प्रस्तुत है, राजेन्द्रमोहन भटनागर का नया उपन्यास – वैलेंटाइन डे जिसमें प्रेमी-प्रेमिकाओं के प्यार भरे जज्बात को एक नये अंदाज में प्रस्तुत किया गया है। यदि आप ‘वैलेंटाइन ‘डे’ को चिरस्थायी बनाना चाहते हैं और एक रिश्ते का नाम देना चाहते हैं, तो इस पुस्तक को पढ़ना अपने आप में एक सुखद अनुभव होगा। और दे डालें यह बेहतरीन उपहार उसे जिसे तुम्हारा दिल बार-बार पुकारता है। सच्ची घटनाओं पर आधारित प्रेमी-प्रेमिकाओं के जब्बातों से रूबरू कराने वाला एक बेहद रोचक उपन्यास |
About the Author
जन्म: 2 मई, 1938, अंबाला कैंट (हरियाणा)।
रचना-संसार : अनेक विधाओं को अपनी रचनाओं से समृद्ध किया है- ‘नीले घोड़े का सवार’, ‘दिल्ली चलो’, ‘सरकार’, ‘गौरांग’, ‘कुली बैरिस्टर’, ‘विवेकानंद’, ‘सूरश्याम’, ‘युगपुरुष अंबेडकर’, ‘योगी अरविंद’, ‘माटी की पुकार’, ‘सनातन पुरुष’, ‘अंतर्यात्रा’, ‘न गोपी, राधा’, ‘परछाइयाँ’, ‘कायदे आजम’, ‘अंतिम सत्याग्रही’ (उपन्यास); ‘संध्या का भोर’, ‘सेनानी’, ‘रक्तध्वज’, ‘महाप्रयाण’ (नाटक); ‘अगस्त क्रांति’, ‘आज की ताजा खबर’, ‘गौरैया’, ‘माँग का सिंदूर’ (कहानी संग्रह ) ।
हिंदी साहित्य के ही नहीं, बल्कि विश्व साहित्य के अकेले ऐसे उपन्यासकार – नाटककार हैं, जिन्होंने एक ही ऐतिहासिक नायक पर अनेक उपन्यास-नाटक दिए हैं और वह भी कथाना, चरित्र, भाषाशैली आदि एक-दूसरे से सर्वथा भिन्न तथा जीवंत। उनमें से अनेक पुरस्कृत भी हुए हैं, यथा राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च मीरा पुरस्कार, हरियाणा साहित्य अकादमी का विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, महाराणा कुँवर पुरस्कार, नाहर साहित्य सम्मान, राजस्थान साहित्य अकादमी का विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, घनश्यामदास सराफ सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार आदि ।
कुछ रचनाओं का अंग्रेजी, फ्रेंच, मलयालम, सिंधी, मराठी, गुजराती, कन्नड़ आदि भाषाओं में अनुवाद |