किताब के बारे में
इतिहास बन चुके किसी भी त्रासदी को रोचक तरीके से लिखना और उसमें हकीकत की तासीर को बनाएं रखना किसी भी लेखक के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। लेकिन यह चुनौती तब और बड़ी हो जाती है जब उसे हर वर्ग, हर तबके के पाठकों को ध्यान में रखकर लिखा गया हो । यह चुनौती भरा काम कुमार राजीव रंजन सिंह ने किया है। इसके लिए उनकी तारीफ की जानी चाहिए। कुमार राजीव रंजन सिंह की किताब “वो 17 दिन ” को पढ़ते हुए कभी भी ऐसा नहीं लगता है कि हम किसी त्रासदी को पढ़ रहे हैं बल्कि ऐसा लगा जैसे हम उस घटना के साक्षी रहे हों और हर एक घटना हमारी आँखों के सामने डॉक्यूमेंट्री फिल्म के रूप में चल रही हो । उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग में सत्रह दिनों तक फंसी रही जिंदगियों ने हर एक दिन मौत का तांडव होते देखा है। उनके आंखों के सामने कभी न खत्म होने वाला अंधेरा था, लेकिन इसके साथ ही उनके अंदर भरोसे की एक ऐसी अदृश्य रोशनी भी जगमगा रही थी जो उन्हें यह भरोसा दिला रही थी कि वह एक दिन अपनों से जरूर मिलेंगे।
वो 17 दिन यह किताब किसके द्वारा लिखा गया है ?
वो 17 दिन यह किताब प्रसिद्ध लेखक कुमार राजीव रंजन सिंह जी के द्वारा लिखी गई है ।
वो 17 दिन पुस्तक किसके बारे में लिखी गई है ?
वो 17 दिन यह कहानी उन मासूम जिंदिगियो के बारे है जो सत्रह दिनों तक उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसी रही ।
इस कहानी को पढ़ते समय कैसा आभास होता है ?
कुमार राजीव रंजन सिंह की किताब वो 17 दिन को पढ़ते हुए कभी भी ऐसा नहीं लगता है कि हम किसी त्रासदी को पढ़ रहे हैं बल्कि ऐसा लगा जैसे हम उस घटना के साक्षी रहे हों और हर एक घटना हमारी आँखों के सामने डॉक्यूमेंट्री फिल्म के रूप में चल रही हो ।
यह घटना किस स्थान पर घटित हुई ?
यह घटना उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग की है जिसमें बोहोत से मजदूर फसे हुए थे ।
क्या यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित हैं?
यह पुस्तक सच्ची घटना पर आधारित है इस पुस्तक की कहानी उन बेबस और लाचार लोगो की है जिन्होंने हर एक दिन मौत का तांडव होते देखा है। उनके आंखों के सामने कभी न खत्म होने वाला अंधेरा था ।