विष्णु पुराण हिन्दू धर्म के 18 महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान किया गया है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, धर्म और अधर्म की कथाएँ, और जीवन के उद्देश्य की चर्चा की गई है। यह पुराण भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों, जैसे मत्स्य, कूर्म, और वामन अवतार की कथाओं का भी वर्णन करता है। विष्णु पुराण का अध्ययन व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करता है और जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
विष्णु पुराण क्या है?
विष्णु पुराण हिन्दू धर्म का एक प्राचीन ग्रंथ है, जिसमें भगवान विष्णु की महिमा और सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर धार्मिक जीवन के सिद्धांतों तक की कहानियाँ शामिल हैं।
विष्णु पुराण में कितने अध्याय हैं?
विष्णु पुराण में कुल 6 भाग (खंड) और लगभग 126 अध्याय हैं, जो विभिन्न विषयों पर विस्तृत जानकारी देते हैं।
विष्णु पुराण में किसका वर्णन मुख्य रूप से किया गया है?
विष्णु पुराण मुख्य रूप से भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों, सृष्टि की उत्पत्ति, राजाओं और ऋषियों की कहानियों का वर्णन करता है।
विष्णु पुराण को किसने लिखा था?
विष्णु पुराण को महर्षि वेदव्यास द्वारा संकलित किया गया था, जो महाभारत के भी रचयिता माने जाते हैं।
विष्णु पुराण क्यों पढ़ना चाहिए?
विष्णु पुराण पढ़ने से व्यक्ति को हिन्दू धर्म के धार्मिक सिद्धांतों, भगवान विष्णु के अवतारों और जीवन के उद्देश्यों के बारे में गहन जानकारी मिलती है, जो व्यक्ति को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
विष्णु पुराण में किस अवतार की चर्चा है?
विष्णु पुराण में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों जैसे मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन, नरसिंह और कृष्ण अवतार की कहानियाँ विस्तृत रूप से दी गई हैं
विष्णु पुराण का धार्मिक महत्व क्या है?
विष्णु पुराण हिन्दू धर्म में अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि इसमें धर्म, न्याय, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी गई है। इसमें वर्णित कथाएँ व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।