रांगेय राघव जी इस उपन्यास की भूमिका में स्वयं बताते हैं कि इस उपन्यास की रचना का मूलस्रोत त्रिपिटक ग्रंथ रहे हैं उन्होंने त्रिपिटक ग्रंथों में महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित जिन कथाओं को पढ़ा, उनके आधार पर ही उन्होंने इस उपन्यास के कथानक को गढ़ा किंतु एक बात वह स्पष्ट कहते हैं कि मैंने अपनी कथा का दृष्टिकोण ऐतिहासिक रखा है धार्मिक या राजनीतिक नहीं! वास्तव में इस उपन्यास में यह बताया गया है कि जिस समय बुद्ध का उत्कर्ष काल था उस समय भारतीय इतिहास में धार्मिक और राजनीतिक असंतुलन भी अपने उत्कर्ष पर हो गया था।
Yashodhara Jeet Gai : Gautam Budh Ke Jeevan Per Aadharit Upanyas (यशोधरा जीत गई : गौतम बुद्ध के जीवन पर आधारित उपन्यास)
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रांगेय राघव जी इस उपन्यास की भूमिका में स्वयं बताते हैं कि इस उपन्यास की रचना का मूलस्रोत त्रिपिटक ग्रंथ रहे हैं उन्होंने त्रिपिटक ग्रंथों में महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित जिन कथाओं को पढ़ा, उनके आधार पर ही उन्होंने इस उपन्यास के कथानक को गढ़ा किंतु एक बात वह स्पष्ट कहते हैं कि मैंने अपनी कथा का दृष्टिकोण ऐतिहासिक रखा है धार्मिक या राजनीतिक नहीं! वास्तव में इस उपन्यास में यह बताया गया है कि जिस समय बुद्ध का उत्कर्ष काल था उस समय भारतीय इतिहास में धार्मिक और राजनीतिक असंतुलन भी अपने उत्कर्ष पर हो गया था।
About the Author
रांगेय राघव (17 जनवरी, 1923 – 12 सितंबर, 1962) हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभा वाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। आगरा में जन्मे रांगेय राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी।
ISBN10-9355990898
रांगेय राघव (17 जनवरी, 1923 – 12 सितंबर, 1962) हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभा वाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। आगरा में जन्मे रांगेय राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी।
Additional information
Author | Rangeya Raghav |
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ISBN | 9789355990891 |
Pages | 150 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | |
ISBN 10 | 9355990898 |
SKU
9789355990891
Categories Diamond Books, Biography, Historical, Indian
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