं। धनंजय, अरावली का मार्तण्ड, योगी का रामराज्य और युगपुरुषः विक्रमादित्य के बाद डायमंड बुक्स के द्वारा प्रकाशित उनका नबीनतम उपन्यास ‘जिहाद’ आपके समक्ष है।
सभी प्रकाशित कृतियाँ-
1. उपन्यास – ‘धनंजय’, ‘अरावली का मार्तण्ड’, ‘युग पुरुष : सम्राट विक्रमादित्य’, ‘योगी का रामराज्य’, ‘जिहाद’।
2. कहानी संग्रह- ‘राम रचि राखा’।
3. काव्य- ‘सीताः एक नारी’ (खंडकाव्य), ‘बस इतना ही करना’ (काव्य-संग्रह )।। पुरस्कार- ‘जयशंकर प्रसाद पुरस्कार’, हिंदी संस्थान उत्तर प्रदेश।