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Swadhinta Ke Yugpurush Shri Atal Bihari Vajpayi : Jung Na Hone Denge (स्वाधीनता के युगपुरुष श्री अटल बिहारी वाजपेयी : जंग न होने देंगे)

250.00

कैरेबियाई देशों में हिन्दी शिक्षा ओर सूरीनाम हिन्दी परिषद शीर्षक से इस पुस्तक को मैंने उस समय पूरे विश्व में हिन्दी की अलख जगाने वाले देश के प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी कविता ‘जंग न होने देंगे’ के अंग्रेजी अनुवाद सहित समर्पित की। पुस्तक के प्रकाशन की प्रति जब उन्हें भिजवायी तो सूरीनाम के डिप्लोमैटिक बैग में प्रधानमंत्री जी को पत्र मेरे नाम आया। मेरे लिए ईश्वरीय वरदान की तरह उनका पत्र था। जिसने विदेश में भी मुझे स्वदेश के घर का सुख की अनुभूति दी। और लगा मैं विदेश में नहीं बल्कि स्वदेश स्वदेश के घर में दूँ और मेरे संरक्षक ने आशीष पत्र देकर मुझे घर में होने की दुर्लभ अनुभूति दे दी है।

About the Author

डॉ. पुष्पिता अवस्थी का जन्म 14 जनवरी, 1960 को कानपुर देहात के गुड़गाँव ग्राम के जमींदार परिवार में हुआ। प्रो. पुष्पिता अवस्थी मूलत: संवेदनशील कवि और गंभीर मानवीय मूल्यों के संरक्षण की चिंतक हैं। 13 काव्य संग्रहों सहित विश्व के अनछुए विषयों पर सभी विधाओं में अपनी पैठ और पकड़ बनाते हुए उनकी सत्तर से अधिक सम्मानित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। विश्व यायावर पुष्पिता की पुरस्कृत पुस्तकों की देश-विदेश की भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। विश्वविद्यालय के 12 हिंदी विभागों के पाठ्यक्रम में कविताएँ और कहानियाँ संलग्न हैं एवं कई विश्वविद्यालय में शोध कार्य जारी है। जिसमें से कुछ पीएच. डी की उपाधि से विभूषित हो चुके हैं।

संपर्क: प्रो. डॉ. पुष्पिता अवस्थी

1. अध्यक्ष- हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन, नीदरलैण्ड
2. ग्लोबल अंबेसडर MIT वर्ल्ड पोजस यूनिवर्सिटी, वर्ल्ड पीस डोम, पूना
3. अध्यक्ष- आचार्य कुल, वर्धा
4. अटल फाउंडेशन – अंतर्राष्ट्रीय संयोजक
5. हरिजन सेवक संघ – ग्लोबल एंबेसडर
6. अध्यक्ष – इंटरनेशनल नान वायलेंस एंड पीस एकेडमी
7. अध्यक्ष, गार्जियन ऑफ अर्थ एंड ग्लोबल कल्चर

ISBN10-9359643939

250.00

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कैरेबियाई देशों में हिन्दी शिक्षा ओर सूरीनाम हिन्दी परिषद शीर्षक से इस पुस्तक को मैंने उस समय पूरे विश्व में हिन्दी की अलख जगाने वाले देश के प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी कविता ‘जंग न होने देंगे’ के अंग्रेजी अनुवाद सहित समर्पित की। पुस्तक के प्रकाशन की प्रति जब उन्हें भिजवायी तो सूरीनाम के डिप्लोमैटिक बैग में प्रधानमंत्री जी को पत्र मेरे नाम आया। मेरे लिए ईश्वरीय वरदान की तरह उनका पत्र था। जिसने विदेश में भी मुझे स्वदेश के घर का सुख की अनुभूति दी। और लगा मैं विदेश में नहीं बल्कि स्वदेश स्वदेश के घर में दूँ और मेरे संरक्षक ने आशीष पत्र देकर मुझे घर में होने की दुर्लभ अनुभूति दे दी है।

About the Author

डॉ. पुष्पिता अवस्थी का जन्म 14 जनवरी, 1960 को कानपुर देहात के गुड़गाँव ग्राम के जमींदार परिवार में हुआ। प्रो. पुष्पिता अवस्थी मूलत: संवेदनशील कवि और गंभीर मानवीय मूल्यों के संरक्षण की चिंतक हैं। 13 काव्य संग्रहों सहित विश्व के अनछुए विषयों पर सभी विधाओं में अपनी पैठ और पकड़ बनाते हुए उनकी सत्तर से अधिक सम्मानित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। विश्व यायावर पुष्पिता की पुरस्कृत पुस्तकों की देश-विदेश की भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। विश्वविद्यालय के 12 हिंदी विभागों के पाठ्यक्रम में कविताएँ और कहानियाँ संलग्न हैं एवं कई विश्वविद्यालय में शोध कार्य जारी है। जिसमें से कुछ पीएच. डी की उपाधि से विभूषित हो चुके हैं।

संपर्क: प्रो. डॉ. पुष्पिता अवस्थी

1. अध्यक्ष- हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन, नीदरलैण्ड
2. ग्लोबल अंबेसडर MIT वर्ल्ड पोजस यूनिवर्सिटी, वर्ल्ड पीस डोम, पूना
3. अध्यक्ष- आचार्य कुल, वर्धा
4. अटल फाउंडेशन – अंतर्राष्ट्रीय संयोजक
5. हरिजन सेवक संघ – ग्लोबल एंबेसडर
6. अध्यक्ष – इंटरनेशनल नान वायलेंस एंड पीस एकेडमी
7. अध्यक्ष, गार्जियन ऑफ अर्थ एंड ग्लोबल कल्चर

Additional information

Author

Prof. Pushpita Awasthi

ISBN

9789359643939

Pages

96

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9359643939?ref=myi_title_dp

Flipkart

https://www.flipkart.com/swadhinta-ke-yugpurush-shri-atal-bihari-vajpayi-jung-na-hone-denge-hindi/p/itmafa4c899eeabe?pid=9789359643939

ISBN 10

9359643939

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