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Vibhajan Ki Vibhishika Aur Gandhiji (विभाजन की विभीषिका और गांधीजी) Exploring the truth of Partition and Gandhi’s leadership -0
Vibhajan Ki Vibhishika Aur Gandhiji (विभाजन की विभीषिका और गांधीजी) Exploring the truth of Partition and Gandhi’s leadership -0
Vibhajan Ki Vibhishika Aur Gandhiji (विभाजन की विभीषिका और गांधीजी) Exploring the truth of Partition and Gandhi’s leadership -0

Vibhajan Ki Vibhishika Aur Gandhiji (विभाजन की विभीषिका और गांधीजी) Exploring the truth of Partition and Gandhi’s leadership-In Paperback

Original price was: ₹400.00.Current price is: ₹399.00.

किताब के बारे में

विभाजन की विभीषिका और गांधीजी -: मुस्लिम तुष्टिकरण देश को गांधीजी की देन है। जिसके कारण देश को विभाजन की पीड़ा से गुजरना पड़ा। स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज और सावरकर जी जैसे राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों के बार-बार टोकने के उपरांत भी गांधी जी अपनी नीतियों से बाज नहीं आये। वह निरंतर मुस्लिम तुष्टिकरण का खेल खेलते रहे। करने के लिए गांधी जी को हिंदुओं के हितों की बलि चढ़ाने की आवश्यकता अनुभव हुई तो उन्होंने हिंदूहितों को खुशी-खुशी बलि चढ़ा दिया। इसके चलते उनकी तीखी आलोचनाएं की गई। परंतु उन्होंने इस प्रकार की आलोचनाओं का कोई संज्ञान नहीं लिया। उनकी इस प्रकार की नीतियों के कारण देश को विभाजन की विभीषिका का सामना करना पड़ा।राकेश कुमार आर्य जादा जब भी उनका मुस्लिम समाज से सामना हुआ और उन्हें खुश करने का प्रयास किया गया है कि गांधी जी की हिंदू विरोधी मानसिकता और मुसलमानों को संतुष्ट करने की अनीतिपरक नीतियों के कारण देश का विभाजन हुआ। इस विभाजन के लिए सावरकर जी या स्वामी श्रद्धानंद जी या आर्य समाज या हिंदू महासभा या किसी भी हिंदूवादी संगठन अथवा राजनीतिक दल को दोषी ठहराना आत्मप्रवंचना के अतिरिक्त कुछ नहीं। विद्वान लेखक का मानना है कि गांधी जी की अहिंसा की नीति देश के लिए घातक रही।अभी तक 87 पुस्तकें लिख चुके डॉ. आर्य का साहित्य लेखन पूर्णतया राष्ट्रपरक होता है। उनका प्रयास रहता है कि उनकी प्रत्येक पुस्तक राष्ट्रबोध, इतिहास बोध, संस्कृति बोध और धर्मबोध कराने वाली हो। जिससे स्वाधीनता पूर्व के सांप्रदायिकता के भूत को समझने में वर्तमान पीढ़ी को सहायता प्राप्त हो सके। प्रस्तुत पुस्तक भी इतिहास का एक ऐसा ही दस्तावेज है, जिसे समझकर आने वाली पीढ़ियां लाभान्वित होंगी। विद्वान लेखक ने जिस प्रकार सत्य, तथ्य और कथ्य को स्पष्ट करने और एक साथ विद्वतापूर्ण ढंग से पिरोने का कार्य किया है, वह प्रशंसनीय है।हमारा विश्वास है कि यह ग्रंथ हमारे वर्तमान युवा पीढ़ी को अपने स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास के विषय में नए-नए आयामों से परिचित कराएगा, प्रचलित मान्यताओं को बदलकर सटीक, तार्किक और प्रामाणिक मान्यता को स्थापित करेगा।

लेखक के बारे में

डॉ राकेश कुमार आर्य आर्यजगत के जाने-माने इतिहासकार हैं। वह अपने बाल्यकाल से ही अपने पूज्य माता-पिता के दिए हुए संस्कारों और पारिवारिक परिवेश के कारण आर्य समाज से जुड़े रहे हैं। यही कारण है कि उनके लिखे हुए साहित्य में आर्य समाज का विशुद्ध राष्ट्रवाद स्पष्ट झलकता है।17 जुलाई 1966 को ग्राम महावड़ जनपद बुलंदशहर (वर्तमान गौतम बुद्ध नगर ) में जन्मे डॉ आर्य इस समय आर्य उप प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष भी हैं। इसके साथ ही वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश आर्य वीर दल के बौद्धिक आचार्य के दायित्व का भी निर्वाह कर रहे हैं।

विभाजन की विभीषिका और गांधीजी पुस्तक में महात्मा गांधी की किन नीतियों पर चर्चा की गई है?

पुस्तक में गांधीजी की कथित मुस्लिम तुष्टिकरण और अहिंसा की नीति पर विस्तार से चर्चा की गई है।

विभाजन की विभीषिका और गांधीजी पुस्तक का उद्देश्य क्या है?

पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को इतिहास के उन पहलुओं से परिचित कराना है, जिन पर कम चर्चा होती है।

विभाजन की विभीषिका और गांधीजी पुस्तक का मुख्य विषय क्या है?

यह पुस्तक भारत विभाजन के कारणों पर लेखक का वैचारिक और ऐतिहासिक विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

लेखक के अनुसार भारत विभाजन का प्रमुख कारण क्या था?

लेखक के मत में कुछ राजनीतिक और वैचारिक नीतियों के कारण देश को विभाजन का सामना करना पड़ा।

स्वामी श्रद्धानंद जी और सावरकर जी का उल्लेख क्यों किया गया है?

लेखक के अनुसार इन राष्ट्रवादी विचारकों ने समय रहते चेतावनी दी थी, जिसे अनदेखा किया गया।

Additional information

Weight 0.325 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.2 cm
Author

Dr. Rakesh Kumar Arya

Language

Hindi

Format

Paperback

Pages

336

Publisher

Diamond Books

Additional information

Weight 0.325 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.2 cm
Author

Dr. Rakesh Kumar Arya

Language

Hindi

Format

Paperback

Pages

336

Publisher

Diamond Books

Original price was: ₹400.00.Current price is: ₹399.00.

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ISBN10 -: 9374769107

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