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विष्णु पुराण हिन्दू धर्म के 18 महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान किया गया है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, धर्म और अधर्म की कथाएँ, और जीवन के उद्देश्य की चर्चा की गई है। यह पुराण भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों, जैसे मत्स्य, कूर्म, और वामन अवतार की कथाओं का भी वर्णन करता है। विष्णु पुराण का अध्ययन व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करता है और जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
राजा बलि और वामन अवतार की कथा त्याग, भक्ति, और विनम्रता का प्रतीक है। इसमें बताया गया है कि बलि ने भगवान विष्णु को तीन पग भूमि में अपना सब कुछ अर्पण कर दिया, जिससे भक्ति और निःस्वार्थता का महत्व उजागर होता है।
विष्णु पुराण की रचना संस्कृत में हुई है, और इसके प्रमुख रचयिता महर्षि वेदव्यास माने जाते हैं। इसे हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में प्राचीनतम और महत्त्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना जाता है।
ध्रुव की कहानी एक प्रेरणादायक कथा है, जो भक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। ध्रुव ने कठोर तपस्या से भगवान विष्णु को प्रसन्न कर अमरत्व और ध्रुव तारे का स्थान प्राप्त किया, जो यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति से कोई भी कार्य संभव है।
विष्णु पुराण के अनुसार, जीवन का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु की भक्ति, धर्म का पालन, और सद्गुणों का विकास करना है। यह मनुष्य को उसके कर्तव्यों और जीवन के अंतिम उद्देश्य की याद दिलाता है।
विष्णु पुराण में भगवान विष्णु के दस अवतारों का वर्णन है, जिन्हें दशावतार कहा जाता है। ये अवतार मछ, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि हैं, जो समय-समय पर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए अवतरित हुए।
Weight | 120 g |
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Dimensions | 21.6 × 14 × 0.76 cm |
Author | Vinay |
ISBN | 8171822088 |
Pages | 272 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171822088 |
विष्णु पुराण
भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रंथों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। पुराण-साहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अक्षुण्ण निधि हैं। इनमें मानव जीवन के उत्कृष्ट और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती हैं। कर्मकांड से ज्ञान की ओर आते हुए भारतीय मानस चिंतन के बाद भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई। विकास की इसी प्रक्रिया में ब्रह्मवाद की स्वावलंबक व्याख्या से धीरे-धीरे भारतीय मानस अवतारवाद या सगुण भक्ति की ओर प्रेरित हुआ। अत: पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं को केंद्र मान कर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही गई हैं।
आज के निरंतर द्वंद्व के युग में पुराणों का पठन मनुष्य को उस द्वंद्व से मुक्ति दिलाने में एक निश्चित दिशा दे सकता है और मानवता के मूल्यों की स्थापना में एक सफल प्रयास सिद्ध हो सकता है। इसी उद्देश्य को सामने रख कर पाठकों की रुचि के अनुसार सरल, सहज भाषा में पुराण साहित्य की श्रृंखला में यह पुस्तक प्रस्तुत है!
ISBN10-8171822088
Hinduism, Books, Diamond Books
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