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Urdu Ke Mashoor Shayar Sahir Ludhianvi Aur Unki Chuninda Shayari (उर्दू के मशहूर शायर साहिर लुधयानवी और उनकी चुनिंदा शायरी)-0
Urdu Ke Mashoor Shayar Sahir Ludhianvi Aur Unki Chuninda Shayari (उर्दू के मशहूर शायर साहिर लुधयानवी और उनकी चुनिंदा शायरी)-5914
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Urdu Ke Mashoor Shayar Sahir Ludhianvi Aur Unki Chuninda Shayari (उर्दू के मशहूर शायर साहिर लुधयानवी और उनकी चुनिंदा शायरी)

Original price was: ₹195.00.Current price is: ₹194.00.

साहिर लुधियानवी प्रसिद्ध शायर और गीतकार थे। साहिर एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्हें अगर कलम का शहंशाह कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी। साहित्य जगत में साहिर का नाम है जिनके लिखे गीत आज भी लोगों के होठों पर बढ़-चढ़कर थिरकते हैं क्योंकि उनके शब्दों के मोहपाश से कोई भी खुद को अलग नहीं कर पाता है।
हिंदी फिल्मों के लिए लिखे उनके गानों में भी उनका व्यक्तित्व झलकता है। उनके गीतों में संजीदगी कुछ इस तरह झलकती है जैसे ये उनके जीवन से जुड़े हों।
वक्त के कागज़ पर अपने जमाने की दास्तान लिखने वाले साहिर ने ताउम्र अपनी तमाम रचनाओं में आधी आबादी के पूरे हक और इज्जत की नुमाइंदगी की। स्त्रियों को लेकर उनकी रचना दृष्टि का फलक बहुत ही व्यापक दिखाई देता है। अपने गानों में कभी वे अपनी महबूबा के जमाल को लफ्जों से बांधते नजर आते हैं, कभी ‘मेरे घर आई एक नन्ही परी’ लिख कर उस नन्ही बच्ची की सम्मोहक किलकारियां उकेरते हैं तो कभी ‘चकला’ और ‘औरत’ जैसी नज्म में उन औरतों की चीखे ढालते हैं जिन्हें समाज की पिछड़ी निगाहें सिर्फ देह के दायरों में बंधा देखने में अभिशप्त है।
दुनिया ने तजुर्बात-ओ-हवादिस की शकल में
जो कुछ मुझे दिया है वोह लौटा रहा हूँ मैं.

Additional information

Author

Narender Govind Behl

ISBN

9789390960170

Pages

554

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/Mashoor-Ludhianvi-Chuninda-Shayari-/dp/9390960177/ref=tmm_pap_swatch_0?_encoding=UTF8&qid=1643450747&sr=8-1

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https://www.flipkart.com/urdu-ke-mashhoor-shayar-sahir-ludhianvi-aur-unki-chuninda-shayari/p/itma5144bfd217f4?pid=9789390960170

ISBN 10

9390960177

साहिर लुधियानवी प्रसिद्ध शायर और गीतकार थे। साहिर एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्हें अगर कलम का शहंशाह कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी। साहित्य जगत में साहिर का नाम है जिनके लिखे गीत आज भी लोगों के होठों पर बढ़-चढ़कर थिरकते हैं क्योंकि उनके शब्दों के मोहपाश से कोई भी खुद को अलग नहीं कर पाता है।
हिंदी फिल्मों के लिए लिखे उनके गानों में भी उनका व्यक्तित्व झलकता है। उनके गीतों में संजीदगी कुछ इस तरह झलकती है जैसे ये उनके जीवन से जुड़े हों।
वक्त के कागज़ पर अपने जमाने की दास्तान लिखने वाले साहिर ने ताउम्र अपनी तमाम रचनाओं में आधी आबादी के पूरे हक और इज्जत की नुमाइंदगी की। स्त्रियों को लेकर उनकी रचना दृष्टि का फलक बहुत ही व्यापक दिखाई देता है। अपने गानों में कभी वे अपनी महबूबा के जमाल को लफ्जों से बांधते नजर आते हैं, कभी ‘मेरे घर आई एक नन्ही परी’ लिख कर उस नन्ही बच्ची की सम्मोहक किलकारियां उकेरते हैं तो कभी ‘चकला’ और ‘औरत’ जैसी नज्म में उन औरतों की चीखे ढालते हैं जिन्हें समाज की पिछड़ी निगाहें सिर्फ देह के दायरों में बंधा देखने में अभिशप्त है।
दुनिया ने तजुर्बात-ओ-हवादिस की शकल में
जो कुछ मुझे दिया है वोह लौटा रहा हूँ मैं. ISBN10-9390960177