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Yogi Arvind : Ek Mahapurush Ki Sangharsh Gatha (योगी अरविन्द : एक महापुरुष की संघर्ष गाथा)

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अरविन्दो को जानने के लिए यह योग्यता जरूरी है।….
श्री अरविन्दो को कारागार में श्रीकृष्ण के दर्शन क्यों हुए? कैसे क्रांति का मंत्रदाता योग का पर्याप्त बना? यह कैसे सिद्ध किया कि मनुष्य ही ईश्वर है, यदि वह अपने को पहचान सके? पर अपने को वह कैसे पहचाने? इसी गूढ़ रहस्य से यह अन्तर्गाथा पर्दा उठाती है और वह आनंद की यात्रा का सहभागी बन जाता है।
सकार की यही निराकार यात्रा ईश्वरत्व के अनुभव से जोड़ने लगती है, पर कैसे ? श्री अरविन्दो के जीवन की उत्तर-कथा के इस दूसरे भाग को पढ़कर ही आप जान पाएंगे। दो खंडों में यह उपन्यास सभी के लिए एक जरूरी रास्ता है, जो विश्वास, शांति, सुख और आनंद की अनुभूति हर पल कराता है। वह आनंद, जो आपके अंतर से विकसित होकर आपको सत्य से परिचित कराता है।

About the Author

सुविख्यात कथाकार डॉ. राजेन्द्र मोहन भटनागर का जन्म २ मई १९३८, अंबाला (हरियाणा) में हुआ और शिक्षा सेंट जोंस कालिज, आगरा और बीकानेर में।
शिक्षा : एम. ए. पी-एच. डी. डी लिट् आचार्य।।
साहित्य : चालीस से ऊपर उपन्यास। उनमें रेखांकित और चर्चित हुए दिल्ली चलो, सूरश्याम, महाबानो, नीले घोड़े का। सवार, राज राजेश्वर, प्रेम दीवानी, सिद्ध पुरुष, रिवोल्ट, परिधि, न गोपी न राधा, जोगिन, दहशत, श्यामप्रिया, गन्ना बेगम, सर्वोदय, तमसो मा। ज्योतिर्गमय, वाग्देवी, युगपुरुष अंबेडकर, महात्मा, अन्तहीन युद्ध, अंतिम सत्याग्राही, शुभप्रभात, वसुधा, विकल्प, मोनालिसा प्रभृति महाबानो प्रभृति।
नाटक : संध्या को चोर, सूर्याणी, ताम्रपत्र, रक्त ध्वज, माटी कहे कुम्हार से, दुरभिसंधि, महाप्रयाण, नायिका, गूंगा गवाह, मीरा, सारथिपुत्र, भोरमदेव प्रभृति।
कथा : गौरैया, चाणक्य की हार, लताए, मांग का सिंदूर आदि अनेक उपन्यास धारावाहिक प्रकाशित और आकाशवाणी से प्रसारित। अनेक कृतिया पर शोध कार्य। अनेक उपन्यास और कहानियां कन्नड़, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती आदि भाषाओं में अनूदित। राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च मीरा पुरस्कार के साथ शिखर सम्मान विशिष्ट साहित्यकार के रूप में, नाहर सम्मान पुरस्कार, घनश्यामदास सर्राफ सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार। आदि अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार।

अरविन्दो को जानने के लिए यह योग्यता जरूरी है।….
श्री अरविन्दो को कारागार में श्रीकृष्ण के दर्शन क्यों हुए? कैसे क्रांति का मंत्रदाता योग का पर्याप्त बना? यह कैसे सिद्ध किया कि मनुष्य ही ईश्वर है, यदि वह अपने को पहचान सके? पर अपने को वह कैसे पहचाने? इसी गूढ़ रहस्य से यह अन्तर्गाथा पर्दा उठाती है और वह आनंद की यात्रा का सहभागी बन जाता है।
सकार की यही निराकार यात्रा ईश्वरत्व के अनुभव से जोड़ने लगती है, पर कैसे ? श्री अरविन्दो के जीवन की उत्तर-कथा के इस दूसरे भाग को पढ़कर ही आप जान पाएंगे। दो खंडों में यह उपन्यास सभी के लिए एक जरूरी रास्ता है, जो विश्वास, शांति, सुख और आनंद की अनुभूति हर पल कराता है। वह आनंद, जो आपके अंतर से विकसित होकर आपको सत्य से परिचित कराता है।

About the Author

सुविख्यात कथाकार डॉ. राजेन्द्र मोहन भटनागर का जन्म २ मई १९३८, अंबाला (हरियाणा) में हुआ और शिक्षा सेंट जोंस कालिज, आगरा और बीकानेर में।
शिक्षा : एम. ए. पी-एच. डी. डी लिट् आचार्य।।
साहित्य : चालीस से ऊपर उपन्यास। उनमें रेखांकित और चर्चित हुए दिल्ली चलो, सूरश्याम, महाबानो, नीले घोड़े का। सवार, राज राजेश्वर, प्रेम दीवानी, सिद्ध पुरुष, रिवोल्ट, परिधि, न गोपी न राधा, जोगिन, दहशत, श्यामप्रिया, गन्ना बेगम, सर्वोदय, तमसो मा। ज्योतिर्गमय, वाग्देवी, युगपुरुष अंबेडकर, महात्मा, अन्तहीन युद्ध, अंतिम सत्याग्राही, शुभप्रभात, वसुधा, विकल्प, मोनालिसा प्रभृति महाबानो प्रभृति।
नाटक : संध्या को चोर, सूर्याणी, ताम्रपत्र, रक्त ध्वज, माटी कहे कुम्हार से, दुरभिसंधि, महाप्रयाण, नायिका, गूंगा गवाह, मीरा, सारथिपुत्र, भोरमदेव प्रभृति।
कथा : गौरैया, चाणक्य की हार, लताए, मांग का सिंदूर आदि अनेक उपन्यास धारावाहिक प्रकाशित और आकाशवाणी से प्रसारित। अनेक कृतिया पर शोध कार्य। अनेक उपन्यास और कहानियां कन्नड़, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती आदि भाषाओं में अनूदित। राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च मीरा पुरस्कार के साथ शिखर सम्मान विशिष्ट साहित्यकार के रूप में, नाहर सम्मान पुरस्कार, घनश्यामदास सर्राफ सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार। आदि अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार।

Additional information

Author

Dr. Rajendra Mohan Bhatnagar

ISBN

9789356845855

Pages

400

Format

Hardcover

Language

Hindi

Publisher

Junior Diamond

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9356845859

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https://www.flipkart.com/yogi-arvind-ek-mahapurush-ki-sangharsh-gatha/p/itm81c0587bc9670?pid=9789356845855

ISBN 10

9356845859

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