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Thakur Ka Kuan Tatha Anya Kahaniyan by Munshi prem chand-ठाकुर का कुआँ

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मानसरोवर भाग 1-2 मुंशी प्रेमचंद की सम्पूर्ण कहानियां ठाकुर का कुआं तथा अन्य कहानियां ठाकुर का कुआं: ग्रामीण परिवेश को लेकर ऊंची तथा नीची जाति संस्कृति को उकेरती यह कहानी आम आदमी की दिल की गहराई तक उतर जाती है। कहानी की नायिका गंगी गांव के ठाकुरों के डर से अपने बीमार पति को स्वच्छ पानी तक नहीं पिला पाती है। इस विवशता को पाठक अपने अंतस्तल तक महसूस करता है, यही लेखक की महानता का परिचायक है। कितने दुर्भाग्य की बात है कि यह दृश्य आज भी स्वतंत्र भारत के हजारों गांवों में बदस्तूर जारी है। इसके अलावा हम इस पुस्तक में मुंशी प्रेमचंद की अन्य कहानियों को भी शामिल कर रहे हैं जो न केवल सरल भाषा में लिखी गयी हैं बल्कि पढ़ने वालों को नई प्रेरणा और सीख भी देती हैं। दुनिया में प्रथम् श्रेणी के सुविख्यात लेखक प्रेमचंद की कहानियों का यह भाग उनकी मूल रचना है। इसमें किसी तरह की काट-छांट नहीं की गयी है। हिन्दी साहित्य के यशस्वी लेखक मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं ने करोड़ों हिन्दी पाठकों के हृदय को तो छुआ ही है, साथ-ही-साथ अन्य भाषाभाषियों को भी प्रभावित किया है। उनकी रचनाएं साहित्य की सबलतम निधि हैं। उनकी कहानियों को मानसरोवर के आठ खंडों में समाहित किया गया है, जिसे डायमंड पॉकेट बुक्स ने आकर्षक आवरण में चार भागों में प्रकाशित किया है। इस खंड में हम उनकी यादगार कहानी ठाकुर का कुआं भी प्रस्तुत कर रहे हैं।

ISBN10-9350832682

ISBN10-9350832682

Munshi Prem Chand
Thakur Ka Kuan Tatha Anya Kahaniyan By Munshi Prem Chand-ठाकुर का कुआँ
Munshi Prem Chand
Thakur Ka Kuan Tatha Anya Kahaniyan By Munshi Prem Chand-ठाकुर का कुआँ
ठाकुर का कुआँ
Thakur Ka Kuan Tatha Anya Kahaniyan By Munshi Prem Chand-ठाकुर का कुआँ

पुस्तक के बारे में

ठाकुर का कुआं” मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण कहानी है, जो भारतीय समाज में जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता को उजागर करती है। इस कहानी में ठाकुर और गाँव के लोगों के बीच का संघर्ष दर्शाया गया है, जो मानवता और नैतिकता के गहरे प्रश्नों को उठाता है। प्रेमचंद ने इस रचना के माध्यम से समाज के कमजोर वर्ग की स्थिति को संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक सामाजिक न्याय और समानता के महत्व को समझ सकते हैं। यह कहानी आज भी प्रासंगिक है और हमें सामाजिक मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है

लेखक के बारे में

धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।

ठाकुर का कुआं किस विषय पर आधारित है?

यह कहानी मानवता, धर्म, और सामाजिक न्याय पर आधारित है, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं का चित्रण किया गया है।

u003cstrongu003eक्यों ठाकुर का कुआं महत्वपूर्ण है?u003c/strongu003e

यह पुस्तक पाठकों को सामाजिक मुद्दों पर विचार करने और मानवता के गहरे अर्थों को समझने में मदद करती है।

ठाकुर का कुआं’ कविता पर विवाद की वजह क्या है?

ठाकुर का कुआंu0022 कविता पर विवाद की वजह मुख्यतः इसके सामाजिक और जातीय मुद्दों से जुड़ी है। यहाँ कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं:u003cbru003eu003cstrongu003eजातिगत भेदभाव:u003c/strongu003e कविता में ठाकुर और गाँव के अन्य लोगों के बीच के सामाजिक भेदभाव को उजागर किया गया है। यह भेदभाव जाति व्यवस्था और उसके दुष्प्रभावों को दर्शाता है, जो कुछ लोगों को आहत कर सकता है।u003cbru003eu003cbru003eu003cstrongu003eसामाजिक असमानता:u003c/strongu003e कविता में दिखाए गए सामाजिक असमानता के मुद्दे ने कई पाठकों और विचारकों को चिंतित किया। यह व्यवस्था उन लोगों को प्रभावित करती है जो कमजोर वर्ग से आते हैं।u003cbru003eu003cbru003eu003cstrongu003eनैतिकता और मानवता:u003c/strongu003e कविता में वर्णित घटनाएँ और पात्रों की स्थिति मानवता और नैतिकता के सवाल उठाते हैं। कुछ लोग इसे समाज के लिए एक गंभीर दृष्टिकोण मानते हैं, जबकि अन्य इसे विवादास्पद समझते हैं।u003cbru003eu003cbru003eu003cstrongu003eराजनीतिक संदर्भ:u003c/strongu003e समय-समय पर, इस कविता का उपयोग राजनीतिक विमर्श में भी किया गया है, जिससे इसे और विवादित बनाया गया है।

u003cstrongu003eप्रेमचंद ने u0022ठाकुर का कुआंu0022 कब लिखी थी?u003c/strongu003e

यह कहानी प्रेमचंद ने 1930 के दशक में लिखी थी, जो उनके सामाजिक चिंतन को दर्शाती है।

u0022ठाकुर का कुआंu0022 में पानी का क्या प्रतीकात्मक महत्व है?

पानी इस कहानी में जीवन, समानता और स्वतंत्रता का प्रतीक है। गरीबों और दलितों के लिए पानी तक पहुंच की कठिनाई उनकी सामाजिक स्थिति और उत्पीड़न को दर्शाती है।

Additional information

Weight 550 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.57 cm
Author

Prem Chand

ISBN

9789350832684

Pages

128

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Tiger Books

ISBN 10

9350832682

ISBN : 9789350832684 SKU 9789350832684 Categories , , Tags ,

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