Yaadein Aur Baatein (यादें और बातें)
₹400.00
- About the Book
- Book Details
‘बातों और यादों’ का सघन सम्बन्ध है। बातों में यादों का अस्तित्व रहता है और यादों में बातें समाहित रहती हैं। बातों से रिश्ते बनते हैं और बातों में रिश्ते खुलते हैं। रिश्ते मौन होते हैं। पर अपनी ध्यानस्थ अवस्था में वे आत्मीय संवाद रचते हैं। ऐसे अनुभव मात्र सम्पर्क से जन्म ही नहीं लेते, वे संस्कार, विचार और प्रज्ञा-जन्य भी होते हैं। स्मृतियाँ कभी लुप्त नहीं होती है बल्कि हमारी चेतना गहन में चली जाती है यह गहनता ही संलग्न व्यक्तित्वों का रचनात्मक उत्स है। जिनमें उनके जीवन के किन्ही पहलुओं का अविस्मरणीय रेखांकन है।
About the Author
डॉ. पुष्पिता अवस्थी का जन्म 14 जनवरी, 1960 को कानपुर देहात के गुड़गाँव ग्राम के जमींदार परिवार में हुआ। प्रो. पुष्पिता अवस्थी मूलत: संवेदनशील कवि और गंभीर मानवीय मूल्यों के संरक्षण की चिंतक हैं। 13 काव्य संग्रहों सहित विश्व के अनछुए विषयों पर सभी विधाओं में अपनी पैठ और पकड़ बनाते हुए उनकी सत्तर से अधिक सम्मानित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। विश्व यायावर पुष्पिता की पुरस्कृत पुस्तकों की देश-विदेश की भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। विश्वविद्यालय के 12 हिंदी विभागों के पाठ्यक्रम में कविताएँ और कहानियाँ संलग्न हैं एवं कई विश्वविद्यालय में शोध कार्य जारी है। जिसमें से कुछ पीएच. डी की उपाधि से विभूषित हो चुके हैं।
संपर्क: प्रो. डॉ. पुष्पिता अवस्थी
1. अध्यक्ष- हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन, नीदरलैण्ड
2. ग्लोबल अंबेसडर MIT वर्ल्ड पोजस यूनिवर्सिटी, वर्ल्ड पीस डोम, पूना
3. अध्यक्ष- आचार्य कुल, वर्धा
4. अटल फाउंडेशन – अंतर्राष्ट्रीय संयोजक
5. हरिजन सेवक संघ – ग्लोबल एंबेसडर
6. अध्यक्ष – इंटरनेशनल नान वायलेंस एंड पीस एकेडमी
7. अध्यक्ष, गार्जियन ऑफ अर्थ एंड ग्लोबल कल्चर
Additional information
Author | Prof. Pushpita Awasthi |
---|---|
ISBN | 9789359645551 |
Pages | 96 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/yaadein-aur-baatein-hindi/p/itmc317e34a82fad?pid=9789359645551 |
ISBN 10 | 9359645559 |
‘बातों और यादों’ का सघन सम्बन्ध है। बातों में यादों का अस्तित्व रहता है और यादों में बातें समाहित रहती हैं। बातों से रिश्ते बनते हैं और बातों में रिश्ते खुलते हैं। रिश्ते मौन होते हैं। पर अपनी ध्यानस्थ अवस्था में वे आत्मीय संवाद रचते हैं। ऐसे अनुभव मात्र सम्पर्क से जन्म ही नहीं लेते, वे संस्कार, विचार और प्रज्ञा-जन्य भी होते हैं। स्मृतियाँ कभी लुप्त नहीं होती है बल्कि हमारी चेतना गहन में चली जाती है यह गहनता ही संलग्न व्यक्तित्वों का रचनात्मक उत्स है। जिनमें उनके जीवन के किन्ही पहलुओं का अविस्मरणीय रेखांकन है।
About the Author
डॉ. पुष्पिता अवस्थी का जन्म 14 जनवरी, 1960 को कानपुर देहात के गुड़गाँव ग्राम के जमींदार परिवार में हुआ। प्रो. पुष्पिता अवस्थी मूलत: संवेदनशील कवि और गंभीर मानवीय मूल्यों के संरक्षण की चिंतक हैं। 13 काव्य संग्रहों सहित विश्व के अनछुए विषयों पर सभी विधाओं में अपनी पैठ और पकड़ बनाते हुए उनकी सत्तर से अधिक सम्मानित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। विश्व यायावर पुष्पिता की पुरस्कृत पुस्तकों की देश-विदेश की भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। विश्वविद्यालय के 12 हिंदी विभागों के पाठ्यक्रम में कविताएँ और कहानियाँ संलग्न हैं एवं कई विश्वविद्यालय में शोध कार्य जारी है। जिसमें से कुछ पीएच. डी की उपाधि से विभूषित हो चुके हैं।
संपर्क: प्रो. डॉ. पुष्पिता अवस्थी
1. अध्यक्ष- हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन, नीदरलैण्ड
2. ग्लोबल अंबेसडर MIT वर्ल्ड पोजस यूनिवर्सिटी, वर्ल्ड पीस डोम, पूना
3. अध्यक्ष- आचार्य कुल, वर्धा
4. अटल फाउंडेशन – अंतर्राष्ट्रीय संयोजक
5. हरिजन सेवक संघ – ग्लोबल एंबेसडर
6. अध्यक्ष – इंटरनेशनल नान वायलेंस एंड पीस एकेडमी
7. अध्यक्ष, गार्जियन ऑफ अर्थ एंड ग्लोबल कल्चर
ISBN10-9359645559