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जो पुराना है वह जाएगा। जो मृत है वह गिरेगा, क्योंकि धर्मयुद्ध छेड़ दिया है ओशो ने। और यह धर्मयुद्ध धर्म की जीत तक, धर्म की स्थापना तक चलने वाला है। यह युद्ध कोई दो देशों के बीच का युद्ध नहीं है कि इसमें कोई समझौता हो जाए। यह तो अंत तक चलने वाला है और अंतत: धर्म जीतेगा, सत्य जीतेगा, यह संन्यासी योद्धा जीतेगा। यह तय है। इस धर्मयुद्ध को छिड़े करीब बीस वर्ष बीत गए हैं, इस तरह हिसाब लगाते हैं तो कभी-कभी दुश्चिंता होती है कि अबतक तो लगभग आधी मनुष्यता को खबर लग जानी चाहिए थी कि यह संन्यासी योद्धा हमारा शत्रु नहीं बल्कि परम मित्र है। यह हमारी बेड़ियां काटने वाला मुक्तिदाता है। इस खबर के न लगने से बड़ा अहित हुआ है। मनुष्य जाति के इस अहित के लिए जिम्मेदार हैं वे लोग जो संचार माध्यमों पर कुंडली मारे बैठे हैं।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
“विचार क्रान्ति” के लेखक ने क्रांति को एक आंतरिक परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया है, जहाँ व्यक्ति अपने पुराने विचारों और धारणाओं को छोड़कर नए, स्वतंत्र और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाता है।
“विचार क्रान्ति” के अनुसार, विचारों में परिवर्तन इसलिए आवश्यक है क्योंकि पुराने और नकारात्मक विचार समाज और व्यक्ति के विकास में बाधा डालते हैं। नए और सकारात्मक विचार ही प्रगति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
“विचार क्रान्ति” में लेखक ने व्यक्ति के जीवन में अहंकार, स्वार्थ, और अज्ञानता से जुड़ी धारणाओं को सुधारने का सुझाव दिया है और इन्हें प्रेम, करुणा, और सच्चाई से बदलने पर बल दिया है।
“विचार क्रान्ति” के लेखक के अनुसार, विचारों की शक्ति असीमित होती है। विचार ही किसी व्यक्ति के जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं, और सकारात्मक विचार जीवन को सफल और संतुलित बना सकते हैं।
“विचार क्रान्ति” में जीवन की दिशा बदलने के लिए आत्मचिंतन, आत्मसुधार, और नकारात्मक सोच से मुक्त होकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के उपाय सुझाए गए हैं।
“विचार क्रान्ति” के लेखक के अनुसार, सामाजिक क्रांति की शुरुआत व्यक्ति के व्यक्तिगत विचारों के परिवर्तन से होती है। जब व्यक्ति अपने विचारों में बदलाव लाता है, तो वही परिवर्तन धीरे-धीरे समाज में भी प्रसारित होता है।
Weight | 168 g |
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Dimensions | 20.32 × 12.7 × 1.27 cm |
Author | Osho |
ISBN | 812881091X |
Pages | 144 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 812881091X |
विचार क्रान्ति जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और सोच में परिवर्तन की प्रेरणा देने वाली पुस्तक है। इसमें विचारों की शक्ति और उनकी दिशा बदलने की महत्ता को समझाया गया है। यह पुस्तक मानसिक और आत्मिक विकास के लिए नए युग की सोच को अपनाने पर जोर देती है। विचारों के माध्यम से आत्म-ज्ञान और समाजिक क्रांति की दिशा में प्रेरित करने वाली एक अद्वितीय रचना है।
ISBN: 812881091X
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