ग़्ज़्ल लिखी जाती है, सुनायी जाती है, गायी जाती है पर इसके अलावा महसूस की जाती है। बगैर महसूस किये, इसकी कोई कीमत नहीं। नसीम गोरखपुरी के नाम से लिखने वाले शायर में किशोरावस्था में ही यह समझ पैदा हो गयी थी और उन्होंने लिखना शुरू कर दिया। समय के साथ उनकी कलम की रोशनी में वो चमक आती गयी कि सुनने वाला ठहर जाता और देर तक उसकी तपिश महसूस करता। जि़्ादगी की दूसरी इंनिंग में नुमाया उनके कलाम उन्हें और भी संजीदा बनाते हैं।
Zazba-E-Dil Hindi
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ग़्ज़्ल लिखी जाती है, सुनायी जाती है, गायी जाती है पर इसके अलावा महसूस की जाती है। बगैर महसूस किये, इसकी कोई कीमत नहीं। नसीम गोरखपुरी के नाम से लिखने वाले शायर में किशोरावस्था में ही यह समझ पैदा हो गयी थी और उन्होंने लिखना शुरू कर दिया। समय के साथ उनकी कलम की रोशनी में वो चमक आती गयी कि सुनने वाला ठहर जाता और देर तक उसकी तपिश महसूस करता। जि़्ादगी की दूसरी इंनिंग में नुमाया उनके कलाम उन्हें और भी संजीदा बनाते हैं। ISBN10-9352616146
Additional information
Author | Naseem Gorakhpuri |
---|---|
ISBN | 9789352616145 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Power Learning |
ISBN 10 | 9352616146 |
SKU
9789352616145
Categories Books, Language & Literature
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