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हिन्दी भाषा के महान उपन्यासकार आचार्य चतुरसेन शास्त्री की रचना ‘वैशाली की नगरवधू’ वह उपन्यास है जिसकी गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। अपने इस उपन्यास के बारे में स्वयं आचार्य जी ने कहा था, “मैं अब तक की सारी रचनाओं को रद्द करता हूँ और ‘वैशाली की नगरवधू’ को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।” यह उपन्यास भारतीय जीवन का जीता-जागता खाका है। उपन्यास की कहानी का परिवेश ऐतिहासिक और सांस्कृतिक है जो बौद्ध काल से जुड़ी हुई है। इसमें तत्कालीन लिच्छिवि संघ की राजधानी वैशाली की पुरावधू ‘आम्रपाली’ को प्रधान चरित्र के जरिए उस युग के हास-विलासपूर्ण सांस्कृतिक वातावरण को उकेरने की कोशिश की गयी है। वस्तुतः यह उपन्यास मगध और वैशाली के रूप में साम्राज्य और गणतंत्र के टकराव को रूप देता है। इसमें शास्त्री जी वैशाली के पक्षधर हैं। उनका मानना है कि राजतन्त्र और तानाशाह की जीत, दुश्मन को पूरी तरह बरबाद कर देती है जबकि जनप्रतिनिधियों और लोकतन्त्र की जीत उतनी हिंसक नहीं होती।
आचार्य चतुरसेन जी साहित्य की किसी एक विशिष्ट विधा तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने किशोरावस्था में कहानी और गीतिकाव्य लिखना शुरू किया, बाद में उनका साहित्य-क्षितिज फैला और वे जीवनी, संस्मरण, इतिहास, उपन्यास, नाटक तथा धार्मिक विषयों पर लिखने लगे।
शास्त्रीजी साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक कुशल चिकित्सक आचाय चतुरसन भी थे। वैद्य होने पर भी उनकी साहित्य-सर्जन में गहरी रुचि थी। उन्होंने राजनीति, धर्मशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास और युगबोध जैसे विभिन्न विषयों पर लिखा। ‘वैशाली की नगरवधू’, ‘वयं रक्षाम’ और ‘सोमनाथ’, ‘गोली’, ‘सोना औरखून’ (तीन खंड), ‘रत्तफ की प्यास’, ‘हृदय की प्यास’, ‘अमर अभिलाषा’, ‘नरमेघ’, ‘अपराजिता’, ‘धर्मपुत्र’ सबसे ज्यादा चर्चित कृतियाँ हैं।
वैशाली की नगरवधू एक ऐतिहासिक उपन्यास है जो प्राचीन भारत के वैशाली राज्य की एक प्रसिद्ध नगरवधू आम्रपाली की कहानी को दर्शाता है। यह समाज, राजनीति और प्रेम के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है।
इस पुस्तक के लेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री हैं, जो हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं। उनका यह उपन्यास ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस उपन्यास की मुख्य पात्र आम्रपाली है, जो अपनी सुंदरता और बुद्धिमत्ता के कारण नगरवधू बनती है। इसके अलावा, वैशाली राज्य के राजनेता और समाज के विभिन्न लोग भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हाँ, वैशाली की नगरवधू का आधार ऐतिहासिक तथ्यों पर है, खासकर आम्रपाली और प्राचीन वैशाली राज्य के इतिहास को लेकर, लेकिन इसे लेखक ने साहित्यिक और कथा रूप में प्रस्तुत किया है।
यह उपन्यास उन पाठकों के लिए है जो भारतीय इतिहास, संस्कृति और समाज की गहराइयों को समझना चाहते हैं। यह साहित्य प्रेमियों और ऐतिहासिक घटनाओं में रुचि रखने वाले लोगों के लिए विशेष रूप से दिलचस्प होगा।
इस उपन्यास का मुख्य संदेश समाज में महिलाओं की स्थिति, राजनीति और प्रेम के जटिल संबंधों को समझने में है। यह दिखाता है कि कैसे समाज के नियम और राजनीति किसी व्यक्ति की निजी और सार्वजनिक जीवन को प्रभावित करते हैं।
Weight | 0.425 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 2.9 cm |
Author | Acharya Chatursen |
ISBN | 9789390287123 |
Pages | 168 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/vaishali-ki-nagarvadhu/p/itmfcv5thmskpchg?pid=9789390287123 |
ISBN 10 | 939028712X |
आचार्य चतुरसेन द्वारा लिखित एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जो प्राचीन भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है। इस कहानी की नायिका आम्रपाली है, जो वैशाली की प्रसिद्ध नगरवधू थी, जिसे उसकी अद्वितीय सुंदरता, बुद्धिमत्ता और समाज एवं राजनीति पर गहरे प्रभाव के लिए जाना जाता था। उपन्यास में आम्रपाली के जीवन के माध्यम से उस समय के सामाजिक और सांस्कृतिक संघर्षों का चित्रण किया गया है, जिसमें प्रेम, सत्ता, विश्वासघात और आध्यात्मिकता जैसे प्रमुख विषयों को छुआ गया है। यह पुस्तक प्राचीन भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य और उसमें महिलाओं की जटिल भूमिका को गहराई से प्रस्तुत करती है।
ISBN10- 939028712X
Books, Business and Management, Diamond Books, Economics
Diamond Books, Books, Novel, Self Help
Autobiography & Memories, Diamond Books
Hinduism, Books, Diamond Books, Religious
Biography, Diamond Books, Economics, Fiction, Indian Classics
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